राफेल फाइटर जेट अब बनेगा भारत में: टाटा और डसॉल्ट ने साइन किया करार, हैदराबाद में बनेगी मेन बॉडी 'फ्यूजलाज'
रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' अभियान को एक बड़ी और ऐतिहासिक सफलता मिली है। भारत की टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (TASL) और फ्रांस की दिग्गज कंपनी डसॉल्ट एविएशन के बीच एक महत्वपूर्ण करार हुआ है, जिसके तहत पहली बार फ्रांस के बाहर, भारत के हैदराबाद में राफेल फाइटर जेट की पूरी मेन बॉडी (फ्यूजलाज) का निर्माण होगा।;
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत ने एक और बड़ी छलांग लगाई है। भारत की प्रतिष्ठित टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और फ्रांस की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी डसॉल्ट एविएशन के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है, जिसके तहत अब दुनिया के सबसे उन्नत और शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक राफेल (RAFALE) की पूरी मेन बॉडी (जिसे तकनीकी भाषा में 'फ्यूजलाज' कहा जाता है) का निर्माण भारत के हैदराबाद में स्थित अत्याधुनिक प्लांट में होगा। यह पहली बार है जब राफेल के इस सबसे महत्वपूर्ण हिस्से का निर्माण फ्रांस के बाहर किसी देश में किया जाएगा, जो भारत की बढ़ती विनिर्माण क्षमताओं और वैश्विक विश्वास का प्रतीक है।
क्या है यह ऐतिहासिक समझौता?
भारत की टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन के बीच इस संबंध में चार महत्वपूर्ण उत्पादन हस्तांतरण समझौतों (Production Transfer Agreements) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस करार के तहत, हैदराबाद में बनाए जा रहे मैन्युफैक्चरिंग प्लांट से राफेल की पहली 'मेड-इन-इंडिया' फ्यूजलाज यूनिट (FUSELAGE UNIT) वर्ष 2028 में असेंबली लाइन से बाहर आने की उम्मीद है। इस प्लांट की उत्पादन क्षमता हर महीने दो पूरी मेन बॉडी तैयार करने की होगी।
डसॉल्ट एविएशन ने इस समझौते को भारत और फ्रांस के बीच गहरे होते रक्षा सहयोग में एक बड़ा मील का पत्थर बताते हुए कहा है कि इस परियोजना से न केवल भारत की स्वदेशी रक्षा उपकरण निर्माण क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होगी, बल्कि यहां के स्थानीय इंजीनियरों और तकनीशियनों को विश्व स्तरीय एयरोस्पेस तकनीक सीखने और उस पर काम करने का एक अनूठा अवसर भी मिलेगा। यह साझेदारी भारत के रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की बढ़ती भागीदारी को भी सशक्त करेगी।
टाटा के लिए बड़ी छलांग, CEO ने जताई खुशी
टाटा ग्रुप की रक्षा और एयरोस्पेस शाखा, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, पहले से ही डसॉल्ट एविएशन के साथ मिलकर राफेल और मिराज 2000 जैसे लड़ाकू विमानों के कुछ महत्वपूर्ण पुर्जे और सब-सिस्टम बना रही है। लेकिन, अब एक लड़ाकू विमान की पूरी मेन बॉडी का निर्माण करना कंपनी और भारत के एयरोस्पेस इकोसिस्टम के लिए एक बहुत बड़ी छलांग है।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के सीईओ, सुकरन सिंह ने इस अवसर पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, "यह साझेदारी भारत की हवाई जहाज निर्माण की गौरवशाली यात्रा में एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है। भारत में राफेल की पूरी मेन बॉडी का निर्माण किया जाना, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की बढ़ती हुई तकनीकी काबिलियत और डसॉल्ट एविएशन के साथ हमारे मजबूत और भरोसेमंद रिश्ते को दर्शाता है। यह इस बात का भी एक सशक्त प्रमाण है कि भारत ने एक आधुनिक और मजबूत एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार करने में जबरदस्त तरक्की की है, जो दुनिया के बड़े और जटिल एयरोस्पेस प्लेटफॉर्म्स को सफलतापूर्वक सपोर्ट कर सकता है।"
क्या होता है एयरक्राफ्ट का फ्यूजलाज?
