Ukraine और Russia के बीच जंग के हालात क्यों पैदा हुए, बड़े प्रेम से पॉइंट टू पॉइंट समझ लीजिये

Ukraine Russia War Reason: रूस ने यूक्रेन सीमा पर अपने 1,25000 सैनिकों और कई जंगी हथियारों को को तैनात कर दिया है वहीं यूक्रेन भी पीछे हटने के लिए मंजूर नहीं है

Update: 2022-02-17 10:55 GMT

Ukraine Russia War Reason: महाशक्ति रशिया और उसके पडोसी मुल्क यूक्रेन के बीच तनाव काफी बढ़ने लगा है। दुनिया की कई शक्तियां इस तनाव को शांत करने के लिए साम, दाम, दंड, भेद, मोह, माया सब लगा चुकी हैं लेकिन रशिया के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। हालात ऐसे हैं कि किसी भी वक़्त NATO के देश और रूस के बीच जंग शुरू हो सकती है और ये भी हो सकता है कि दो देशों के बीच का युद्ध विश्वयुद्द तृतीय का रूप न लेले। 

क्या है रूस यूक्रेन विवाद 

हरा वाला भाग रूस है और नारंगी रंग का छोटा सा देश यूक्रेन है 

दोनों देशों के बीच विवाद का एक कारण है वो है यूक्रेन को NATO में शामिल करना। यूक्रेन उत्तरी अटलांटिक संघी संगठन यानी के NATO का सदस्य बनना चाहता है और रूस इसका विरोध कर रहा है। रूस ये नहीं चाहता कि NATO अमेरिका और पश्चिमी देशों के बीच के गठबंधन में यूक्रेन को शामिल किया जाए. वो नहीं चाहता कि किसी भी हाल में उसका पडोसी देश यूक्रेन नाटो का दोस्त बन जाए. 

नाटो क्या है (What Is NATO in Hindi) 


NATO का फुलफॉर्म North Atlantic Treaty Organization है इसे हिंदी में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन कहते हैं. NATO एक सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना 4 अप्रेल 1949 में हुई थी. इस संगठन का मुख्य मकसद है एक दूसरे की जंगी हालातों में मदद करना। पहले NATO सिर्फ एक राजनितिक संगठन था लेकिन बाद में अमेरिकी कमांडर्स ने मिलकर इसे एक सैन्य संरचना में बदल दिया। NATO में सबसे ज़्यादा अमेरिका खर्चा करता है इसी लिए नाटो को अमेरिका डोमिनेट करता है। वहीं ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी और इतनी जैसे देश भी भारी-भरकम बजट खपाते हैं.

  • दूसरे विश्वयुद्द के बाद सोवियत यूनियन (Soviet Union) और अमरीका के बीच शीट युद्ध चालू हो गया था, साल 1947 में सोवित ुनियन ने अंतराष्ट्रीय संघियों का उन्लंघन करते हुए बर्लिन की नाकेबंदी कर दी थी। इसके बाद कुछ देशों ने मिलकर ऐसा यूनियन बनाया जो एक दूसरे की सैन्य ताकतों का इस्तेमाल एक दूसरे की मदद के लिए करें 
  • शुरुआत में अमेरिका, फ़्रांस, बेल्जियम, लक्ज़्मर्ग, ब्रिटेन, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैंड, इटली, नॉर्वे, पुर्तगाल और नीदरलैंड्स ने मिलकर NATO बनाया 
  • NATO में अब 31 देश शामिल है और उनमे रूस नहीं है, NATO की स्थापना ही रूस से बचने के लिए की गई थी.

रूस को यूक्रेन से दिक्कत क्या है 


NATO में बीते सालों में रूस के कुछ पडोशी देश शामिल हुए थे जैसे एस्टोनिया और लातविया, यह कभी सोवियत संघ का हिस्सा थे, यूक्रेन भी कभी सोवियत यूनियन का ही हिस्सा था, बाद में सोवियत यूनियन का विभाजन हुआ और रूस अलग देश बना जबकि कई छोटे-छोटे नए देश बन गए. रूस के पडोसी देश जो भी सोवियत यूनियन का हिस्सा थे वो अब रूस के दुश्मन हैं। अब अगर यूक्रेन भी NATO का हिस्सा बन जाएगा और कभी रूस के खिलाफ यूक्रेन हमला करता है या रूस यूक्रेन में हमला करता है तो NATO की पॉलिसी के तहत बाकी 30 NATO के देश भी रूस के खिलाफ खड़े हो जाएंगे और यूक्रेन की मदद करेंगे। अमेरिका तो रूस से पंगा लेने के लिए दशकों से इंतज़ार कर ही रहा है।  

एक बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था यूक्रेन का रूस से अलग होना ऐसा है जैसे अपना सिर काट देना। असल में जब 1939 से 1945 तक चले दुसरे वर्ल्ड वॉर में रूस पर हमला हुआ था तब यूक्रेन के जरिये की रूस ने अपनी रक्षा की थी. 

