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चाणक्य नीति: इन लक्षणों वाले पुरूष होते हैं बेहद भाग्यशाली, जानिए क्या आपमें है यह गुण

Manoj Shukla
30 April 2021 5:55 PM GMT
चाणक्य नीति: इन लक्षणों वाले पुरूष होते हैं बेहद भाग्यशाली, जानिए क्या आपमें है यह गुण
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चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में स्त्री-पुरूष के हर गुणों का बखान किया है। आचार्य कहते है कि स्त्री के तरह ही पुरूष के अंदर भी कई तरह के गुण पाए जाते हैं। इन्हीं गुणों के चलते उन्हें समाज में पद-प्रतिष्ठा मिलती।

चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में स्त्री-पुरूष के हर गुणों का बखान किया है। आचार्य कहते है कि स्त्री के तरह ही पुरूष के अंदर भी कई तरह के गुण पाए जाते हैं। इन्हीं गुणों के चलते उन्हें समाज में पद-प्रतिष्ठा मिलती। आचार्य ने पुरूषों के कई लक्षणों का जिक्र किया है। आचार्य कहते है कि जिस पुरूष के अंदर इस तरह के गुण पाए जाते हैं वह पुरूष बेहद ही भाग्यशाली होते हैं। इन्हीं गुणों के चलते वह समाज में पूजे जाते हैं। तो चलिए जानते हैं आचार्य द्वारा पुरूषों के लिए बताए गए उन विशेष लक्षणों के बारे में। जो पुरूष को महान बनाते हैं।

चाणक्य नीति: इन लक्षणों वाले पुरूष होते हैं बेहद भाग्यशाली, जानिए क्या आपमें है यह गुणपरिवार का ध्यान

आचार्य कहते है कि जो पुरूष अपने परिवार का सदैव ध्यान रखता हैं। परिवार के साथ ही वह अपने मित्रों एवं हितैषियों के सदैव संपर्क में रहता हैं। ऐसे पुरूष भाग्य के धनी होते हैं। ठीक इसी तरह आचार्य कहते है कि जिन पुरूषों की आदत ज्यादा बोलने की बजाय चुप रहने की होती है। उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।

निजी बातों रखता है सीक्रेट

आचार्य कहते है कि जो पुरूष अपनी निजी बातों को किसी के सामने उजागर नहीं करता हैं। अथवा सीक्रेट ही रहता है वह पुरूष भाग्य का धनी होता है। क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि निजी बातों को निजी ही रखना चाहिए। जो पुरूष ऐसा करते हैं सुखी जीवन व्यतीत करते हैं।

खुद की तारीफ..

आचार्य कहते है कि वह पुरूष भी काफी भाग्यशाली होते हैं जो खुद की कभी तारीफ नहीं करते हैं। क्योंकि शास्त्रों में खुद की तारीफ करना अहंकार माना जाता है। इसी तरह जो पुरूष सभी का आदर करता है उस पर भगवान की कृपा सदैव बनी रहती है। साथ ही उसके अंदर कभी भी किसी को लेकर बुरा ख्याल नहीं होता है।

धर्म की राह

इसी तरह आचार्य कहते है कि जो पुरूष धर्म की राह पर चलकर धन कमाता है वह बेहद ही भाग्य शाली होता हैं। आचार्य का मत है कि किसी भी तरह का पाप से कमाया हुआ धन विनाश का कारण बनता है। इसलिए धन को सदैव अच्छे काम करके या मेहनत करके ही कमाना चाहिए।

संतुष्टि

आचार्य कहते है कि जिस पुरूष के अंदर संतुष्टि की भावना होती हैं वह पुरूष बेहद ही भाग्यशाली होता हैं। यानी कि उसके पास जितना है वह उतने में खुश है यह उसके बड़प्पन को दर्शाता है। ऐसे पुरूष भाग्य के धनी होते हैं और प्रभु की कृपा हमेशा इन पर बनी रहती है।

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