रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में लापरवाही: चार महीने में ही 13 करोड़ की MRI मशीन खराब, मरीजों की बढ़ी फजीहत
रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में करोड़ों की एमआरआई मशीन खराब होने से मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। फ्री जांच बंद, प्राइवेट सेंटरों में महंगे टेस्ट कराने को मजबूर मरीज।
- 13 करोड़ रुपये की एमआरआई मशीन चार महीने में खराब
- सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में फ्री जांच पर लगा ब्रेक
- मरीजों को निजी सेंटरों में महंगे टेस्ट कराने की मजबूरी
- प्रशासनिक लापरवाही और रखरखाव पर उठे सवाल
Super Speciality Hospital Issue | अस्पताल में तकनीकी अव्यवस्था
रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। करोड़ों रुपये की लागत से लगाई गई एमआरआई मशीन महज चार महीने के भीतर ही खराब हो गई। इस मशीन के बंद होने से सबसे ज्यादा असर आम मरीजों पर पड़ा है, जिन्हें अब जरूरी जांच के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
₹13 Crore MRI Machine | चार महीने में कैसे खराब हुई मशीन
अस्पताल में लगभग 13 करोड़ रुपये की लागत से एमआरआई मशीन स्थापित की गई थी। उम्मीद थी कि इससे गंभीर मरीजों को समय पर और निःशुल्क जांच की सुविधा मिलेगी। लेकिन मशीन के शुरू होने के कुछ ही महीनों बाद तकनीकी खराबी सामने आ गई। बताया जा रहा है कि मशीन में आई गड़बड़ी के कारण जांच पूरी तरह से बंद कर दी गई है।
Free MRI Facility Stopped | फ्री जांच पर लगा ताला
एमआरआई मशीन खराब होने के बाद अस्पताल में निःशुल्क एमआरआई जांच की सुविधा ठप हो गई है। दूर-दराज से आने वाले गरीब और मध्यम वर्ग के मरीज अब प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर का रुख करने को मजबूर हैं, जहां एक जांच के लिए हजारों रुपये वसूले जा रहे हैं।
Patients Suffering | मरीजों की बढ़ती परेशानी
अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों का कहना है कि एमआरआई जांच के बिना उनका इलाज अधूरा है। कई मरीज ऐसे हैं, जिनकी सर्जरी या गंभीर इलाज एमआरआई रिपोर्ट के बिना संभव नहीं है। मशीन खराब होने से उनकी इलाज प्रक्रिया में देरी हो रही है, जिससे स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ रहा है।
Private Centers Benefit | निजी सेंटरों को फायदा
सरकारी अस्पताल की मशीन बंद होने से निजी जांच केंद्रों की चांदी हो गई है। मजबूर मरीज वहां जाकर महंगे दामों पर जांच करवा रहे हैं। मरीजों का आरोप है कि सरकारी सिस्टम की इस लापरवाही का सीधा फायदा निजी संस्थानों को मिल रहा है।
Maintenance Questions | रखरखाव पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि नई एमआरआई मशीन इतनी जल्दी कैसे खराब हो गई। क्या मशीन के रखरखाव में लापरवाही बरती गई, या फिर शुरुआत से ही तकनीकी खामियां थीं? विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी महंगी मशीन के लिए नियमित मेंटेनेंस और प्रशिक्षित स्टाफ बेहद जरूरी होता है।
Hospital Administration Silence | प्रबंधन की चुप्पी
इस पूरे मामले पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई स्पष्ट जवाब सामने नहीं आया है। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि जब वे शिकायत लेकर जाते हैं, तो उन्हें केवल तकनीकी समस्या बताकर टाल दिया जाता है। अब तक यह नहीं बताया गया कि मशीन कब तक ठीक होगी।
Government Investment | सरकारी धन का सवाल
स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। ऐसे में चार महीने में 13 करोड़ की मशीन का खराब हो जाना सरकारी धन के उपयोग पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आम जनता पूछ रही है कि आखिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
Need for Accountability | जवाबदेही जरूरी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस मामले में जांच और जवाबदेही तय होनी चाहिए। यदि समय रहते मशीन की मरम्मत या बदलने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में मरीजों की परेशानी और बढ़ सकती है।
Future Impact | आगे क्या होगा असर
एमआरआई जैसी जरूरी जांच सुविधा लंबे समय तक बंद रहने से अस्पताल की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ेगा। मरीजों का भरोसा टूटेगा और वे मजबूरी में निजी अस्पतालों की ओर रुख करेंगे। इससे सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का उद्देश्य ही कमजोर पड़ जाएगा।
FAQs | अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
एमआरआई मशीन कब खराब हुई?
मशीन चार महीने के भीतर ही तकनीकी खराबी के कारण बंद हो गई।
मरीजों को क्या परेशानी हो रही है?
मरीजों को निजी सेंटरों में महंगे दामों पर एमआरआई करानी पड़ रही है।
क्या अस्पताल में फ्री एमआरआई हो रही है?
फिलहाल फ्री एमआरआई जांच बंद है।
क्या मशीन की मरम्मत शुरू हुई?
अब तक कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है।
इस मामले में जांच जरूरी क्यों है?
क्योंकि यह सरकारी धन और मरीजों की सेहत से जुड़ा मामला है।