शोक में डूबा विंध्य, सतना और सीधी में शहीद जवानों को दी गई अंतिम विदाई, राजकीय एवं सैन्य सम्मान से हुई अंत्येष्टि

जम्मू में शहीद जवान शंकर प्रसाद पटेल को उनके गृह ग्राम में दी गई अंतिम विदाई

Update: 2022-04-24 12:55 GMT

विंध्यवासियों की नम आँखों ने रविवार को शहीद हुए जवानों को अंतिम विदाई दी। जम्मू से सतना जिले के मैहर स्थित अमदरा के नौगवां गांव जैसे ही जम्मू में आंतकी हमले में शहीद हुए सीआईएसएफ के एएसआई शंकर प्रसाद पटेल का पार्थिव शरीर पहुचा। पूरा क्षेत्र गमगीन हो गया। उनकी पत्नी और दोनों बच्चों के आँखों से आआशुओं की धाराएं थमने का नाम नहीं ले रही थी। तो बच्चों साष्टांग होकर अपने पिता को नमन किए। इस दौरान गांव में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी।

सीएम के प्रतिनिधि ने अर्पित किया पुष्प चक्र

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के प्रतिनिधि के तौर पर पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल ने पुष्प चक्र अर्पित कर कंधा दिया। वही शहीद परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए बताया गया है कि सीएम शिवराज सिंह ने राज्य सरकार की ओर से शहीद के परिवार को एक करोड़ की सहायता निधि एवं परिवार के एक सदस्य को नौकरी, शहीद के नाम से गांव गेट बनवाए जाने सहित अन्य घोषणाएं की है।

राजकीय एवं सैन्य सम्मान के साथ दी विदाई

सीआईएसएफ के एएसआई शहीद शंकर प्रसाद पटेल को सीआईएसएफ के आईजी सहित जवानों ने सलामी दी। इसके बाद अंतिम यात्रा शुरू की गई। जंहा राजकीय एंव सैन्य सम्मान के साथ शहीद शंकर प्रसाद पटेल को अंतिम विदाई दी गई है। शहीद को अर्मी अफसरों के साथ ही राज्यमंत्री, सांसद, विधायक, कलेक्टर, एसपी ने कंधा दिया।

आंतकियों से लड़ते हो गए थें शहीद

अमर शहीद शंकर प्रसाद पटेल को 18 अप्रैल को ही भिलाई से जम्मू भेजा गया था। आंतकियों के सबंध में खूफिया जानकारी मिलने के बाद वे अपने साथियों के साथ उनकी तलाश में सर्च ऑपरेशन चला रहे थें। इसी बीच आंतकियों ने हमला कर दिया और शंकर प्रसाद अंतकियों के गोला बारूद का निशाना बन गए। मौके पर ही उन्होने अंतिम सांसे ले ली थी। इस हमले में कई अन्य जवान भी घायल हो गए थे।

एक वर्ष था सेवाकाल

जानकारी के तहत शहीद शंकर प्रसाद पटेल का जन्म वर्ष 1963 में हुआ था। वे 1988 में सीआईएसएफ में भर्ती हुए जहां बाद में वे पदोन्नत होकर एएसआई बने। बताया जाता है कि उनका आर्मी में सेवाकाल महज एक वर्ष का ही शेष था और अगले वर्ष उनका रिटायरमेंट था, लेकिन रिटायर्ड होने से पहले वे मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

सीधी के राघुवेन्द्र शहीद

वही विंध्य क्षेत्र सीधी जिला निवासी राघुवेन्द्र सिंह चौहान डूयुटी के दौरान शहीद हो गए है। उनका पार्थिव शरीर सेना के जवान रविवार को उनके गृह ग्राम कोल्हूडीह लेकर पहुचें जहां सैन्य सम्मान के साथ सोना नदी के किनारे अंतिम संस्साकार किया गया। इस दौरान सेना के जवानों ने उन्हे सलामी दी। खबरों के तहत राघुवेन्द्र सिंह, 61 बटालियान में थें और वे वर्तमान में वेस्ट बंगाल के रायगढ़ में अपनी सेवाएं दे रहे थे। 22 अप्रैल को वे ड्यूटी पर थें। अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और उन्होने अंतिम सांसे ले ली।

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