अगर SATNA और REWA में मिला कोरोना पॉजिटिव, तो ये होगी हालत, जरूर पढ़िए !

सतना. देश में तेजी से लोगों को अपने चपेट में ले रहे कोरोना वायरस ने अगर जिले में दस्तक दी तो मरीजों की जान बचाना मुश्किल

Update: 2021-02-16 06:18 GMT

सतना. देश में तेजी से लोगों को अपने चपेट में ले रहे कोरोना वायरस ने अगर जिले में दस्तक दी तो मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो जाएगा। कहीं ऐसा न हो कि कोरोना से पीडि़त मरीज को जीवनरक्षक ऑक्सीजन के आाव में ही अपनी जान गंवानी पड़े। अगर कोरोना से पीडि़त मरीजों का ग्राफ बढ़ता है तो सतना जिला अस्पताल व संजय गांधी मेडिकल कॉलेज में सप्लाई देने वाली कंपनी विनायक इंजीनियरिंग एण्ड मिनरल्स ऑक्सीजन की पूर्ति करने में नाकाम हो जाएगी। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना से पीडि़त मरीज को २४ घंटे में ५-६ ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है, एेसी स्थिति में सप्लाई कंपनी सतना व रीवा जिले के ५०-६० मरीजों के लिए ही ऑक्सीजन तैयार कर पाएगी।

डिसीज कंट्रोल वार्ड में कहां से देंगे ऑक्सीजन देशार में कोरोना की जंग लडऩे के लिए सरकार तमाम हथकंडे अपना रही, तो सरकारी व्यवस्था आी ाी ागवान ारोसे है। एक्सीलेंस अवार्ड का तमगा हासिल कर प्रदेशार में नाम कमाने वाले जिला अस्पताल में कोरोना बीमारी से लडऩे के लिए डिसीज कंट्रोल के नाम पर ४० बेड तो लगा दिए, लेकिन इन बेडों पर ार्ती होने वाले मरीजों को ऑक्सीजन किस माध्यम से कैसे मिलेगी, यह व्यवस्था ाी न के बराबर है। आी ाी प्रबंधन के जिमेदार सामान्य दिनों की तरह बेड के समीप छोटे सिलेंडर(डी-टाइप) लगाकर कोरोना मरीज को २४ घंटे ऑक्सीजन दिए जाने की तैयारी में है।

एक प्लांट पर निर्भर सतना-रीवा मरीजों को दी जाने वाली ऑक्सीजन के लिए  भी सतना व रीवा के दो बड़े अस्पताल एक ही प्लांट व सप्लाई कंपनी पर र्निार हंै। ऐसे में कोरोना के मामले सामने आए तो दोनों जिलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति प्राावित होने में संशय नहीं है। सतना मेंं दो ही एेसे प्लांट हंै जहां मेडिकल ऑक्सीजन तैयार होती है। पहला मैहर स्थित विनायक इंजीनियरिंग एण्ड मिनरल्स में जहां से सतना-रीवा के अस्पताल में सप्लाई ाी दी जाती है। दूसरा शहर के औद्योगिक क्षेत्र स्थित एलाइड एयर प्रोडेक्ट में। यहां बाहर से आने वाले लिक्विड को ऑक्सीजन मेंं कनर्वट कर रिफलिंग की जाती है जो इन दिनों पूरी तरह से बंद है।

48 घंटे मे 77 सिलेंडर की ापत सतना में जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडरों की ापत का आंकड़ा आधा सैकड़ा से अधिक है। अस्पताल के मेजर ओटी, एचडीयू, एसएनसीयू समेत अन्य वार्डों में ४८ घंटे के दौरान मरीजों को कम से कम ७७ सिलेंडर की आवश्यकता पड़ती है, इससे साफ जाहिर है कि जब आवश्यकता पडऩे पर मरीजों को इतनी संया में ऑक्सीजन लगती है तो फिर कोरोना पीडि़त को कितने सिलेंडर की आवश्यकता पड़ेगी।

जिमेदार भी गभ्ंाीर नहीं जिले में ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विााग के अधिकारी पूरी तरह से बेपरवाह हैं। उन्हंे इस बात की ाी चिंता नहीं कि अगर कोरोना के मामले बढऩे की नौबत आती है तो उस स्थिति में मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन कहां से और कै से मिलेगी? एेसा लग रहा जैसे सबकुछ इन अधिकारियों के हाथ में हो तो जरूरत पड़ते ही ऑक्सीजन सिलेंडरों का अस्पताल में स्टॉक कर देंगे।

अगर कोरोना पॉजिटिव केस सामने आता है, तो उन्हें बिल्कुल ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी। अगर गंभीर हुआ तो ५-६ ऑक्सीजन तक एक ही दिन में लगने की संाावना रहती है। डॉ एसपी तिवारी

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