MP School Winter Dress Rule: ठंड में अलग रंग के कपड़े पहनने पर रोक नहीं — स्कूल छात्रों को जबरन यूनिफॉर्म पहनने को बाध्य नहीं करेंगे

MP School Winter Order: लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी DEO को निर्देश दिया है कि सर्दी के दिनों में छात्र ठंड से बचने के लिए किसी भी रंग के गर्म कपड़े पहन सकते हैं। स्कूल ऐसी स्थिति में यूनिफॉर्म का दबाव नहीं डालेंगे। जूते-चप्पल उतारने की जबरन बाध्यता पर भी रोक।;

Update: 2025-11-21 09:39 GMT

Top Highlights

  • लोक शिक्षण संचालनालय का आदेश — ठंड में किसी भी रंग के गर्म कपड़े पहनने की छूट
  • अगर छात्र यूनिफॉर्म के बजाय गर्म कपड़े पहनकर आते हैं तो उनका प्रवेश नहीं रोका जा सकता
  • स्कूलों में जूते-चप्पल उतारने की जबरन बाध्यता पर रोक
  • रीवा में DEO ने आदेश का सख्ती से पालन कराने की घोषणा की।
  • कक्षा नर्सरी से 8वीं तक सुबह 9 बजे से पहले कक्षाएं नहीं लगेंगी।

सर्दी बढ़ते ही बदले नियम — छात्रों को किसी भी रंग के गर्म कपड़े पहनने की छूट

रीवा सहित पूरे मध्यप्रदेश में शीतलहर का असर लगातार बढ़ रहा है। इसी बीच स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लोक शिक्षण संचालनालय ने बड़ा फैसला लिया है। अब स्कूल छात्रों को इस बात के लिए बाध्य नहीं कर सकते कि वे केवल स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर ही आएं।

ठंड के कारण कई बच्चे जैकेट, स्वेटर, शॉल और गर्म कपड़े पहनकर स्कूल पहुंचते हैं, जिनका रंग यूनिफॉर्म से अलग होता है। कई निजी स्कूल ऐसे छात्रों को कक्षा में प्रवेश से भी रोक देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं किया जा सकेगा।

क्या कहा आदेश में? — बच्चों की सेहत पहले

जारी आदेश में कहा गया है कि ठंड के मौसम में बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में स्कूल यह सुनिश्चित करें कि कोई भी छात्र केवल यूनिफॉर्म न पहनने के कारण परेशान न हो। यदि छात्र ठंड से बचने के लिए कोई भी गर्म कपड़ा (किसी भी रंग का) पहनता है, तो स्कूल उसके प्रवेश को नहीं रोक सकते। यह निर्देश सरकारी और निजी सभी स्कूलों पर लागू होगा।

जूते-चप्पल उतरवाने की प्रथा भी बंद

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कुछ स्कूलों में छात्रों को कक्षा में प्रवेश से पहले जूते-चप्पल उतारने के लिए कहा जाता है। सर्दियों में जमीन ठंडी होने से बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए अब कोई भी स्कूल बच्चों को जूते-चप्पल उतारने के लिए जबरदस्ती बाध्य नहीं करेगा।

आदिम जाति कल्याण विभाग और छात्रावासों पर भी लागू होंगे नियम

यह आदेश स्कूलों के साथ-साथ आदिम जाति कल्याण विभाग के अधीन आने वाले छात्रावासों और आवासीय विद्यालयों पर भी लागू होगा। जिला शिक्षा अधिकारी के साथ-साथ जिला संयोजक को निर्देश दिया गया है कि सभी छात्रों और छात्रों के अधीक्षकों को यह संदेश तुरंत भेजा जाए।

रीवा जिले में आदेश का सख्ती से पालन

रीवा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सहायक संचालक राजेश मिश्रा ने कहा है कि जिले में इस आदेश का सख्ती से पालन कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि ठंड बढ़ने के साथ ही पहले से ही निर्देश था कि कक्षा नर्सरी से 8वीं तक सुबह 9 बजे से पहले कक्षाएं नहीं लगेंगी। अब नए आदेश के पालन पर भी पूरी निगरानी रखी जाएगी।

स्कूल यूनिफॉर्म vs गर्म कपड़े — माता-पिता की राय

माता-पिता ने इस आदेश का स्वागत किया है। उनका कहना है कि कई बार ठंड में बच्चे यूनिफॉर्म पर स्वेटर या जैकेट पहनते हैं, जिसका रंग अलग होता है। इस कारण कई निजी स्कूल बच्चों को टोकते हैं या दंडित करते हैं, जो बेहद गलत है। सरकार का यह कदम छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है, जो बेहद जरूरी है।

निजी स्कूलों से विशेषज्ञों की अपील

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों को बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। ड्रेस कोड अनुशासन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन सर्दी के दिनों में गर्म कपड़े कहीं ज्यादा जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों में अत्यधिक अनुशासन लागू करने के बजाय वातावरण के अनुरूप लचीले नियम होने चाहिए।

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FAQs – MP Winter School Dress Rule

1. क्या छात्रों को अब किसी भी रंग के गर्म कपड़े पहनने की अनुमति है?

हाँ, ठंड के दिनों में छात्र किसी भी रंग के स्वेटर, जैकेट, शॉल पहन सकते हैं।

2. क्या स्कूल प्रवेश रोक सकते हैं?

नहीं, यूनिफॉर्म न पहनने पर किसी छात्र को रोका नहीं जा सकता।

3. क्या जूते-चप्पल उतारने पर रोक है?

हाँ, ठंड में बच्चों से जूते-चप्पल उतरवाने की बाध्यता पूरी तरह प्रतिबंधित है।

4. आदेश किन संस्थाओं पर लागू है?

सभी सरकारी, निजी स्कूल, छात्रावास और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधीन संस्थान।

5. क्या रीवा में इसका पालन होगा?

हाँ, DEO कार्यालय ने कहा है कि जिले में आदेश का सख्ती से पालन कराया जाएगा।

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