यूक्रेन नाटो में क्यों शामिल होना चाहता है 


  • ये बात 100 साल पुरानी है, बात 1917 की है तब ना तो रूस था न ही यूक्रेन कोई देश था यह सब सोवियत यूनियन का हिस्सा थे, कह लीजिये जैसे अखंड भारत था जिसमे अफ़ग़ान, तिब्बत, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, जैसे देश थे. 1917 में हुई रूस क्रांति के बाद सोवियत यूनियन से कई देश अलग हो गए. यूक्रेन ने भी खुद को अलग देश बना दिया, हालांकि 3 साल बाद 1920 में यूक्रेन फिर से सोवियत यूनियन का हिस्सा बन गया लेकिन फिर भी वहां के लोग खुद को आज़ाद मुल्क मानते रहे. 
  • 1991 में जब सोवियत यूनियन का विघटन हुआ था तो यूक्रेन के अलावा 15 ऐसे देश थे जो फिर से रूस से अलग हो गए, देखा जाए तो यूक्रेन को आजादी 1991 में मिली थी. यूक्रेन रूस जैसी महाशक्ति के सामने एक तिनके भर का देश है, रूस बहुत बड़ा है और यूक्रेन पिद्दी भर का देश है। ऐसे में यूक्रेन चाहता है कि अगर कभी भविष्य में रूस वापस यूक्रेन में कब्ज़ा करता है तो वो रूस का कुछ उखाड़ नहीं पाएगा। इसी लिए नाटो का हिस्सा बनना ज़रूरी है तब 30 देशों की सैन्य ताकत भी उसे मिल जाएगी। 

यूक्रेन के पास कुछ भी नहीं है 


रूस के पास किसी समुद्र जितनी सेना है और यूक्रेन की सेना उस समुद्र में एक लोटा पानी के बराबर भी नहीं है। यूक्रेन के पास 1.1 मिलियन सेना है जबकि रूस के पास 2.9 ,मिलियन सिपाही हैं. यूक्रेन के पास सिर्फ 98 फाइटर जेट हैं जबकि रूस के पास 1500 लड़ाकू विमान हैं. रूस के पास ऐसे कई आधुनिक हथियार हैं जो पल भर में यूक्रेन क्या आसपास के सभी दुश्मन देशों का खात्मा कर सकता है। 

अमेरिका को क्या मतलब है 


दिक्कत ये है कि अमेरिका NATO का अघोषित बादशाह बना फिरता है, जाहिर है नाटो की स्थापना में अमरीका का बहुत बड़ा सहयोग रहा है। जब यूक्रेन ने NATO ज्वाइन करने की बात कि तो रूस भड़क गया. रूस से अमेरिका की दोस्ती नहीं है और दुश्मनी पुरानी है इसी लिए अमेरिका बीच में कूद गया और रूस से बोला अगर किसी ने यूक्रेन को हाथ भी लगाया तो दिक्कत हो जाएगी। इसके लिए अमेरिका ने यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए आश्वाशन दिया और 3000 सैनिक लड़ने के लिए भेज दिए, 

यूक्रेन के साथ और कौन से देश हैं 


अमेरिका के साथ ब्रिटेन, फ़्रांस और नाटो के कई देश हैं जो यूक्रेन के समर्थन में खड़े हैं. दिक्कत वाली बात ये है कि अगर रूस इन देशों से नाराज हो गया तो फिर वह गैस की सप्लाई रोक देगा। यूरोपीय देश अपनी गैस की एक तिहाई आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं. अगर रूस से यह देश ज़्यादा भसड़ करते हैं तो उन्ही का नुकसान है। 

भारत किसके साथ है यूक्रेन या फिर अपने दोस्त रूस 


  • भारत ज़्यादा विदेशी मामलों में उंगली नहीं करता, भारत तो खुद 3 तरफ से अपने दशमनों और देश के अंदर रहने वाले देशद्रोहियों से परेशान है. भारत के लिए रूस भी दोस्त है और अमेरिका भी. उधर यूक्रेन से भी भारत की मित्रता है।  साल 1993 में यूक्रेन ने सबसे पहले अपना दूतावास भारत में खोला था. रूस और यूक्रेन दोनों भारत के पक्के दोस्त हैं. 
  • भारत अगर रूस का साथ देता है तो चीन की कूटनीति में ना चाहते हुए भी शामिल हो जाएगा, क्योंकि चीन रूस के साथ है , चीन से भारत की अनबन है. इसी लिए भारत ने यूनाइटेड नेशन में यूक्रेन और रूस को लेकर आये एक प्रस्ताव में वोट ही नहीं डाला था. भारत के 20 हज़ार स्टूडेंट्स भी यूक्रेन में फंसे हैं. 

यूक्रेन खुद 2 हिस्सों में बटा है 

एक तरफ यूक्रेन के लोग खुद को आज़ाद रखना चाहते हैं वहीं पूर्वी यूक्रेन के लोगों का कहना है कि उन्हें दूसरे देशों के बहकावे में नहीं आना चाहिए और रूस के प्रति वफादार रहना चाहिए, एक दल ऐसा है जो रूस के समर्थन में है और एक पश्चिमी देशों के साथ खड़ा है।  कुलमिलाकर यूक्रेन जैसा छोटा देश दुनिया की 2 महाशक्तियों के बीच फंस गया है। 

तो क्या युद्द होगा 


रूस एक सुपरपावर है अगर रूस की बात नहीं मानी जाती तो यह उसका अपमान होगा, इसी लिए वह यूक्रेन में हमला करेगा, यूक्रेन रूस के सामने बच्चा है तो उसकी मदद करने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन, फ़्रांस जैसे देश खड़े हो जाएंगे, वहीं रूस के साथ चीन खड़ा हो जाएगा। अगर NATO यूक्रेन को अपने संघ का हिस्सा बना लेता है और रूस हमला कर देता है तो समझिये यह तीसरे विश्वयुद्द का आगाज है।  

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