एयरक्राफ्ट फ्यूजलाज किसी भी हवाई जहाज का मुख्य ढांचा या उसका शरीर होता है। यह विमान का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण संरचनात्मक हिस्सा है। सरल भाषा में कहें तो, यह हवाई जहाज का वह केंद्रीय हिस्सा है जिससे बाकी सभी प्रमुख हिस्से, जैसे कि पंख (विंग्स), पूंछ (टेल असेंबली) और इंजन, जोड़े जाते हैं। यह विमान को उसका विशिष्ट आकार प्रदान करता है और सभी हिस्सों को एक साथ मजबूती से जोड़कर रखता है।
एक सुपरसोनिक लड़ाकू विमान (जैसे राफेल) का फ्यूजलाज पतला, लंबा और वायुगतिकीय (एयरोडायनामिक) रूप से डिजाइन किया जाता है, ताकि तेज गति से उड़ते समय हवा का प्रतिरोध कम से कम हो और विमान को अधिकतम गति और फुर्ती मिल सके। वहीं, एक यात्री विमान (एयरलाइनर) का फ्यूजलाज ज्यादा चौड़ा और बेलनाकार होता है, क्योंकि उसका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक यात्रियों और सामान को सुरक्षित रूप से ले जाना होता है। लड़ाकू विमान में कॉकपिट फ्यूजलाज के ऊपरी हिस्से पर होता है, हथियार पंखों पर लगे होते हैं और इंजन व ईंधन फ्यूजलाज के पिछले हिस्से में रखे जाते हैं।
राफेल का फ्यूजलाज: किन Materials से बनता है?
राफेल जैसे 4.5 पीढ़ी के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान का फ्यूजलाज बनाने के लिए विशेष प्रकार की हल्की लेकिन अत्यंत मजबूत सामग्रियों का उपयोग होता है, ताकि विमान का वजन कम रहे और उसकी मारक क्षमता व प्रदर्शन बेहतर हो सके:
- कार्बन फाइबर कम्पोजिट (Carbon Fiber Composite): राफेल के फ्यूजलाज का लगभग 40% हिस्सा इसी उन्नत मटेरियल से बनता है। यह बहुत हल्का और स्टील से भी कई गुना मजबूत होता है, जिससे जेट का कुल वजन कम रहता है और उसकी गति व फुर्ती (agility) बढ़ती है।
- टाइटेनियम (Titanium): इंजन के आसपास के हिस्सों और अन्य उच्च-तनाव वाले क्षेत्रों (high-stress areas) में टाइटेनियम का उपयोग होता है, क्योंकि यह अत्यधिक गर्मी और दबाव को आसानी से और लंबे समय तक झेल सकता है।
- एल्यूमीनियम-लिथियम मिश्र धातु (Aluminium-Lithium Alloy): फ्यूजलाज के कुछ अन्य हिस्सों में इस हल्की और मजबूत मिश्र धातु का उपयोग किया जाता है।
- हाई-स्ट्रेंथ स्टील (High-Strength Steel): विमान के ढांचे को अत्यधिक मजबूती देने के लिए छोटे-छोटे हिस्सों और जोड़ों (joints) में हाई-स्ट्रेंथ स्टील का इस्तेमाल किया जाता है।
डसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के बारे में जानिए
डसॉल्ट एविएशन: यह एक विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी कंपनी है, जो रक्षा और एयरोस्पेस के क्षेत्र में एक वैश्विक अग्रणी है। इसकी स्थापना 1929 में हुई थी और इसका मुख्यालय सेंट-क्लाउड, फ्रांस में है। यह कंपनी राफेल और मिराज 2000 जैसे विश्व प्रसिद्ध लड़ाकू जेट्स के साथ-साथ फाल्कन बिजनेस जेट्स और उन्नत ड्रोन भी बनाती है। भारत के साथ इसका संबंध 2016 में हुए 36 राफेल लड़ाकू जेट्स के सौदे और 2025 में हुए 26 राफेल मरीन (नौसैनिक) जेट्स के सौदे से और भी प्रगाढ़ हुआ है।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL): यह भारत के प्रतिष्ठित टाटा ग्रुप की एक प्रमुख कंपनी है, जो विशेष रूप से रक्षा, एयरोस्पेस और होमलैंड सिक्योरिटी के क्षेत्र में काम करती है। इसकी स्थापना वर्ष 2007 में हुई थी और इसका मुख्यालय मुंबई में है। TASL विमानों के ढांचे, हेलीकॉप्टर केबिन, ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और अन्य रक्षा उपकरणों के पुर्जे और सिस्टम बनाती है। इसकी सिकोरस्की, बोइंग, लॉकहीड मार्टिन और डसॉल्ट एविएशन जैसी कई प्रमुख वैश्विक एयरोस्पेस कंपनियों के साथ महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक साझेदारी है।