रीवा: काम न आया पूर्व विधायक के बेटे होने की धौंस देना, कटा चालान, वाहन जप्त

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Update: 2021-02-16 06:00 GMT

रीवा। केंद्र सरकार ने VIP कल्चर ख़त्म करने के लिए वाहनों से लाल, पीली और नीली बाियों को तो हटा दिया, लेकिन लोगों के मन में घर कर चुका वीआईपी कल्चर अभी भी दिख रहा है। अभी भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो अनाधिकृत रूप से अपनी गाडिय़ों में हूटर लगाकर वीआईपी होने का सबूत पेश कर रहे है। पुलिस अब ऐसे वाहनों पर चालानी कार्रवाई कर रही हैं।

रविवार को ऐसी ही कार्रवाई शहर के सिरमौर चौराहे में उस वक्त हुई, जब भाजपा की पूर्व मनगवां विधायक का पुत्र नेमप्लेट व हूटर लगे वाहन से जा रहा था। इस दौरान चौराहे में मौजूद ट्रैफिक सूबेदार ने गाड़ी रोक ली और चालान कटवाने के लिये कहा। इस दौरान वाहन में ड्राइविंग सीट पर बैठे युवक ने रौब दिखाते हुए खुद को विधायक का पुत्र बताया और चालान कटवाने से मना कर दिया। लेकिन सूबेदार ने नियमों का उल्लंघन वाले हर व्यक्ति को सामान्य बताते हुये वाहन को जत कर थाने भेज दिया और रात करीब 9 बजे 3000 रुपये का चालान काटा गया।

जानकारी के मुताबिक ट्रैफिक सूबेदार अमित विश्वकर्मा रविवार को सिरमौर चौराहे में काली फिल्म, डिफरेंट नबर प्लेट, हूटर, एस्ट्रा लाइन लगे वाहनों की जांच पड़ताल कर रहे थे। तभी पूर्व विधायक मनगवां लिखे हुये वाहन को रोका गया। वाहन में दो व्यक्ति सवार थे। वाहन में अनाधिकृत नेमप्लेट, प्रेशर हार्न तथा हूटर लगा हुआ था। वाहन में ये सारे उपकरण यातायात नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में आते हंै। सूबेदार ने जब वाहन में सवार युवक से चालान कटवाने को कहा तो ड्राइविंग सीट पर बैठे मुकेश प्रजापति ने खुद को पूर्व भाजपा विधायक पन्नाबाई का पुत्र बताया और बिना चालान काटे ही गाड़ी छोडऩे को कहने लगा। वाहन सवार ने सूबेदार को विधायक पुत्र होने का रौब दिखाते हुये कहा कि यह विधायक की गाड़ी है, किसी प्रकार का कोई चालान नहीं भरा जाएगा। काफी रौब रुतबे के बाद भी सूबेदार अड़े रहे और अंत में वाहन को जत कर थाने भेजते हुये कहा कि थाने आकर चालान कटवाना पड़ेगा, अन्यथा वाहन न्यायालय से छूटेगा। सूबेदार ने कहा कि नियम सभी के लिए एक समान हैं, चाहे वह नेता हो या मंत्री या फिर आम आदमी हो या पुलिस के अधिकारी।

जनप्रतिनिधि ही उड़ा रहे नियमों की धज्जियां

जिले में हूटर लगे वाहनों की कमी नहीं है। खासतौर पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि ही नियमों को तोड़ रहे है। ज्यादातर जनप्रतिनिधियों में हूटर लगी गाडिय़ों में घूमने का शौक इस कदर हावी है कि वह भूल जाते हैं कि इसका अधिकार उन्हें है ही नहीं। इतना ही नहीं, क्षेत्र व शहर में ऐसे भी कई छुटभैय्या नेता हैं जो खुलेआम वाहनों पर हूटर लगाकर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, आरटीओ, डायल100 वाहनों पर ही हूटर लगाए जा सकते हैं। अन्य वाहनों में हूटर लगाने पर पांच हजार रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है।

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