REWA: जाते-जाते 1.68 करोड़ रूपए का चूना लगा गए तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादव

जाते-जाते 1.68 करोड़ रूपए का चूना लगा गए तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादवरीवा। नगर निगम में स्वीपिंग मशीन के नाम पर बड़ा बंदरबांट किया गया है।

Update: 2021-02-16 06:19 GMT

REWA: जाते-जाते 1.68 करोड़ रूपए का चूना लगा गए तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादव

रीवा। नगर निगम में स्वीपिंग मशीन के नाम पर बड़ा बंदरबांट किया गया है। जांच लंबित होने के बावजूद अफसरों ने कंपनी पर मेहरबानी करते हुए उसे लाभांवित किया है। यह मेहरबानी तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादव द्वारा की गई है।

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मनमानी बिल बनवाकर रोड स्वीपिंग मशीन चलवाने वाली कंपनी इंटरनेशनल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई को 1.68 लाख का भुगतान निगमायुक्त द्वारा मनमानी रूप से किया गया, जबकि इन्हीं द्वारा प्रभार संभालने के बाद स्वीपिंग मशीन में फर्जीवाड़ा की बात करते हुए मशीनें वापस कराई गई थीं। लेकिन बाद में साठगांठ कर कंपनी को भुगतान करा दिया।

शायद तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादव द्वारा किए गए भुगतान को देखकर ही अब वर्तमान में इस कंपनी को अगले बिल के भुगतान की तैयारी की जा रही है। हालांकि यदि निगम प्रशासन अब कंपनी को भुगतान करता है तो काफी विरोध का सामना करना पड़ेगा।

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इसकी बड़ी वजह यही है कि जब इस स्वीपिंग मशीन के लिए टेंडर किया गया था, तभी से इसका विरोध शुरु हो गया था। बीच में तत्कालीन निगमायुत आरपी सिंह ने कंपनी को भुगतान करना चाहा, पर पार्षदों के विरोध के चलते इसे रोक दिया गया। लेकिन इसके बाद प्रदेश में आई कांग्रेस सरकार के समय मनमानी करते हुए तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादव ने कंपनी को भुगतान कर दिया।

जाते-जाते भुगतान की थी तैयारी

बता दें कि जिस बिल भुगतान की तैयारी अब निगम अफसरों द्वारा की जा रही है, वह बिल तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादव के समय ही बनाया गया था। जब प्रदेश में भाजपा सरकार बनी तो सभाजीत यादव का तबादला किया गया, जिसके बाद भी उनके द्वारा लेखा शाखा के जिमेदार अधिकारियों को इस बिल के भुगतान की फाइल उनके बंगले में लाने के लिए कहा था। लेकिन लॉकडाउन का बहाना बनाकर अफसर नहीं पहुंचे और अब इसी बिल का भुगतान वर्तमान में निगम की कमाल संभाल रहे प्रभारी निगमायुक्त अर्पित वर्मा से अधिकारी कराने में लगे हुए हंै।

बता दें कि सड़क पर स्वीपिंग मशीनें दौड़ी ही नहीं और बिल बना दिया गया, जिससे बिना काम किए कंपनी को मिलने वाली राशि के लिए कंपनी ने 25-50 प्रतिशत तक राशि अफसरों के कमीशन में खर्च किया है, ऐसी चर्चाएं जोरों पर हंै

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