एमपी के 12 जिलों में मंडरा रहा क्यूलेक्स मच्छर का खतरा, लोगों को बना सकते हैं दिव्यांग

प्रदेश के 12 जिलों में क्यूलेक्स मच्छर का खतरा मंडरा रहा है। जिसकी दहशत से स्वास्थ्य महकमा भी हलाकान है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो इस मच्छर के काटने से इंसान दिव्यांग तक हो सकता है।

Update: 2023-02-02 11:40 GMT

प्रदेश के 12 जिलों में क्यूलेक्स मच्छर का खतरा मंडरा रहा है। जिसकी दहशत से स्वास्थ्य महकमा भी हलाकान है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो इस मच्छर के काटने से इंसान दिव्यांग तक हो सकता है। क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने पर इंसान को लिम्फेटिक फाइलेरियासिस होने की संभावना से नकारा नहीं जा सकता। इस मच्छर के संक्रमण के शिकार लोगों में फाइलेरिया यानी हाथीपांव की बीमारी हो सकती है।

इन जिलों को खतरा

स्वास्थ्य विभाग की मानें तो एमपी के 12 जिलों में फाइलेरिया का सर्वाधिक खतरा है। जिनमें छतरपुर, उमरिया, पन्ना, कटनी, दतिया, रीवा, सतना, दमोह, सागर, निवाड़ी, छिंदवाड़ा और टीकमगढ़ बताए गए हैं। इन जिलों में इससे निपटने के लिए अभियान चलाकर लोगों को दवाइयां खिलाई जाएंगी। बताया गया है कि क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फाइलेरिया की बीमारी हो सकती है। जिसकी जद में आकर व्यक्ति जीवन भर के लिए दिव्यांग हो सकता है। जिससे बचाव के लिए 10 फरवरी से 15 फरवरी तक प्रभावित जिलों में दवा वितरण के लिए अभियान संचालित किया जाएगा। इस मच्छर के संक्रमण के कारण लिम्फ नोड ग्रंथियों में असर पड़ता है। यह मच्छर अक्सर गंदे रुके हुए पानी में पनपते हैं।

6 से 8 वर्ष बाद नजर आते हैं लक्षण

बताया गया है कि क्यूलेक्स मच्छर के संक्रमण का शिकार हुए व्यक्ति में बीमारी के लक्षण तुरंत नजर नहीं आते। 6 से 8 वर्ष बाद फाइलेरिया और हाईड्रोसिल बीमारियों के लक्षण नजर आ सकते हैं। बीमारी से बचाव के लिए फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करना आवश्यक है। इसके साथ ही लोगों को सावधानी बरतते हुए अपने घरों के आसपास गंदा पानी नहीं जमा होने देना चाहिए। मच्छरों से खुद व परिवार को बचाकर ही इस बीमारी से निपटा जा सकता है।

इन्हें दवा खाना जरूरी

वर्ष में एक बार दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमार लोगों को छोड़कर सबको फाइलेरिया रोधी डीईसी (डाय इथाइल कार्बामैजीन), एलबेंडाजोल और आईवरमैक्टिन की गोलियां खाना आवश्यक है। पांच वर्ष से छोटे बच्चों को आईवरमैक्टिन की गोली नहीं दी जाती है। रीवा, छतरपुर और पन्ना में आईडीए के फार्मूले पर तीन दवाएं दी जा रही हैं। आईडीए यानी आईवरमैक्टिन, डीईसी और एलबेंडाजोल की गोलियां खिलाई जा रही हैं। जबकि अन्य नौ जिलों में डीईसी और एलबेंडाजोल की दवाएं दी जाएंगी।

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