एमपी के नर्मदापुरम में अनूठी पहलः महिला कैदियों के बच्चे पढ़ने जाएंगे आंगनबाड़ी केन्द्र

एमपी के नर्मदापुरम केन्द्रीय जेल में कैदियों के बीच शिक्षा की अलख जगाने के लिए एक नई पहल प्रारंभ की गई है। हत्या के जुर्म में सजायाफ्ता महिला कैदियों के बच्चों को शिक्षित किया जाएगा।

Update: 2023-01-12 09:54 GMT

एमपी के नर्मदापुरम केन्द्रीय जेल में कैदियों के बीच शिक्षा की अलख जगाने के लिए एक नई पहल प्रारंभ की गई है। हत्या के जुर्म में सजायाफ्ता महिला कैदियों के बच्चों को शिक्षित किया जाएगा। जेल में सजा काट रहे कैदियों के बच्चों को आंगनबाड़ी भेजा जाएगा जहां वह शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।

जेल के बाहर की देख सकेंगे दुनिया

मां के साथ जेल में बंद बच्चे जब बाहर की दुनिया देखेंगे तो वह अशिक्षा से हीन भावना का शिकार न हो सकें। इससे बच्चों को बचाने के लिए जेल प्रशासन द्वारा अनूठी पहल प्रारंभ की गई है। केन्द्रीय जेल नर्मदापुरम में महिला कैदी के साथ रहने वाले बच्चे शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे। दो बच्चों का एडमिशन भी पुलिस लाइन स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र में करा दिया गया है। इनको प्रतिदिन जेल से आंगनबाड़ी तक लाने और ले जाने की जिम्मेदारी जेल प्रबंधन की रहेगी। जिन दो बच्चों का आंगनबाड़ी में प्रवेश दिलाया गया है वह तकरीबन ढाई साल बाद जेल से बाहर आए हैं। पहली बार जेल से बाहर की दुनिया देख वह काफी उत्साहित और आनंदित नजर आए। किताबों में ही उन्होंने गाड़ियों और जानवरों को देखा था किन्तु जेल से बाहर की दुनिया में वह साक्षात इनको देखकर काफी प्रसन्न नजर आए।

बच्चों को पढ़ाई की सुविधा प्रदान करने के हैं निर्देश

इस संबंध में जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय के रिट पिटीशन 559/94 में पारित आदेश 13.4.2006 एवं जेल मुख्यालय भोपाल के परिपत्र 25 सितंबर 2006 के बिंदु क्रमांक 11 के अनुसार जेल में रह रहे तीन से 6 साल तक के बच्चों के लिए नर्सरी की सुविधा प्रदान करने के निर्देश हैं। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय जेल नर्मदापुरम परिसर में नर्सरी की सुविधा नहीं है। जिसके कारण दोनों बच्चों को शिक्षा, मनोरंजन एवं खेलकूद की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से पुलिस लाइन में संचालित आंगनबाड़ी में प्रवेश दिलवाया गया है। जिसमें एक तीन वर्ष का बच्चा है जबकि दूसरी 4 वर्ष की बच्ची है। बताया गया है कि बच्चे की मां हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास में पिछले दो-ढाई साल से बंद है। जबकि दूसरे के माता-पिता दोनों हत्या के जुर्म में आजीवन सजा काट रहे हैं।

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