एलन मस्क ने बनाई 'अमेरिका पार्टी': कहा- रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों भ्रष्ट, क्या अमेरिका में खत्म होगा दो-दलीय वर्चस्व?
अरबपति एलन मस्क ने अमेरिका में 'अमेरिका पार्टी' नाम से नई पॉलिटिकल पार्टी बनाने का ऐलान किया है। इसका लक्ष्य दो-दलीय प्रणाली से मुक्ति दिलाना है।;
अरबपति बिजनेसमैन एलन मस्क ने अमेरिकी राजनीति में एक बड़ा कदम उठाया है। शनिवार को उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक नई राजनीतिक पार्टी के गठन का ऐलान किया, जिसका नाम 'अमेरिका पार्टी' रखा गया है। मस्क ने इस घोषणा के साथ ही एक पब्लिक पोल भी साझा किया था, जिसमें उन्होंने लोगों से पूछा था कि क्या वे दो-दलीय प्रणाली से आज़ादी चाहते हैं और क्या एक नई पार्टी बनाई जानी चाहिए। पोल के नतीजों में 65.4% लोगों ने 'हाँ' में वोट दिया, जिसके बाद मस्क ने पार्टी बनाने का ऐलान किया।
क्यों बनाई 'अमेरिका पार्टी'? मस्क का तर्क
मस्क ने अपने पोस्ट में कहा कि 66% लोगों ने एक नई राजनीतिक पार्टी की इच्छा जताई थी, और अब यह उन्हें मिलेगी। उन्होंने मौजूदा अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, "जब बात अमेरिका को बर्बाद करने और भ्रष्टाचार की आती है तो अमेरिका में दोनों पार्टी (रिपब्लिकन और डेमोक्रेट) एक ही जैसी हैं। अब देश को 2 पार्टी सिस्टम से आज़ादी मिलेगी।" उनका यह बयान मौजूदा राजनीतिक दलों के प्रति व्यापक निराशा को दर्शाता है और एक नए विकल्प की तलाश करने वाले मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है।
अमेरिका में ख़त्म होगा टू-पार्टी सिस्टम?
अमेरिका में बीते डेढ़ सौ साल से डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दो ही पार्टियों का दबदबा रहा है। राष्ट्रपति चुनाव से लेकर राज्यों की विधानसभाओं तक इन दोनों दलों का वर्चस्व है। इस दो-दलीय प्रणाली को अक्सर अमेरिकी लोकतंत्र की स्थिरता की वजह भी माना जाता है।
डेमोक्रेटिक पार्टी: इसकी शुरुआत 1828 में एंड्रू जैक्सन के दौर में हुई थी। शुरुआत में इसे किसानों और आम जनता की पार्टी माना जाता था। 20वीं सदी में यह सामाजिक कल्याण, न्यू डील जैसे आर्थिक सुधारों और नागरिक अधिकारों की पैरोकार बनी।
रिपब्लिकन पार्टी: यह 1854 में गुलामी के विरोध में बनी और अब्राहम लिंकन इसके पहले राष्ट्रपति बने। 20वीं सदी में यह व्यापार और टैक्स कट के समर्थन वाली पार्टी बन गई।
क्यों सफल नहीं हो पाईं तीसरी पार्टियां?
अमेरिका में कई बार तीसरी पार्टियाँ बनाई गईं, लेकिन ज़्यादातर सफल नहीं हो सकीं।
- 1912 में राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने 'बुल मूस पार्टी' बनाई और 88 इलेक्टोरल वोट हासिल किए, लेकिन पार्टी अगले चुनाव तक भी नहीं टिक पाई।
- 1992 में रॉस पेरोट ने 19% पॉपुलर वोट लिए, फिर भी उन्हें एक भी इलेक्टोरल वोट नहीं मिला।
- इन दलों को फंडिंग, संगठन और मीडिया में पर्याप्त जगह नहीं मिलती। मतदाता भी उन्हें "वोट काटने वाला" मानते हैं। यही वजह है कि लिबर्टेरियन या ग्रीन पार्टी जैसी पार्टियाँ अब तक राष्ट्रपति चुनाव में 3-4% से ज़्यादा वोट नहीं ले पाई हैं। अमेरिका में तीसरी पार्टी के सफल न हो पाने की बड़ी वजह इसका का चुनावी सिस्टम है, जो दो-दलीय प्रणाली को ही सपोर्ट करता है।
अमेरिकी टू-पार्टी सिस्टम के मजबूत होने के 5 बड़े कारण
फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम: यहाँ यह प्रणाली लागू है, जहाँ जो उम्मीदवार सबसे ज़्यादा वोट लाता है, वही जीतता है, चाहे उसे बहुमत मिले या नहीं। इससे छोटे दलों को समर्थन देना "वोट खराब करने जैसा" माना जाता है।
इलेक्टोरल कॉलेज: राष्ट्रपति के चुनाव में सीधे वोटिंग नहीं होती है। यहाँ राज्यों के इलेक्टोरल वोट से राष्ट्रपति तय होते हैं। तीसरी पार्टियों का पूरे राज्यों में जीतना लगभग असंभव होता है।
बैलेट एक्सेस कानून: अलग-अलग राज्यों में उम्मीदवारों को नामांकन के लिए हज़ारों लोगों के हस्ताक्षर जुटाने पड़ते हैं, जो छोटे दलों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
फंडिंग: 2024 में डेमोक्रेटिक पार्टी के पास फंडिंग में 1.2 अरब डॉलर की बढ़त रही। छोटे दल इस रकम का 1% भी नहीं जुटा पाते।
प्रेसिडेंशियल डिबेट: बहस में शामिल होने के लिए उम्मीदवार को राष्ट्रीय सर्वे में 15% समर्थन चाहिए होता है, जो तीसरी पार्टी के लिए लगभग असंभव हो जाता है।
मस्क और ट्रम्प का पुराना विवाद
एलन मस्क और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हाल ही में "बिग ब्यूटीफुल बिल" को लेकर तीखी नोकझोंक हुई थी, जिसके बाद मस्क ने ट्रम्प सरकार से खुद को अलग कर लिया था। यह बिल टैक्स और खर्च में कटौती से संबंधित था। ट्रम्प ने मस्क पर नाराजगी जताई थी कि जब उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के अनिवार्य कानून में कटौती की बात की, तो मस्क को दिक्कत होने लगी। ट्रम्प ने कहा था, "मैं एलन से बहुत निराश हूँ। मैंने उनकी बहुत मदद की है।"
इसके जवाब में मस्क ने X पर ट्रम्प को "एहसान फरामोश" बताते हुए कई ट्वीट किए और यहाँ तक कह दिया था कि "मैं नहीं होता तो ट्रम्प चुनाव हार जाते।" उन्होंने ट्रम्प पर महाभियोग चलाने तक की बात कही थी। मस्क का तर्क था कि ट्रम्प का यह बिल अमेरिका में लाखों नौकरियाँ खत्म कर देगा और देश को रणनीतिक नुकसान पहुंचाएगा। हालांकि, 4 जुलाई को ट्रम्प के हस्ताक्षर करने के बाद यह बिल कानून बन चुका है।