मध्यप्रदेश

Kamalnath का यह दांव, कही SHIVRAJ सरकार को चित न कर दे

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:19 AM GMT
Kamalnath का यह दांव, कही SHIVRAJ सरकार को चित न कर दे
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Kamalnath का यहाँ दांव, कही SHIVRAJ सरकार को चित न कर देभोपाल. तमाम कोशिशों के बावजूद अपनी सरकार बचाने में असफल रहे

Kamalnath का यहाँ दांव, कही SHIVRAJ सरकार को चित न कर दे

भोपाल. तमाम कोशिशों के बावजूद अपनी सरकार बचाने में असफल रहे कमलनाथ (Kamalnath) का यह दावा बेहद चौंकाने वाला है कि भारतीय जनता पार्टी के कई नेता इस्‍तीफा दे चुके हैं. इन इस्‍तीफों के सामने आने के बाद शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) को सरकार चलाना मुश्किल हो सकता है. माना यह जा रहा है कि पिछले महीने मध्‍य प्रदेश में चली राजनीतिक उठा पटक में कमलनाथ ने अपनी सरकार को बचाने के लिए कुछ भाजपा विधायकों से इस्‍तीफे पर दस्‍तखत कराकर अपने पास रख लिए होंगे, जिनका उपयोग वे सही समय आने पर कर सकते हैं.

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कोरोना के संकट के बीच भी मध्‍य प्रदेश में राजनीतिक आरोप प्रत्‍यारोप के स्‍वर भी यदाकदा सुनाई दे रहे हैं. विपक्षी दल कांग्रेस और उसके नेता प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से लेकर शिवराज सिंह चौहान तक को कटघरे में खडा करने की कोशिश कर रहे हैं. कमलनाथ का आरोप है कि उनकी सरकार को यदि गिराया नहीं गया होता तो कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण हो सकता था. राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ मध्‍य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष हैं.

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कांग्रेस पार्टी विधानसभा में विपक्ष के नेता का नाम तय नहीं कर पाई है. कमलनाथ अभी भी विधायक दल के नेता हैं. अनुमान यह लगाया जा रहा है कि विधानसभा का सत्र जब भी होगा, कांग्रेस अपने विधायक दल का नेता तय कर लेगी. कमलनाथ को यह उम्‍मीद लग रही है कि पार्टी को विपक्ष का नेता चुनने की आवश्‍यकता ही नहीं पडेगी. इस उम्‍मीद की वजह विधानसभा के उप चुनाव हैं. कमलनाथ का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी एक भी वह सीट नहीं जीत पाएगी, जिसके कांग्रेस विधायकों ने इस्‍तीफे दिए हैं. निर्णायक होंगे चौबीस विधानसभा उप चुनावों के परिणाम

ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया समर्थक 22 विधायकों द्वारा इस्‍तीफा दिए जाने के कारण कमलनाथ सरकार अल्‍पमत में आ गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फ्लोर टेस्‍ट कराए जाने से पहले ही कमलनाथ ने अपनी सरकार का इस्‍तीफा राज्‍यपाल लालजी टंडन को सौंप दिया था. विधानसभा की खाली हुईं कुल 24 सीटों का उप चुनाव छह महीने से पहले होना है. 22 सीटें इस्‍तीफे के कारण रिक्‍त हुईं हैं तो दो सीट विधायकों के निधन के कारण खाली हैं. ये दो सीटें जोरा एवं आगर मालवा की हैं.

विधानसभा के आम चुनाव में कांग्रेस ने 230 में 114 सीटें जीती थीं. बहुमत के लिए कुल 116 सीटों की आवश्‍यकता होती है. कांग्रेस ने इसकी पूर्ति सपा-बसपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल कर की थी. 22 विधायकों के इस्‍तीफे के बाद कांग्रेस के सदस्‍यों की संख्‍या घटकर 92 रह गई है.

कांग्रेस को 22 सीटें अपने खाते में करनी होंगी

कांग्रेस को यदि सत्‍ता में वापसी करनी है तो उसे यह सभी 22 सीटें अपने खाते में करनी होंगी. 22 सीटों में से 16 विधानसभा सीट सिंधिया के प्रभाव वाले ग्‍वालियर-चंबल संभाग की हैं. मध्‍य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्‍ता जेपी धनोपिया कहते हैं कि 22 विधायकों ने जिस तरह से कांग्रेस पार्टी को धोखा दिया है,उनके क्षेत्र की जनता उप चुनाव में उन्‍हें इसका जवाब देगी. कांग्रेस सत्‍ता में वापसी करेगी.

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कमलनाथ के पास हैं भाजपा विधायकों के इस्‍तीफे

मध्‍य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्‍ता रजनीश अग्रवाल पूर्व मुख्‍यमंञी कमलनाथ के इस बयान से इत्‍तेफाक नहीं रखते कि भारतीय जनता पार्टी से भी कुछ इस्‍तीफे हुए हैं. अग्रवाल कहते हैं कि यदि इस्‍तीफे होते तो कमलनाथ अपनी सरकार नहीं बचा लेते.

भारतीय जनता पार्टी के कुछ विधायकों द्वारा अपने इस्‍तीफे कमलनाथ को सौंपे जाने की चर्चा उन दिनों भी चली थी, जब सरकार पर खतरा मंडरा रहा था. कांग्रेस पक्ष की ओर से यह दावा लगातार किया जा रहा था कि भाजपा के पांच विधायकों ने अपने इस्‍तीफे लिखकर कमलनाथ को दे दिए हैं. इन विधायकों में दो नाम प्रमुख रुप से सामने आए थे, जो कि नारायण त्रिपाठी और शरद कौल हैं. नारायण को अपने पक्ष में रखने के लिए ही कमलनाथ ने मैहर को जिला बनाने का निर्णय लिया था. सरकार गिर गई, लेकिन नारायण त्रिपाठी का इस्‍तीफा सामने नहीं आया.

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शरद कौल का भी इस्‍तीफा नहीं हो सका मंजूर

विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍यों की संख्‍या 107 है. भाजपा को सपा-बसपा के अलावा निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्‍त है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा 19 मार्च को दिए गए फ्लोर टेस्‍ट के आदेश के बाद तत्‍कालीन विधानसभा अध्‍यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने भाजपा विधायक शरद कौल का इस्‍तीफा स्‍वीकार कर लिया था. जबकि उन्‍होंने राज्‍यपाल लालजी टंडन और विधानसभा अध्‍यक्ष प्रजापति को यह लिखकर कहा था कि उनसे इस्‍तीफा जबरन लिखवाया गया है.

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प्रजापति ने कमलनाथ के दबाव में कौल का इस्‍तीफा मंजूर किया था. लेकिन विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह द्वारा तकनीकी आधार पर शरद कोल की सीट को रिक्‍त घोषित नहीं किया. कौल का इस्‍तीफा मंजूर होने की अधिूसचना भी जारी नहीं की गई. मौजूदा स्थिति में कोल अभी भी विधायक हैं. वर्तमान में विधानसभा अध्‍यक्ष भी भारतीय जनता पार्टी का ही है. ऐसे में यदि कमलनाथ के पास भाजपा विधायकों के इस्‍तीफे होंगे भी तो उनके सामने आने के बाद भी मंजूर नहीं होंगे.

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