चातुर्मास में क्यों नहीं होते शुभ कार्य? जानें वजह | Chaturmas Rules

Chaturmas 2025 शुरू हो चुका है। जानें भगवान विष्णु की योगनिद्रा के दौरान क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य, क्या करें और किन कामों से बचें?;

Update: 2025-07-15 17:53 GMT

 चातुर्मास में मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते हैं?

देवशयनी एकादशी (6 जुलाई 2025) से चातुर्मास की शुरुआत हो गई है। यह कालखंड हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक रहता है। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि के संचालन का कार्य भगवान शिव को सौंप देते हैं।

क्या है चातुर्मास? (What is Chaturmas?)

चातुर्मास यानी चार मासों का संयोजन — आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन। ये मास वर्षा ऋतु में आते हैं और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्व रखते हैं।

 -शुरुआत: देवशयनी एकादशी (6 जुलाई 2025)

- समाप्ति: देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025)

 मांगलिक कार्य क्यों वर्जित हैं इन महीनों में?

 भगवान विष्णु की योगनिद्रा का रहस्य

-जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, तो वे सृष्टि संचालन से विराम ले लेते हैं। इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे:

-विवाह

-गृह प्रवेश

-मुंडन संस्कार

-नामकरण

-नयी दुकान या व्यापार की शुरुआत

-वर्जित माने जाते हैं।

 आध्यात्मिक कारण

चातुर्मास को ध्यान, साधना, व्रत, तपस्या और संयम का समय माना जाता है। जीवन को शुद्ध करने और आत्मा की प्रगति के लिए इस समय संयम रखना श्रेष्ठ है।

 वैज्ञानिक कारण

मानसून के दौरान यात्रा कठिन होती थी, जलजनित रोग बढ़ जाते थे। इसलिए घर से बाहर जाकर सामाजिक कार्य जैसे विवाह आदि को रोक दिया गया।

 चातुर्मास में क्या करें? (What to do in Chaturmas?)

  1.  भक्ति और साधना
  2. व्रत उपवास: एकादशी, प्रदोष व्रत, सावन सोमवार आदि रखें।
  3. पढ़ाई: धार्मिक ग्रंथों जैसे गीता, भागवत, रामायण का पाठ करें।
  4. दान-पुण्य: गरीबों, गौशालाओं, और वृद्ध आश्रम में दान करें।
  5. भक्ति: विशेष शिव पूजन, विष्णु सहस्त्रनाम, तुलसी पूजन करें।

 विशेष तिथियाँ

तिथि पर्व

  1. 6 जुलाई देवशयनी एकादशी
  2. 21 जुलाई से सावन सोमवार
  3. 26 अगस्त जन्माष्टमी
  4. 7 सितम्बर गणेश चतुर्थी
  5. 17 सितम्बर पितृपक्ष प्रारंभ
  6. 3 अक्टूबर नवरात्रि
  7. 12 अक्टूबर दशहरा
  8. 29 अक्टूबर दीपावली
  9. 1 नवंबर देवउठनी एकादशी

 चातुर्मास में क्या न करें? (What to avoid in Chaturmas?)

 वर्जित कार्य

  1. विवाह, सगाई, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य
  2. मांस-मदिरा का सेवन
  3. प्याज-लहसुन का सेवन
  4. दिन में सोना
  5. अधिक क्रोध और वाणी में कटुता

 FAQs

Q. चातुर्मास कितने दिन का होता है?

सामान्यतः यह 4 महीने यानी लगभग 120 दिन का होता है।

Q. क्या चातुर्मास में विवाह कर सकते हैं?

 नहीं, इस अवधि में विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।

Q. देवउठनी एकादशी का क्या महत्व है?

 इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और सभी मांगलिक कार्य पुनः प्रारंभ हो सकते हैं।

Q. चातुर्मास में कौन-कौन से व्रत रखे जाते हैं?

➡️ एकादशी, प्रदोष, सावन सोमवार, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी आदि।

Conclusion

चातुर्मास एक विशेष धार्मिक काल है जिसमें बाहरी जीवन से हटकर आंतरिक साधना और भक्ति पर ध्यान देना चाहिए। यह समय संयम और साधना का है, न कि सामाजिक उत्सवों का। इसलिए मांगलिक कार्यों को स्थगित किया जाता है और पूजा-पाठ, दान-पुण्य, व्रत और भक्ति के लिए इसे श्रेष्ठ माना गया है।

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