Oppenheimer Biography: परमाणु बम के जनक ‘ओपेनहाइमर’ कौन थे? आइए जानते हैं जीवन परिचय
Oppenheimer Biography: ओपेनहाइमर परमाणु बम के जनक हैं। यहां पर हम इनके जीवन परिचय के बारे में विस्तार से बात करने जा रहे हैं।
Father of Atomic Bomb Oppenheimer Biography In Hindi: विज्ञान की तरक्की अब किसी से छिपी नहीं है। किंतु यदि विज्ञान की तरक्की मनुष्यों के विनाश का कारण बन जाए तो वरदान नहीं बल्कि अभिशाप बन जाता है। देश-विदेश के सिनेमा घरों में ओपेनहाइमर फिल्म रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म ओपेनहाइमर के जीवन और उनके अविष्कार पर आधारित है। ओपेनहाइमर परमाणु बम के जनक हैं। यहां पर हम इनके जीवन परिचय Oppenheimer Biography के बारे में विस्तार से बात करने जा रहे हैं।
Oppenheimer Biography in Hindi:
परमाणु बम के आविष्कारक थे ओपेनहाइमर। इनका पूरा नाम जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर (Robert Oppenheimer) है। यह अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में भौतिक के प्राध्यापक थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सभी देशों में परमाणु बम बनाने की होड़ लगी हुई थी। ऐसे में अमेरिका में ओपेनहाइमर और अन्य वैज्ञानिकों ने मिलकर परमाणु बम को बनाने में सफलता हासिल की। इन्हें फ्रेंच, स्पेनिश, ग्रीक भाषाओं का ज्ञान था।
Robert Oppenheimer Early Life:
रॉबर्ट ओपेनहाइमर का जन्म न्यूयार्क सिटी में 22 अप्रैल 1904 को हुआ था। इनके माता-पिता यहूदी परिवार से थे। इनका परिवार शिक्षित एवं समृद्ध था। इनके पिता जर्मनी से थे। जब ओपेनहाइमर केवल 5 वर्ष के थे तो इनके दादाजी ने इन्हें कुछ चट्टान के टुकड़े दिए, जिससे इनकी भूगर्भ विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ी। 7 वर्ष की उम्र में इनकी कविताओं के प्रति रुचि बढ़ी और यह कविताएं लिखने लगे। ओपेनहाइमर बचपन में ही सूक्ष्मदर्शी से खेलते थे और उससे जीवाणुओं को देखा करते थे।
Oppenheimer Education:
एक उच्च विद्यालय से इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। बचपन से ही पढ़ने में यह काफी अच्छे रहे। कम उम्र में ही इन्होंने फ्रेंच, स्पेनिश, इटैलियन और ग्रीक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। ओपेनहाइमर जब 19 वर्ष के थे इन्होंने उच्च शिक्षा के लिए हावर्ड विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया। यहां इनका नाम सबसे टॉप पर रहता था। इस विश्वविद्यालय में अपने स्नातक की परीक्षा में ओपेनहाइमर को जितने अंक मिले थे इसके पूर्व किसी भी विद्यार्थी के इतने अंक नहीं आए थे। ओपेनहाइमर के भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर कहते थे एक दिन यह लड़का या तो भौतिक विज्ञान को अथवा फिर पूरे विश्व को हिला देगा और उनकी यह बातें सच हुईं।
Oppenheimer Career:
ओपेनहाइमर ने अपनी उच्च शिक्षा की पढ़ाई हावर्ड विश्वविद्यालय से पूरी की। इसके बाद वह काम करने के लिए इंग्लैंड की कैविण्डिश प्रयोगशाला में ले गए। यहां इन्होंने इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध भौतिकविदों के साथ काम किया। ओपेनहाइमर को वर्ष 1931 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया गया। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में नाभिकीय विज्ञान से जुड़े हुए कई प्रयोग किए। इसके बाद 1939 में जब द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ तो जर्मनी समेत अन्य देश परमाणु हथियार बनाने में जुट गए। जब अमेरिका को इस बात का पता चला तो अमेरिका भी परमाणु बम बनाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई। अमेरिका ने परमाणु बम बनाने के लिए स्टॉप सीक्रेट प्रोजेक्ट जिसका नाम मैनहैटन प्रोजेक्ट था प्रारंभ किया। इस प्रोजेक्ट की टीम में वर्ष 1942 में ओपेनहाइमर भी शामिल थे। वह कॉर्डिनेटर की भूमिका में थे। जिसके बाद इसी प्रोजेक्ट में इन्हें चीफ साइंस डायरेक्टर बना दिया गया।
Manhattan Project:
मैनहट्टन प्रोजेक्ट में परमाणु हथियान बनाने के उद्देश्य से ओपेनहाइमर समेत कई महान वैज्ञानिकों ने एक साथ कार्य प्रारंभ किया। लेकिन इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रुजवेल्ट को अल्बर्ट आइंस्टीन ने आग्रह किया था। अमेरिका को लगा कि अगर उससे पहले जर्मनी परमाणु हथियार बना देता है तो इससे उन्हें काफी नुकसान होगा। दूसरी तरफ जाना भी हथियार डालने के लिए तैयार नहीं था। जिसको देखते हुए रूजवेल्ट ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी। ओपेनहाइमर ने इस प्रोजेक्ट को प्रारंभ केवल इसलिए किया क्योंकि वह अपने देश की सुरक्षा चाहते थे किंतु उन्हें पता नहीं था कि इसका परिणाम बहुत ही भयावह निकलेगा।
First Atomic Bomb Test:
अमेरिका में ओपेनहाइमर की देखरेख में पहला परमाणु बम परीक्षण किया गया। 16 जुलाई 1945 को ओपरहाइमर पहले परमाणु बम परीक्षण के इंतजार में कंट्रोल बनकर बैठे थे। वह पहले परमाणु बम परीक्षण को लेकर काफी नर्वस थे। परीक्षण से पहले रात को ओपन हाई में केवल 4 घंटे ही वह सो पाए थे। जिसके चलते उनका वजन भी पहले से काफी घट गया था। इस परमाणु परीक्षण को ट्रिनिटी टेस्ट नाम दिया गया था। जो लॉस एलामोस के 340 किलोमीटर दक्षिण में किया गया था।
First Atomic Bomb Test Explosion:
बर्ड और शेर्विन ने अपनी किताब में लिखा है कि परीक्षण के समय काउंट डाउन के आखिरी मिनटों में सेना के एक जनरल ने बहुत करीब से ओपेनहाइमर को देखा। उसने बताया कि जैसे-जैसे धमाके का वक्त पास आता जा रहा था ओपेनहाइमर का तनाव बढ़ता जा रहा था। उस वक्त वो बमुश्किल ही सांस ले रहे थे। जैसे ही धमाका हुआ उस धमाके से सूरज की रोशनी भी धुंधली पड़ गई थी। धमाके से इतना तेज झटका पैदा हुआ कि इस झटके को 160 किलोमीटर तक महसूस किया गया था। तब ओपेनहाइमर ने समझा कि उन्हें अपने काम में सफलता मिल चुकी थी और उन्होंने राहत की सांस ली।
First Atomic Bomb Attack Horror:
अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा में द्वितीय विश्व युद्ध के चलते पहली बार परमाणु बम गिराया था। परमाणु बम से हुआ यह विस्फोट इतिहास में सबसे अधिक विनाशकारी साबित हुआ। स्पेस पोर्ट के चलते जापान में हिरोशिमा के एक ही शहर के लगभग 70 हजार लोग मारे गए थे। 10 सेकंड में हुए ब्लास्ट पूरे हिस हिरोशिमा में फैल गया था और लोग जल गए। यह परमाणु बम 45 सेकंड हवा में रहने के बाद फटा था। पलक झपकते ही हिरोशिमा की धरती राख में बदल गई। इस परमाणु बम का नाम लिटिल बॉय था। अमेरिका इतने में ही नहीं रुका। इसके ठीक 3 दिन बाद 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के नागासाकी पर दूसरा बम गिराया। जिसमें लगभग 74 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इन धमाकों में जो लोग बच गए वह विकृत हो गए। इसके बाद कई सालों बाद तक जापान में विकृत बच्चे पैदा होते थे।
Oppenheimer Heart Sank:
ओपेनहाइमर का दिल हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका के परमाणु बम का घातक परिणाम देखकर दहल उठा। जिसके लिए इन्होंने खुद को जिम्मेदार माना। ओपेनहाइमर ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने परमाणु धमाके पर खेद जताते हुए भगवत गीता के श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा कि मैं लोगों का नाश करने वाला हूं। उन्होंने दावा किया कि परमाणु बम के धमाके के बाद उनके जहन में गीता का यह श्लोक गूंजता रहा। उनके दोस्तों का मानना था कि परमाणु परीक्षण के कई समय बाद तक उनके मन में अंतर्द्वंद चलता रहता था। एक तरफ अपने देश के लिए और दूसरी तरफ उनके कारण होने वाले विनाश को लेकर उनमें बेचैनी थी।
Oppenheimer Request Stop Nuclear Attack:
हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए हमले की भयावहता को देखते हुए ओपेनहाइमर इसके लिए खुद को जिम्मेदार मानने लगे। उन्होंने पूरी दुनिया से आग्रह किया कि आगे कोई भी परमाणु हथियार का प्रयोग न करे। उनके द्वारा यह मांग भी की गई कि परमाणु हथियारों के निर्माण पर रोक लगा देनी चाहिए। विश्व स्तर पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं के अंतर्राष्ट्रीय अभियान (ICAN) की ओर से इस बात पर जोर दिया जाता है कि परमाणु हथियारों को खत्मक कर दिया जाना चाहिए। हिरोशिमा और नागासाकी पर हुआ हमला पहला और अब तक का अंतिम परमाणु हमला था। तब से लेकर अभी तक किसी अन्य देश ने किसी भी देश पर परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं किया। रॉबर्ट ओपेनहाइमर की मृत्यु वर्ष 1967 में हुई।