ओली की बकलोली: भारत को अपनी ही जमीन में सड़क न बनाने की धमकी देने वाला नेपाल आखिर चाहता क्या है

India Nepal Conflict: भारत सरकार अपनी जमीन में सड़क बना रही है वहीं पडोसी देश नेपाल को इससे तकलीफ हो रही है, कुछ सालों से नेपाल ज़्यादा ही फुदक रहा है

Update: 2022-01-20 08:25 GMT

Indo-Nepal border dispute: सदियों से भारत का मित्र देश रहा नेपाल अब अपनी औकात से ज़्यादा फुदकने लगा है, नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की बकलोली अब ज़्यादा ही हो रही है। एक बार फिर इंडो-नेपाल के बीच सरहद और दायरे को लेकर विवाद बढ़ने लगा है. दरअसल उत्तराखंड के लिपुलेख में भारत की सड़क को और लम्बा चौड़ा करने के प्रोजेक्ट की घोसणा हुई है, लेकिन नेपाली सरकार ने भारत को चेतावनी देते हुए इस निर्माण कार्य को बंद करने के लिए कहा है। 

ससुरा मुट्ठी भर का देश और उसकी इतनी मजाल हो गई है कि वो अपने ताऊ सामान देश भारत को  धमकी दे रहा है और भारत में आने वाले लिपुलेख इलाके को अपने देश का हिस्सा बता रहा है। आपको बता दें कि नेपाल-भारत और चीन की सीमा में आने वाला लिपुलेख 338 किलोमीटर बड़ा है। इसमें आधा नेपाल समा जाए। 

नेपाल को दिक्क्त क्या है 

पहले ये समझिये फिर बताते हैं  माजरा क्या है? ओके.. 

भारत, नेपाल और कीड़े मकोड़े खाने वाला देश चीन इन तीनों की सरहद हिमालय से लगी हुई है, हिमालय से निकलने वाली नदी से मिलकर एक घाटी बनती है, जो भारत से बहने वाली काली नदी (महाकाली, शारदा नदी) का उद्गम है. इसी इलाके को कालापानी भी कहते हैं। इसी जोन में लिपुलेख दर्रा है जो भारत का हिस्सा रहा है और हमेशा रहेगा। भारत इसी इलाके में जाने वाली सड़क को लम्बा और चौडा कर रहा है। 

नेपाल और भारत को अलग करती है ये नदी 


साल 1816 में सुगौली समझौता हुआ था, जो अंग्रेजों और नेपाल के राजा के बीच हुआ था, इस समझौते में काली नदी के ज़रिए भारत और नेपाल की सरहदें तय हुई थीं. दोनों देशों के पश्चिम में काली नदी और पूर्व में मेची नदी से दोनों देशों की सरहद मानी जाती है। उस तरफ नेपाल और इस तरफ भारत।  काली नदी के पश्चिम की तरफ भारत और पूर्व के तरफ नेपाल है।  कितना शार्ट एंड सिम्पल बटवारा है। 

तो फिर ओली बकलोली क्यों करता है 

असल में पहाड़ी नदी के कारण काली नदी की 2 धाराएं बहती हैं जो कुछ दूरी में मिलकर एक हो जाती हैं, भारत काली नदी के पूर्वी धारा को इसका उद्गम मानता है और नेपाल कहता है नहीं हमारा पश्चिम उद्गम है। और दोनों देश कालापानी में अपना-अपना दावा ठोकते हैं. ये इलाका पूरे 338 वर्ग किलोमीटर का है. काली नदी कहां से निकलती है इसको लेकर दोनों देश आपस में भसड़ मचाए हुए हैं।  अरे भाई जब 1816 में निर्धारण हो गया है कि पश्चिम वाला हिस्सा भारत का है और पूर्वी नेपालियों का तो काहे लड़े-मरे जा रहे हो। 

नेपाल क्या कहता है 

नेपाल का कहना है कि काली नदी के पूर्व की  शुरुआत नदी के उद्गम से शुरू होनी चाहिए, नेपाल के अनुसार काली नदी का उद्गम लिम्पियाधुरा से होता है और वो पूरा हिस्सा उसका है और इसी के साथ लिपुलेख और कालापानी भी उसका है।  हां भाई सब नेपाल का है, भारत भी नेपाल है ये पूरा एशिया ही नेपाली है अरे हम तो कहते हैं ये पूरा ब्रम्हांड नेपालियों ने बनाया है। लेलो दम है तो 



भारत क्या कहता है 

भारत नेपाल को अपना छोटा भतीजा मान कर प्रेम से समझाता है,  बेटा नेपाल नदी का उद्गम कालापानी से शुरू होता है लिंपियाधुरा कालापानी सब भारत का है। लेकिन नेपाल है कि मानता नहीं।

ओली के पीछे क्या है ओली के पीछे......

जैसे चोली के पीछे दिल है वैसे नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के पीछे चाइना है। नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार चाइना के सामने ऊ...शाबजी करती है। चाइना नेपाल पर अपना कब्ज़ा ज़माना चाहता है और वो ऐसा कर भी रहा है। भारत को सड़क बनाने से रोकने के पीछे नेपाल के सपोर्ट में पीछे से चाइना भी उंगली कर रहा है। चीन ने नेपाल में अरबो डॉलर खर्च किए हैं। वहां की कम्युनिस्ट सरकार चाइना के एहसानों तले दबी हुई है। भारत और चाइना के विवाद में चीन हमेशा नेपाल की सरहदों का गलत इस्तेमाल करते आया है। इस मामले में देश के रक्षा मंत्री ने भी कहा है कि नेपाल को इस मुद्दे में कोई गुमराह कर रहा है। 

लेकिन दिक्क्त वाली बात नहीं है नेपाल विरोध करने के अलावा कुछ कर नहीं सकता, भारत से फैला-पसरी करना उसके लिए नुकसानदायक है लेकिन ओली के चक्कर में चीन नेपाल की झोली भर के नेपाल को गोली ज़रूर दे रहा है और इसी लिए नेपाल बकलोली कर रहा है। 

मैं सड़क नहीं बनाने दूंगा 


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