Vaccination Campaign: चंद लापरवाह कर्मचारियों के कारण वैक्सीनेशन अभियान सवालों के घेरे में

टीकाकरण का महाअभियान चल रहा है लेकिन महाअभियान में कहीं-कहीं कुछ गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। जो कुछ लापरवाह कर्मचारियों का एक नमूना है।

Update: 2021-11-25 13:41 GMT

Vaccination Campaign

रीवा। भारत सरकार देश के आम लोगों की चिंता करते हुए महामारी से बचाने करोड़ों-अरबों खर्च कर मुफ्त का टीका लगवा रही है। इसके लिए देश भर में टीकाकरण का महाअभियान (Vaccination Campaign) चल रहा है लेकिन महाअभियान में कहीं-कहीं कुछ गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। जो कुछ लापरवाह कर्मचारियों का एक नमूना है। ऐसे कर्मचारी हमेशा अपने कर्तव्य के प्रति गैर जिम्मेदार बने रहते हैं और इन्हीं कर्मचारियों की वजह से शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हो जाते हैं। जबकि इसमें शासन-प्रशासन का कोई दोष नहीं होता है।

रीवा जिले में ही ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां मृत व्यक्ति का भी वैक्सीनेशन किया गया है अथवा बिना वैक्सीन डोज लगे ही वैक्सीन डोज पूरा होने का मोबाइल में मैसेज पहुंच रहा है। अमुक कहीं दूसरे शहर में सालों से रह रहा है और उसके नाम पर दूसरे शहर में वैक्सीन डोज के नाम कागजी कोरम पूरा किया जा रहा है।

लापरवाह कर्मचारियों पर नकेल की जरूरत

जिले में लापरवाह और उदासीन कर्मचारियों की भरमार है। घर बैठे सरकार से तनख्वाह के रूप में मोटी रकम लेना इनकी आदत में शुमार है। जो हमेशा सरकार के कार्य में लापरवाही करते रहते हैं। ऐसे कर्मचारियों की वजह से प्रशासन को जिल्लत झेलनी पड़ती है। प्रशासन को ऐसे लापरवाह कर्मचारियों की जांच पड़ताल कर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। जिससे इनकी आदतों में सुधार लाया जा सके।

हर विभाग में बैठे हैं कर्तव्यहीन कर्मचारी

हम बता दें कि जिले में ऐसे कर्त्तव्य के प्रति लापरवाह कर्मचारी बैठे हुए हैं जो सिर्फ राजनीति करके उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं। ऐसे कर्मचारी ज्यादातर अपने अधिकारी की चाटुकारिता करते हुए नजर आएंगे अथवा नेताओं के आगे-पीछे घूमकर नौकरी चलाते हैं। इन्हीं कर्मचारियों की वजह से सरकार की योजना मूर्तरूप नहीं ले पाती है।

कुछ ऐसे भी कर्मचारी पदस्थ हैं जिनकी नात-रिश्तेदार राजनीति में हैं जिनकी धौंस देकर वह सरकारी कार्यो में लापरवाही करते रहते हैं। जान लीजिए कि वैसे तो ये कर्मचारी आफिस कम ही जाते हैं और यदि कभी गये भी राजनीतिक धौंस की ही बात करते बैठे रहेंगे। अब ऐसी स्थिति काम कौन करेगा? फिर सरकारी काम तो बिगड़ना ही है। शासन-प्रशासन को ऐसे कर्मचारियों पर कड़ी नजर रखनी होगी तभी गड़बड़ियों में सुधार होगा।

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