रीवा में 80 की उम्र में सेवानिवृत्त शिक्षक कर रहे पीएचडी, अपने जूनून से युवाओं को करते हैं प्रेरित

MP Rewa News: आज के समय में जहां अधिकतर युवा अपनी डिग्री को पूरा करने के बाद नौकरी की तलाश में लग जाते हैं, वहीं अयोध्या सिंह ने हमेशा से ही शिक्षा को महत्व देते रहें हैं।

Update: 2022-07-18 06:09 GMT

MP Rewa News: कहते हैं कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। इस बात को साबित किया है एक सेवानिवृत्त शिक्षक ने। पढ़ाई का ऐसा जुनून की 80 वर्ष की उम्र में वह पीएचडी कर रहे हैं। पढ़ाई, शिक्षा और ज्ञान को सर्वोपरी मानने वाले शिक्षक अयोध्या सिंह की जीवनी किसी मिसाल से कम नहीं है। आज के समय में जहां अधिकतर युवा अपनी डिग्री को पूरा करने के बाद नौकरी की तलाश में लग जाते हैं, वहीं अयोध्या सिंह ने हमेशा से ही शिक्षा को महत्व देते हुए पीएचडी करने का अपना सपना पूरा करने में लगे हुए हैं।

अयोध्या सिंह की माने तो युवा अवस्था में वह अपनी पढ़ाई की अभिलाषा को पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण पूरा नहीं कर पाए थे। इस बात का मलाल उन्हें हमेशा से रहा। अपने पढ़ाई के सपने को पूरा करने के लिए उन्होने न सिर्फ टीआरएस कॉलेज (TRS College Rewa) से पढ़ाई की, बल्कि अब हायर एजुकेशन की सबसे बड़ी डिग्री पीएचडी करने की ओर अग्रसर है। रीवा जनपद के ग्राम डिहिया के निवासी अयोध्या सिंह की 80 वर्ष की अवस्था में न सिर्फ बौद्धिक क्षमता युवाओं की तरह कायम बल्कि हैं बल्कि वे पढ़ाई के मामले में मात देते हुए भी नजर आते हैं।

2004 में सेवानिवृत्त

अयोध्या सिंह 2004 में सेवानिवृत्त हुए थे। गौरतलब है कि बीसीआई की ट्रेनिंग करने के बाद सबसे पहले वह 1961 में खजुहा महसांव में शिक्षक के रूप में पदस्थ हुए थे। इस दौरान वे डभौरा स्कूल में शिक्षक के पद पर पदस्थ रहे। अंत में स्वयं अपने गृह ग्राम डिहिया स्कूल जहां उन्होने पढ़ाई की वहीं शिक्षक बन गए, यहीं से सेवानिवृत्त भी हुए।

देरी से शुरू की पढ़ाई, मार के डर नहीं जाते थे स्कूल

ऐसा नहीं है कि हमेशा से ही अयोध्या सिंह (Ayodhya Singh) के मन में पढ़ाई की लगन थी। हर बच्चे की तरह इनके मन में स्कूल और टीचरों का डर कायम था। अपने बचपन में स्कूल जाने से वह इसलिए डरते थे क्योंकि पढ़ाई न करने पर बच्चों की पिटाई की जाती थी। इसी कारण से वह 10 साल तक स्कूल ही नहीं गए। 11 साल की उम्र में इनकी शैक्षणिक शुरूआत हुई। इनका प्रथम दाखिला डिहिया के समीपस्थ स्कूल भटलो के सरकारी स्कूल में 1952 में हुआ। इस दौरान इनके गृहग्राम डिहिया में कोई स्कूल नहीं था। 1953 में जब डिहिया स्कूल खुली तो रिश्ते के चाचा जो कि इसी स्कूल में शिक्षक थे उन्होने अयोध्या सिंह का दाखिला डिहिया स्कूल में करा दिया। पढ़ाई में लगन और प्रतिभा को देखते हुए इन्हें कक्षा 5 में दाखिला दिया गया। इसके बाद वे सिंगरौली, बैढ़न में चाचा के साथ रहते हुए पढ़ाई की। गुढ़ स्कूल से कक्षा आठवीं पास किया। इसके बाद चाचा केपी सिंह जब छतरपुर में लेक्चरर रहे तो वहां उन्होने 9वीं की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद मार्तण्ड हायर सेकेण्ड्री स्कूल से 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की

2018 में लिया कॉलेज में एडमिशन 

बताया गया है कि 2018 में अयोध्या सिंह ने अपनी हायर एजुकेशन की इच्छा को पूरा करने के लिए टीआरएस कॉलेज में एक छात्र के रूप में एडमिशन लिया। यहां से उन्होने अपनी यूजी-पीजी की डिग्री पूरी करने के बाद एमफिल भी किया। इतनी डिग्री लेने के बाद भी जब इनका मन नहीं भरा तो इन्होने पीएचडी करने का निर्णय लिया। अब वह समाजशास्त्र से पीएचडी कर रहे हैं।

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