पादना बुरी आदत है या अच्छी आदत, इसके बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारियां...
पिछले एक घंटे से मैं सोच रहा हूं कि क्या इंट्रो लिखूं, लेकिन सूझ ही नहीं रहा. बात ही ऐसी है, पादने पर स्टोरी कैसे लिखी जाए, कहीं सिखाया नहीं जाता, न ही ये ऐसी बात है, जो अनुभव से सीख ली जाए. तो सीधे मुद्दे पर कूद जाते हैं. आज हमने तय किया है कि रोज़मर्रा की एक ऐसी चीज़ के बारे में बात की जाए जिससे पाला हमारा रोज़ पड़ता है लेकिन हम उसके बारे में कभी बतियाते नहीं – पादना. आपको लग सकता है कि ये शब्द ‘असंसदीय’ है, लेकिन शरीर से डकार के अलावा हवा जिस तरह बाहर निकलती है, उसे सादे इंसान की भाषा में पादने के अलावा क्या कहा जाए, मुझे नहीं मालूम. आपको मालूम हो, तो कमेंट्स में बताएं.
पादना बुरी आदत है क्या?ऐसा लोग कहिते हैं. बचपन से आपको सिखा दिया गया है कि बुरा है तो आपने मान लिया कि बुरा होता है. और ऐसा पीढ़ी दर पीढ़ी हुआ है. (इसलिए आज तक किसी महापुरुष की जीवनी में उनके किए तमाम गैरज़रूरी कामों के ज़िक्र के बावजूद उनके पादने का ज़िक्र नहीं मिलता) इसलिए आपने मान लिया है कि पादना बुरा है. लेकिन सच इससे बिलकुल उलट है. पादना अच्छी सेहत की निशानी है. ये बताता है कि आप पर्याप्त मात्रा में फाइबर खा रहे हैं और आपके शरीर में पाचक बैक्टीरिया की अच्छी संख्या मौजूद है.
पाद होती क्या है?हवा होती है. वो, जो आप खाते-खाते निकल जाते हैं या दूसरी वजहों से फेफड़ों की जगह पेट में चली जाती है. इसके अलावा आपका खाया खाना जब पचते हुए आंत में पहुंचता है, तो उस पर बैक्टीरिया काम करने लगते हैं. ये बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते, हमारे दोस्त होते हैं, उस स्टार्च और शक्कर को पचाते हैं जिसे हमारा शरीर आसानी से नहीं पचा पाता. इस दौरान भी गैस निकलती है. आमतौर पर इस प्रक्रीया में दो से छह कप तक गैस पैदा होती है. अब गैस शरीर के अंदर जाएगी (और पैदा होगी) तो वो बाहर भी निकलेगी. ये गैस आपके ‘गुदा द्वार’ (अंग्रेज़ी में एनस; बेहतर शब्द जानते हों तो बताएं) से बाहर निकलती है. यही पाद है.
बिना गंध वाली पादकभी-कभी शरीर सिर्फ वो हवा बाहर निकाल रहा होता है, जो खाते-खाते शरीर में चली गई. तो इसमें हाइड्रोजन सल्फाइड नहीं होती. तो इस तरह की पाद में गंध नहीं होती. ये डकार की तरह ही होती है, बस शरीर की दूसरी तरफ से निकल रही होती है.