रीवा न्यायालय का फैसला: हत्या के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा

रीवा के गोविंदगढ़ थाना क्षेत्र में आठ वर्ष पूर्व एक महिला की हत्या कर दी गयी थी।

Update: 2024-02-08 03:56 GMT

हत्या के मामले में आरोपी को रीवा के न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा व अर्थदण्ड से दंडित किया है। 

रीवा। गोविंदगढ़ थाना क्षेत्र में आठ वर्ष पूर्व एक महिला की हत्या कर दी गयी थी। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों, दस्तावेज एवं प्रस्तुत तर्कों के आधार पर विशेष न्यायाधीश एससीएसटी सुरेन्द्र कुमार ने आरोपी भीम कुशवाहा एवं ममता कोल को धारा 302, 201 भादवि के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही एक-एक हजार का अर्थदंड भी लगाया है।

यह है मामला

अभियोजन से मिली जानकारी अनुसार मृतका के देवर ने 28 जुलाई 2016 में थाना गोविन्दगढ़ में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी भाभी 27 जुलाई 2016 को शाम 04 बजे बिना बताये घर से निकली तथा उनके दोनों बच्चे उनके पास घर में थे। मृतका के पति मुम्बई में काम करते थे। मृतका शाम तक घर नहीं आई तो समझा गया कि मायके चली गई होगी। सुबह 08 बजे गांव के प्रिन्स नामक युवक ने बताया कि एक औरत की लाश भण्डारी वाले खेत में पड़ी है। तब उसने जाकर देखा तो लाश उसकी भाभी की थी।

उक्त सूचना पर पुलिस प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच की। जांच में पाया गया कि मृतका को धारदार औजार से चोटें पहुंचाई गई है तथा लाश गुलमेंहदी की झाड़ियों में छिपाई गई थी। जांच के आधार पर थाना गोविन्दगढ़ में हत्या का मामला पंजीबद्ध किया गया। विवेचना के दौरान फरियादी एवं साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किये गये। जिस पर प्रथम दृष्टया प्रकरण में अभियुक्तगण भीम कुशवाहा, ममता कोल एवं मोतीलाल कोल की भूमिका पायी गई। जिस पर विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के समक्ष अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। जिस पर अभियोजन की ओर से 28 साक्षियों के कथन कराये गये और 40 दस्तावेजों को प्रदर्शित कराया गया। 14 आर्टिकिल्स प्रस्तुत किये गये।

उक्त प्रकरण में अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत किए गए साक्षियों के कथन एवं दस्तावेजों के आधार पर विशेष न्यायाधीश एससी- एसटी कोर्ट ने आरोपी भीम कुशवाहा को धारा 302 और 201 के अंतर्गत दोषी पाते हुए धारा 302 में आजीवन कारावास व 201 में 3 वर्ष का कारावास तथा 1000 रु. जुर्माने से दण्डित किया है। ममता कोल को 120बी का दोषी पाया गया है, 120बी, 302 के साथ है, जिस पर भी न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा एवं 1000 रु. के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। आरोपी मोतीलाल कोल को न्यायालय ने बरी कर दिया है। अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक एसपी पाण्डेय एवं राकेश कुमार निगम ने की।

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