MP : इंदौर-रीवा बस का असुरक्षित सफर, क्षमता 31 यत्रियों की, भरे थे 122

सूरत (Surat) से इंदौर (Indore) से रीवा (Rewa) आने वाली एक बस का हाल देखकर ट्रैफिक सूबेदार की आंखें बंद हो गई। उसकी आंख बंद होने का कारण था कि जय गोपाल बस सर्विस की 31 सीटर बस में 122 यात्री भरे हुए थे

Update: 2021-08-24 17:21 GMT

इंदौर / रीवा। अक्सर बस हादसे के बाद मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री, परिवहन विभाग के आला अधिकारी तथा स्थानीय नेता बडी-बडी डींग हांकने से नहीं चूकते। लेकिन समय रहते बस की ओवर लोडिंग के साथ ही अन्य नियमों को फालो करने-कराने की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। इसी का परिणाम है कि सूरत से इंदौर से रीवा आने वाली एक बस का हाल देखकर ट्रैफिक सूबेदार की आंखें बंद हो गई। उसकी आंख बंद होने का कारण था कि जय गोपाल बस सर्विस की 31 सीटर बस में 122 यात्री भरे हुए थे। सुनने में बड़ा अजीब लगता है कि यह कैसे हो सकता है। लेकिन यह हकीकत है। पता चलता है कि यह बस रीवा भी आती है।

ट्रैफिक सूबेदार के उडे़ होश 

सोमवार दोपहर के समय जब नौलखा पर ट्रैफिक सूबेदार सुमित बिलौनिया अपनी डयूटी कर रहे थे ते उनकी नजर बस क्रमांक जीजे 10 जेड 0965 पर पड़ी। अनहोनी के डर से वह आश्चर्य चकित रह गये। हुआ कुछ ऐसा कि उन्हे उक्त बस बीच शहर में लहराती हुई दिखी। उन्होने बस को रोक लिया जब पास जाकर देखा तो पता चला कि इस बस में 122 यात्री भरे हुए हैं।

31 सीटर बस से 15 मिनट तक लगातार उतरे यात्री

सभी यात्रियों को उतरने के लिए कहा गया। बताया जाता है कि बस से यात्रियों के उतरने में करीब 15 मिनट से भी ज्यादा का समय लगा। यह सब देखकर ट्रैफिक सूबेदार की आंखे फटी की फटी रह गई। उन्हे अपनी नजरों पर भरोशा नही हो रहा था कि इतनी सवारी एक ही बस की है।

कोई क्यों नहीं देता ध्यान

ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इंदौर से रीवा का करीब 680 किमी के सफर के दौरान अगर खुदा ना खास्ता यह बस पलट जाती तो परिवहन विभाग से लेकर मंत्री संत्री सब जांच, कार्रवाई, दोषी को सजा दिलाने, पीडित को न्याय, मुआवजा जैसी बातें शुरू हो जाती। और कुछ दिन बीत जाने के बाद फिर वही पुराना ढर्रा जहां केवल जेब की बात की होती है कि कौन कितना देगा।

वसूली में मस्त अधिकारी

परिवहन विभाग के आला अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक कार्यालय में बैठकर वसूली में मस्त रहते है। उडनदस्ता के लिए तैनात आधिकारी भी जेब भरने से लेकर टारगेट पूरा करते हैं। व्यवस्था बनाने की ओर किसी की नजर नही जाती।

हो चुका है हादसा

यह कोई नया मामला नही है जब एक बस में इतने यात्री भरे हो। यह तो आम बात हो गई है। विगत कुछ माह पहले रीवा जिले की सीमा गोविंदगढ में एक ओवर लोड बस नहर में समा गई थी। उस समय सभी नियमों की बात करते नजर आये थे। लेकिन अब कोई देखने वाला नही है।

क्या है नियम

किसी भी यात्री बस को परमिट एक तय मानक के तहत दिया जाता है। अगर कोई यात्री बस अपने परमिट के अनुसार क्षमता से अधिक यात्रियों को बसों में बैठाता है तो वह नियम के विरूद्ध है। वहीं बस के ऊपर बैठाना तो बिल्कुल अपराध है। क्षमता से अधिक ओवरलोडिंग एमवी एक्ट 1988 के सेक्शन 192 के तहत अपराध है।

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