MP विस चुनाव 2018 : रीवा विधानसभा क्षेत्र से 'किसका पलड़ा भारी' ?
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रीवा। विधानसभा चुनाव नजदीक है। सवर्ण, ओबीसी, अल्पसंख्यक समाज एससी/एसटी एक्ट के विरोध में खड़े हैं। लिहाजा चुनाव का परिणाम आसान नहीं होगा।
लगातार तीन पंचवर्षीय रीवा में कमल खिलाने वाले शिवराज सरकार के केबिनेट मंत्री राजेन्द्र शुक्ल समेत विधायकी का सपना संजोए उम्मीदवारों को इस चुनाव में काफी जहद्दोजहद का सामना करना पड़ेगा। कोई ठोस प्रतिद्वंदी न होने के बावजूद भी इस बार भाजपा को रीवा से सवर्ण, ओबीसी, अल्पसंख्यक समाज के भारी भरकम विरोध का सामना करना पड़ सकता है। हालात ऐसे हैं कि इस विरोध के चलते प्रदेश भर के नेता, मंत्री, विपक्ष के नेता सभी जनसभा में जाने से कतरा रहे हैं। वहीं सवर्ण, ओबीसी बाहुल्य क्षेत्र विन्ध्य में तो हालात और भी खराब हैं।
सूत्रों की माने तो एट्रोसिटी एक्ट को लेकर भाजपा के समर्थक भी भाजपा से नाराज दिख रहे हैं। वहीं इसका फायदा कांग्रेस अपने आप में देख रही है। कांग्रेस को लग रहा है भाजपा से नाराज आगामी विधानसभा में कांग्रेस को वोट देंगे। परंतु यह भी कांग्रेस की महज एक कल्पना है। सवर्ण, ओबीसी, अल्पसंख्यक समाज भाजपा के साथ कांग्रेस का भी विरोध कर रही है। हाल ही में हुए 6 सितम्बर को सवर्णों के भारत बंद के दौरान कोई भी नेता एससीएसटी एक्ट के खिलाफ सामने नहीं आया।
रोजाना सोशल मीडिया से लेकर चाय चुक्कड़ की दुकानों तक इस बात पर डिबेट हो रहे हैं कि भाजपा-कांग्रेस समेत सभी राजनैतिक दल सवर्ण विरोधी हैं। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैंसले के विरोध में संसद में एससी-एसटी कानून सर्वसम्मत से पारित हुआ, एक भी सांसद, जनसेवक ने इसका विरोध नहीं किया। लिहाजा खामियाजा दोनो बड़ी पार्टियों को भुगतना पड़ सकता है।
कांग्रेस में उम्मीदवारी को लेकर संशयरीवा विस से भाजपा की ओर से राजेन्द्र शुक्ल की टिकट फाइनल मानी जा रही है। परंतु 3 पंचवर्षीय सत्ता से दूर रह रही कांग्रेस की उम्मीदवारी अभी तक संशय में है। रीवा में कांग्रेस की टिकट की दौड़ पर प्रमुख रूप से कविता पाण्डेय, अभय मिश्रा एवं राजेन्द्र शर्मा ही दिखाई दे रहे हैं। पार्टी आलाकमान को यह भी देखना होगा कि विकासपुरूष की छवि बना चुके राजेन्द्र शुक्ल को कौन सा उम्मीदवार चुनौती दे सकता है, वहीँ बसपा को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मध्यप्रदेश में बसपा की सबसे प्रभावशील सीटें विंध्य से ही आती है।