एमपी पुलिस हुई हाई टेक: अब मशीन पर अंगूठा लगाते ही अपराधी का क्राइम रिकार्ड आ जाएगा सामने

MP News: अब अपराधियों की पहचान करना व उन्हें पकड़ना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर नहीं रहेगी। एक ऐसी तकनीक विकसित की गई है जिसके माध्यम से अपराधी आसानी से पुलिस की गिरफ्त में आ जाएंगे।

Update: 2023-03-22 12:52 GMT

अब अपराधियों की पहचान करना व उन्हें पकड़ना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर नहीं रहेगी। एक ऐसी तकनीक विकसित की गई है जिसके माध्यम से अपराधी आसानी से पुलिस की गिरफ्त में आ जाएंगे। बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाते ही अपराधी के सभी रिकार्ड सामने होंगे। ऐसे में पुलिसकर्मी जिन अपराधियों को नहीं पहचानते हैं वह भी उसे पहचान कर पकड़ सकेंगे।

अपराधियों को पकड़ना होगा आसान

एमपी इंदौर में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद से ही पुलिस द्वारा अपराधियों की पहचान सुनिश्चित करने के साथ ही उनको पकड़ने के लिए नई तकनीक विकसित की गई है। इंदौर पुलिस के साथ मिलकर सिटीजन कॉप द्वारा इस तकनीक को विकसित किया गया है। इसके उपयोग से अपराधियों की पहचान आसानी से की जा सकेगी। सिटीजन कॉप द्वारा विकसित इस तकनीक में बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाते ही अपराधी के समस्त रिकार्ड पुलिस के सामने आ जाएंगे। जिन्हें वह आसानी से पकड़ सकेंगे।

दी गईं 40 क्रिमिनल ट्रैकिंग बायोमैट्रिक मशीन

इंदौर के सभी पुलिस थानों और क्राइम ब्रांच को कुल 40 क्रिमिनल ट्रैकिंग बायोमैट्रिक मशीन प्रदान की गई हैं। इन मशीनों का 9 महीने तक ट्रायल करने के बाद इन्हें सौंपा गया। इसके माध्यम से सड़कों पर खुलेआम घूमने वाले अपराधियों को आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा। व्यक्ति के पिछले रिकार्ड का पता लगाना बेहद मुश्किल होता है किंतु इस मशीन के जरिए अब पुलिस को काफी आसानी होगी। इसमें अंगूठा लगाते ही अपराधी की पिछली कुंडली पुलिस के सामने आ जाएगी। इसके साथ ही चेकिंग प्वाइंट पर खड़े पुलिसकर्मी किसी भी संदिग्ध व्यक्ति का बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा लगवाकर उसकी पहचान कर सकेंगे।

अपडेट होता है डेटाबेस

अपराधियों की आसानी से पहचान हो सके इसके लिए यह अब इंदौर पुलिस को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अपराध राजेश हिंगणकर के मार्गदर्शन में पुलिस उपायुक्त अपराध शाखा इंदौर निमिष अग्रवाल के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की टीम इस तरह का फिंगरप्रिंट डेटाबेस बनाने के लिए लगातार कार्य कर रही है। यह डेटाबेस समय के साथ लगातार अपडेट भी होता है। डीसीपी निमिष अग्रवाल के मुताबिक हमारे पास आंतरिक कामकाज के लिए एक अलग ऐप है। सभी डेटा प्रविष्टि सुरक्षित पैनलों का उपयोग करके की गई है। उन्होंने बताया कि इससे संदिग्ध व्यक्तियों के आपराधिक इतिहास को ट्रैक किया जा सकेगा। जिससे अपराधी दहशत में आएंगे और खुलेआम शहर में घूमने से कतराएंगे। इसकी मदद से अपराध पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकेगी।

इनका कहना है

इस संबंध में सिटीजन कॉप के संस्थापक राकेश जैन के मुताबिक इसे एक सुरक्षित प्लेटफार्म पर बनाया गया है। इस तरह के डेटा का उपयोग प्रतिबंधित है। यह इंदौर पुलिस अधिकारियों के नियंत्रण में रहेगा। ऐसे बायोमेट्रिक उपकरणों का उपयोग केवल अधिकृत अधिकारी ही कर सकेंगे। इससे संदिग्ध व्यक्तियों की आसानी से पहचान के साथ ही अपराधियों की पिछली कुंडली भी सामने आ जाएगी।

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