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CORONA के बाद कि दुनिया कैसी होगी ? पढ़ लीजिए जरूरी खबर

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:26 AM GMT
CORONA के बाद कि दुनिया कैसी होगी ? पढ़ लीजिए जरूरी खबर
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CORONA के बाद कि दुनिया कैसी होगी ? पढ़ लीजिए जरूरी खबरREWA: इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज नहीं तो कल दुनिया CORONA से जंग

CORONA के बाद कि दुनिया कैसी होगी ? पढ़ लीजिए जरूरी खबर

REWA: इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज नहीं तो कल दुनिया CORONA से जंग जीत जाएगी लेकिन तब तक 7.7 बिलियन की जनसंख्या में न जाने कितने संक्रमित हो चुके होंगे और न जाने कितनों ने अपने प्रियजनों को खो दिया होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस तूफान के गुजरने के बाद हम वापिस से सामान्य जिंदगी में लौट जाएंगे या एक नई दुनिया ही हमारा घर बन जाएगी। क्योंकि इतिहास गवाह रहा है कि जब जब दुनिया में कोई संकट या आपदा अाई है ,उससे उभरने के बाद विश्व बड़े बदलावों से गुज़रा है फिर चाहे वह विश्व युद्ध रहा हो या वैश्विक मंदी। कई जानकारों कि माने तो महामरी के बाद दुनिया में कई आर्थिक, सामाजिक एवं रणनीतिक बदलाव देखने मिल सकते हैं।

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अगर आर्थिक नीतियों एवं आदतों में होने वाले बदलावों कि ओर ध्यान दिया जाए तो अब दुनिया जल्द ही डिजिटल इकॉनमी के रूप में उभरेगी। डिजिटल बिल भुगतान ,घर से काम और डिजिटल व्यवसाय अब व्यापक स्तर पर समाज का हिस्सा बन जाएंगे। छोटे से लेकर बड़े व्यवसाय डिजिटल मीडिया के ज़रिए कारोबार करने एवम् ग्राहकों तक पहुंचने की ओर कोशिश करेंगे।
इसके अलावा कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अब दुनिया भूमंडलीकरण से दूर संरक्षणवाद की तरफ बढ़ेगी। ज़ाहिर है कि कोविड ने दुनिया को फिर से एक आर्थिक संकट पर लाकर खड़ा कर दिया है।अगर नुकसान की आंकडों की बात करें तो कूल नुकसान 9 खरब डॉलर के करीब होने का अनुमान है, जो वैश्विक जीडीपी का करीब 10 प्रतिशत है। इसके अलावा साल 2020 में 2.4 % से 2.8% का नुकसान वैश्विक जीडीपी को हो सकता है।
इसी कारण दुनिया के देश सर्वप्रथम अपनी आर्थिक स्थिति एवम् नुकसान को सुधारने का प्रयास करेंगे जिसके लिए वे अपने स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देंगे। नतीजतन आयतों पर लगने वाले करों में बढ़ावा एवम् आपसी व्यापार में कमी होगी तथा दुनिया संरक्षणवाद की अोर बढ़ेगी। इसका अंदाज़ा अमेरिका की वीज़ा नीति एवम् कुवैत में हुए प्रवसियों के कानूनों में हुए बदलावों से अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
वहीं रणनीतिक बदलावों की ओर देखें तो वायरस के कारण दुनिया की नाराज़गी का परिणाम चीन को भुगतना पड़ सकता है। हालांकि इसकी शुरुआत कई उद्योगों के चीन को छोड़ने से हो चुकी है। इसके अलावा चीन की विस्तारवादी नीति के कारण भी कई देश उससे खार खाए बैठे हैं। वहीं दक्षिणी चीनी सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए अमेरिका, जापान ,ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की सेनाओं ने भी गश्त लगाने शुरू कर दिए हैं।

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जिस कारण दक्षिणी चीनी सागर अब दुनिया का नया हॉटस्पॉट बनने वाला है।वहीं अमेरिका एवम् चीन में एक नए शीत युद्ध की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है, जिसका फायदा कुछ हद तक भारत को देखने मिल सकता है।कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस संकट से दुनिया के मुकाबले कम नुकसान होने की उम्मीद है जिस कारण भारत आने वाले दिनों में एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर सकता है। कोरोना के दौरान विश्व स्वास्थय संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर सवाल उठे हैं एवम् अमेरिका विश्व स्वास्थय संगठन से बाहर हो चुका है। ऐसे में इन सगठनों के समतुल्य नए संगठनों के बनने एवम् संयुक्त राष्ट्र में सुधार की संभावनाओं से मुंह नहीं फेरा जा सकता है।
इस महामारी के दौरान हम कई तरह के सामाजिक बदलावों से गुज़रे हैं महज़ सामाजिक दूरी, मास्क पहनना, साफ़ सफाई रखना, इत्यादि। इनमे से कई आदतें कोरोना खत्म के बाद भी हमारे आमजीवन के हिस्सा बन जाएंगे। मसलन लोग अपने दोस्तों व करीबियों का हाथ मिलाने एवम् गले मिलने के बजाय मुस्कुरा कर अभिवादन करेंगे।
इसके अलावा सामाजिक एवम् खेलों के आयोजन पर रोक, थियेटरों और होटलों पर प्रतिबंध भी जारी रह सकते हैं हालांकि यह अल्पकालीन होंगे एवम् समय रहते साथ इनमें छूट प्रदान की जाएगी। वहीं अब बाहर से आनेवाले पर्यटकों के लिए कोविड मुक्त प्रमाणपत्र होना अनिवार्य कर दिया जाएगा।स्कूल, कॉलेज, होटलों, कार्यस्थलों, फैक्टरियों इत्यादि में सामाजिक दूरी, घर से काम, सा़फ- सफाई रखना एक आम आदत बन जाने की संभावना है। इसके अलावा दुनिया भर की सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को अपना प्रथम लक्ष्य बना सकती हैं।

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इन सबसे ऊपर इस विपदा ने हम मनुष्यों ने पर्यावरण को किस हद तक नुकसान पहुंचाया है इससे वाक़िफ कराया है। इस महामारी के फैलाने के पीछे कहीं ना कहीं मनुष्य की लापरवाही एवम् पर्यावरण के प्रति हमारी अनदेखी ही हैं। जिस कारण अब दुनियाभर के देश सतत विकास की ओर ध्यान देंगे एवम् हरित अर्थव्यवस्था बनने की कोशिश करेंगे।
यह शायद पर्यावरण के प्रति हमारी लापरवाही ही है कि 1980 से अब तक दुनिया में 12000 से भी ज्यादा बार संक्रमक बीमारियां फैली हैं और उनसे दुनिया में दसियों लाख लोग मरे हैं। इसलिए यह एक मनुष्य होने के नाते हम सबकी ज़िम्मेदारी बनती है कि पर्यावरण के प्रति हम सजग रहें ताकि आने वाले दिनों में हम ऐसी महामारियों को फैलने से रोक सकें। [रीवा से लेखक विपिन तिवारी]
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