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मौत की घाटी बनी छुहिया घाटी, 7 से 8 किलोमीटर पर टर्निंग ही टर्निंग, रोज जा रही बेकसूरों की जान : Rewa Local News
मौत की घाटी बनी छुहिया घाटी, 7 से 8 किलोमीटर पर टर्निंग ही टर्निंग, रोज जा रही बेकसूरों की जान : Rewa Local News
Rewa Local News: छुहिया घाटी मौत की घाटी में तब्दील हो गई है। दो हादसे खस्ताहाल सड़क के कारण हो चुके हैं। 7 किमी के सफर में 32 मोड़ है। इनमें एक दर्जन अंधा मोड़ हैं। इन मोड़ों को पार करना वाहन चालकों के लिए चुनौती बन गई है। अभी सिर्फ दो ही हादसे हुए है, यदि जल्द ही सड़क नहीं बनी तो दुर्घटनाओं की बाढ़ आना तय है।
सीधी जिला के रामपुर नैकिन में मंगलवार की सुबह हुए बस हादसे ने एमपीआरडीसी, पीडब्लूडी, एनएचएआई की लापरवाही उजागर कर दी है। दो साल पहले मलेशिया की कंपनी का अनुबंध खत्म होते ही सड़क की हालत खराब होना शुरू हो गई। टोल भी हट गया। टोल हटने से गोविंदगढ़ से सीधी मार्ग में भारी वाहनों की आवाजाही बिना रोक टोक होने लगी। इन भारी वाहनों के कारण छुहिया घाटी सड़क के परखच्चे उड़ गए।
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यही हाल रीवा से गोविंदगढ़ तक की सड़क का भी है। इस मार्ग पर चलना मुश्किल हो गया है। सड़क नाम मात्र की बची है। सिर्फ गड्ढे और गड्ढे ही हैं। हालांकि हाल ही में एमपीआरडीसी शहडोल संभाग ने पैच वर्क का टेंडर किया है। टेंडर के कारण गोविंदगढ़ से रीवा तक थोड़ी बहुत गड्ढे भर दिए गए हैं लेकिन छुहिया घाटी अब भी बदहाल है। छुहिया घाटी घुमावदार मोड़ के लिए हमेशा खतरनाक रही है। इस खतरनाक टर्निंग वाली घाटी को ही एमपीआरडीसी ने सुधारने से नजर अंदाज किया। इसी का नजीता है कि बस हादसे में 51 की जान चली गई।
छुहिया घाटी में पिछले दो सालों से सड़क के नाम पर कुछ नहीं बचा है। यहां सिर्फ गड्ढे ही गड्ढे हैं। वाहन सिर्फ भगवान भरोसे ही गुजर रहे हैं। गड्ढे और खराब टर्निंग के कारण वाहन फंसते हैं। यही खस्ताहाल सड़क दुर्घटना का कारण बन रही है। यदि सड़क समय पर सुधर जाती तो बेकसूरों की जान भी न जाती।
टर्निंग ही टर्निंग हैं
छुहिया घाटी का कुल सफर करीब 7 से 8 किमी का है। पूरे पहाड़ को काट कर रास्ता बनाया गया है। इस घाटी से ही सतना, शहडोल, सीधी जाने और रीवा आने का रास्ता है। इस पहाड़ में करीब 32 मोड़ हैं। इन मोड़ के किनारे के पहाड़ पूरी तरह से कट चुका हैं। पहाड़ का क्षरण हो रहा है। इसके कारण भी खतरा बढ़ गया है। 1 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं रोज छुहिया पहाड़ पर तीन तरफा वाहनों का दबाव रहता है।
इस पहाड़ से हर दिन 1 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं। दो साल तक छुहिया पहाड़ के नीचे मलेशिया की कंपनी टोल वसूली करती थी। तब तक तो टोल के डर से ट्रेलर और हैवी व्हीकल नहीं आते थे। अब टोल हटते ही भारी वाहनों की लाइन लगी रहती है। इन भारी वाहनों के कारण ही सड़क की हालत खराब होने के साथ ही जाम जैसी स्थिति बनती है। हर दिन तीन से चार घंटे तक का जाम यहां आम हो गया है।
ट्रक इसी वजह से पलटा था
कुछ दिनों पहले रीवा से अल्ट्राटेक की बस बघवार जा रही थी। छुहिया घाटी में ही लिंकर से लदा ट्रक बस पर पलट गया था। इस हादसे में भी कइयों की जान चली गई थी। यह हादसा भी छुहिया घाटी की खराब सड़क के कारण ही हुआ था। हादसा भी सुबह ही हुआ था। सड़क नहीं बनी तो बेकसूरों की जान इसी तरह हर दिन जाएगी।
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सौजन्य: दैनिक जागरण