लॉकडाउन के बीच मध्यप्रदेश में एस्मा लागू, सीएम शिवराज ने ट्वीट कर दी जानकारी

लॉकडाउन के बीच मध्यप्रदेश में एस्मा लागू, सीएम शिवराज ने ट्वीट कर दी जानकारीभोपाल. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर कोशिश कर

Update: 2021-02-16 06:19 GMT

लॉकडाउन के बीच मध्यप्रदेश में एस्मा लागू, सीएम शिवराज ने ट्वीट कर दी जानकारी

भोपाल. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर कोशिश कर रही है। बुधवार दोपहर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक चौकाने वाला फैसला लेते हुए पूरे प्रदेश में एस्मा लागू कर दिया है। सरकार ने प्रदेश में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून 'एस्मा' (Essential Service Management Act) तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। इसके तहत अब सराकारी कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे। आखिर मुख्यमंत्री को एस्मा लगाने की जरूरत क्यों पड़ी इसको लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। सीएम ने ट्वीट करके जानकारी दी है।

क्या है एस्मा?

  • आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्‍मा) हड़ताल को रोकने के लिये लगाया जाता है। विदित हो कि एस्‍मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्‍य दूसरे माध्‍यम से सूचित किया जाता है।
  • एस्‍मा अधिकतम छह महीने के लिये लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध‍ और दण्‍डनीय है।

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सरकारें क्यों लगाती हैं एस्मा?

  • सरकारें एस्मा लगाने का फैसला इसलिये करती हैं क्योंकि हड़ताल की वजह से लोगों के लिये आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है। जबकि आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून यानी एस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है।
  • इसके तहत जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते, अन्यथा हड़तालियों को छह माह तक की कैद या ढाई सौ रु. दंड अथवा दोनों हो सकते हैं।
निष्कर्ष
  • एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचल सकती है, विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है।
  • वैसे तो एस्मा एक केंद्रीय कानून है जिसे 1968 में लागू किया गया था, लेकिन राज्य सरकारें इस कानून को लागू करने के लिये स्वतंत्र हैं। उल्लेखनीय है कि थोड़े बहुत परिवर्तन कर कई राज्य सरकारों ने स्वयं का एस्मा कानून भी बना लिया है और अत्यावश्यक सेवाओं की सूची भी अपने अनुसार बनाई है।

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