रीवा के सेमरिया विधायक अभय मिश्रा पर FIR: विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस का सरकार से तीखा सवाल
रीवा के कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा पर FIR को लेकर विधानसभा के मानसून सत्र में जमकर हंगामा हुआ. अभय मिश्रा ने खुद को बेगुनाह बताते हुए महिला CSP से दुर्व्यवहार और मारपीट के मामले में सरकार से तुरंत जवाब मांगा.;
मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को रीवा के कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा पर दर्ज एफआईआर (FIR) को लेकर जमकर हंगामा हुआ. जैसे ही विधायक अभय मिश्रा को सदन में बोलने का मौका मिला, उन्होंने एक महिला सीएसपी (CSP) के साथ कथित दुर्व्यवहार और खुद पर मारपीट के मामले में दर्ज एफआईआर को लेकर सरकार से तुरंत जवाब मांगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि वे बेगुनाह हैं और उन पर की गई यह कार्रवाई पूरी तरह से गलत है. विधायक मिश्रा की बात का समर्थन करते हुए नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार भी सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगने लगे. दोनों नेता लगातार इस मुद्दे को सदन में उठाते रहे, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई. विधानसभा अध्यक्ष ने बार-बार कार्यवाही को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस विधायक अपनी मांग पर अड़े रहे और हंगामा जारी रखा.
महिला CSP से दुर्व्यवहार का आरोप: विधायक ने मांगी सफाई
कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा पर एक महिला सीएसपी के साथ कथित दुर्व्यवहार का आरोप है, जिसके बाद उनके खिलाफ मारपीट के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी. विधायक मिश्रा का कहना है कि ये आरोप बेबुनियाद हैं और उन्हें राजनीतिक दबाव के तहत फंसाया जा रहा है. उन्होंने सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से पूछा कि क्यों एक महिला अधिकारी से जुड़े मामले में, जहां उन पर गलत आरोप लगाए गए हैं, उनके खिलाफ इतनी जल्दी कार्रवाई की गई. उनका यह सवाल सरकार से इस मामले में स्पष्टता और पारदर्शिता की मांग करता है.
कांग्रेस विधायक ने उठाया पक्षपात का मुद्दा: 'भाजपा नेता पर कार्रवाई नहीं, हम पर क्यों?'
विधायक अभय मिश्रा ने इस पूरे मामले में सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एक भाजपा नेता और पूर्व विधायक ने थाने में एक महिला अधिकारी से कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया था, लेकिन उस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई. मिश्रा ने कहा, "अगर यही काम किसी और ने किया होता, तो अब तक सख्त कार्रवाई हो चुकी होती."
उन्होंने इसे दोहरा मापदंड बताते हुए सवाल उठाया कि जब एक ही तरह के आरोप भाजपा नेता पर लगे तो कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन उन पर तुरंत एफआईआर क्यों दर्ज कर ली गई. कांग्रेस का मानना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से की गई है, ताकि विधायक की छवि खराब की जा सके.
कैलाश विजयवर्गीय की सफाई: 'मुख्यमंत्री के संज्ञान में है मामला'
सदन में जारी हंगामे के बीच, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सरकार की ओर से सफाई दी. उन्होंने कहा कि यह मामला पहले ही मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया जा चुका है. विजयवर्गीय ने बताया कि विधायक अभय मिश्रा सहित अन्य लोग भी इस विषय में व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं और अपनी बात रख चुके हैं. उन्होंने कहा कि यह बात पहले ही सदन के रिकॉर्ड में आ चुकी है, इसलिए इस समय हंगामे का कोई औचित्य नहीं है. विजयवर्गीय ने विपक्ष से शांति बनाए रखने और सदन की कार्यवाही को चलने देने की अपील की. इसके बावजूद विपक्ष काफी देर तक अपनी बात पर अड़ा रहा और हंगामा जारी रहा, जिससे सदन में गहमागहमी बनी रही.
क्यों हुई थी FIR?
यह पूरा विवाद 24 जुलाई को शुरू हुआ था जब एक व्यक्ति ने मारपीट और उंगली काटने की शिकायत दर्ज कराई थी. अगले दिन, 25 जुलाई की सुबह, घायल अभिषेक तिवारी ने चोरहटा थाने पहुंचकर कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा पर सैलरी मांगने पर हमला करने का आरोप लगाया था. शुरुआत में, एफआईआर दर्ज नहीं हुई, तो भाजपा के पूर्व विधायक केपी त्रिपाठी ने अपने समर्थकों के साथ थाने में धरना दिया. भाजपा नेताओं के दबाव के बाद, 25 जुलाई की रात को विधायक अभय मिश्रा पर एफआईआर दर्ज की गई, जिससे रीवा में राजनीतिक तनाव बढ़ गया. यह FIR अब विधानसभा तक पहुंच गई है, जिससे यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है.