REWA SGMH में पहली बार हुई कूल्हे की जटिल सर्जरी, जनमजात बीमारी से परेशान थी बालिका

संजय गांधी अस्पताल में पहली बार कूल्हे की बीमारी का जटिल आपरेशन किया गया।

Update: 2022-03-26 12:40 GMT

REWA SGMH News: संजय गांधी अस्पताल में पहली बार कूल्हे की बीमारी का जटिल आपरेशन किया गया। जनमजात बीमारी से पीड़ित बालिका हर्षिता तिवारी निवासी पुरास रायपुर कर्चुलियान 3 वर्ष की हालत अब पहले से अच्छी बताई गई है। बताया गया है कि कूल्हा खिसकने की यह बीमारी बहुत ही रेयर होती है। चिकित्सालय के आर्थोपेडिक वार्ड में पदस्थ सर्जन आर्थोपेडिक डॉ. वीबी सिंह और अन्य चिकित्सकों की टीम द्वारा यह आपरेशन किया गया।

क्यों होती है यह बीमारी

चिकित्सक वीबी सिंह ने बताया कि यह बीमारी गर्भावस्था के दौरान या फिर जब बच्चा जनम लेता है उस वक्त इसके होने की संभावना अधिक होती है। बताते हैं कि प्रसव के दौरान ज्यादा दबाव पड़ने के कारण शिशु का कूल्हा खिसक जाता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी किसी कारण से दबाव पड़ने की स्थिति में कूल्हा खिसकने की संभावना बनी रहती है। यह बीमारी बहुत ही रेयर होती है। एक हजार बच्चों में केवल एक बच्चे को ही यह बीमारी होती है।

कूल्हे खिसकने की बीमारी को कंजाइनटल डिसलोकेशन ऑफ हिप कहा जाता है। बताया गया है कि बीमारी के रेयर होने के कारण इसके केस अस्पताल आते ही नहीं। आते भी हैं तो बीमारी को डायग्नोस करना मुश्किल होता है। चिकित्सक श्री सिंह की ने बताया क एक सप्ताह पूर्व ही बालिका की दादी उसे लेकर मेरे पास आई। एक्स रे कराने पर पता चला कि बालिका का कूल्हा खिसका हुआ है। बीमारी डायग्नोस होने पर पहली बार एसजीएमएच में कूल्हे की बीमारी का आपेरशन सफलतापूर्वक किया गया।

समय पर नहीं चल पाता

विशेषज्ञ चिकित्सकों की माने तो इस बीमारी की सबसे अहम बात यह है कि इस बीमारी के बारे में समय पर पता नहीं चल पाता। इस बीमारी का पता तब चलता है जब बच्चा चलने की स्थिति में होता है। बच्चा सही तरीके से चल नहीं पाता। लेकिन माता-पिता सामान्य लक्षण समझ कर ध्यान नहीं देते। कई बार चिकित्सक भी बीमारी को डायग्नोस नहीं कर पाते। अगर समय पर बीमारी का पता नहीं चले तो इसके ठीक होने की संभावना घट जाती है।

टीम में यह रहे शामिल

बालिका के कूल्हे का आपरेशन करने में चिकित्सक वीबी सिंह के अलावा डॉ. जीतेश गावंडे, डॉ. रवि सोनी, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. अवतार सिंह यादव सहित अन्य स्टॉप की भूमिका अहम रही।

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