गर्मी के मौसम में बेजुबान पक्षियों को प्यास व भूख से बचाने पहल, छतों पर नजर आने लगे सकोरे

MP News: गर्मी का मौसम प्रारंभ होते ही सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना पानी के लिए करना पड़ता था। तालाब व अन्य जलस्रोत सूखने के कारण बेजुबान पक्षी प्यास से तड़पकर अपना दम तोड़ देते हैं।

Update: 2023-03-18 10:58 GMT

गर्मी का मौसम प्रारंभ होते ही सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना पानी के लिए करना पड़ता था। तालाब व अन्य जलस्रोत सूखने के कारण बेजुबान पक्षी प्यास से तड़पकर अपना दम तोड़ देते हैं। ऐसे में पक्षियों को बचाने एमपी इंदौर की एक संस्था द्वारा पहल प्रारंभ की गई है। संस्था द्वारा लोगों पक्षियों के लिए सकोरे व ज्वार-बाजरा के दाने मुफ्त में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जिससे वह भी पक्षियों को गर्मी के इस मौसम में भूख व प्यास से बचाने में अपनी सहभागिता निभा सकें।

पक्षियों की बचाने अभिनव शुरुआत

एमपी इंदौर की संस्था बीइंग रेस्पॉन्सिबल द्वारा पक्षियों को बचाने अभिनव शुरुआत की गई है। गर्मियों के मौसम में पक्षियों को दाना-पानी की समस्याएं प्रारंभ हो जाती हैं। यह मौसम पक्षियों के लिए समस्या बनने के साथ ही उनके लिए जानलेवा भी साबित होता है। कड़कड़ाती धूप में भूख और प्यास से तड़पते कई पक्षी हर वर्ष काल के गाल में समा जाते हैं। इन बेजुबानों पर लोगों पर कम ध्यान दिया जाता है। ऐसे में यह पहल पक्षियों को बचाने में काफी मददगार साबित होगी।

फ्री में ले सकते हैं सकोरे व दाने

बीइंग रेस्पॉन्सिबल संस्था की अध्यक्ष सुरभि चौरसिया के मुताबिक गर्मियों में पक्षियों को भूख-प्यास से बचाने यह पहल प्रारंभ की गई है। जिसके तहत लोगों को सकोरे (मिट्टी के बर्तन) के साथ ज्वार-बाजरे के दाने का वितरण किया जा रहा है। जो लोग पक्षियों को बचाने में अपनी सहभागिता निभाना चाहते हों उन्हें मुफ्त में यह उपलब्ध करवाए जा रहे हैं जिससे वह अपनी घरों की छतों व बाहर पानी व दाना रखकर पक्षियों की भूख व प्यास मिटाने में मदद कर सकते हैं।

बेसहारा लोगों की भी संस्था कर रही मदद

संस्था द्वारा यह सेवाभाव केवल बेजुबानों तक ही सिमटकर नहीं रह गई है। संस्था बेसहारा सड़कों पर घूमने वाले नन्हे बच्चों के साथ ही अन्य जरूरमतदों को धूप से बचाने के लिए भी पहल कर रही है। छोटी सी पहल के माध्यम से लोगों को टोपी और चप्पल का वितरण भी किया जा रहा है जिससे वे गर्मी के मौसम में कुछ हद तक अपने आपको धूप के प्रकोप से बचा सकें। इसके साथ ही संस्था द्वारा 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के बुजुर्गों के लिए भी डे केयर सेंटर्स का संचालन किया जा रहा है। जहां पर बुजुर्ग शतरंज, तम्बोला, कैरम सहित सांस्कृतिक गतिविधियों का आनंद लेते देखे जाते हैं।

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