Sidhi Bus Accident / 'मेरे आँखों के सामने डूबती जा रही थी बस पर मैं कुछ न कर सका, देखते ही देखते सब ख़त्म हो गया' : प्रत्यक्षदर्शी की दर्दनाक कहानी

Sidhi Bus Accident : मंगलवार को मध्यप्रदेश के सीधी जिले में हुए सड़क हादसे ने पूरे देश को झकझोंर के रख दिया. सीधी में हुए बस हादसे (Sidhi Bus Accident) में 51 शव मिल चुके हैं. इस पूरे घटनाक्रम के प्रत्यक्षदर्शी और घटना के दौरान मौत के मुंहासे से निकलने वाले एक शख्स ने हादसे की दर्दनाक कहानी बयां की है. 

Update: 2021-02-17 22:42 GMT

Sidhi Bus Accident / मंगलवार को मध्यप्रदेश के सीधी जिले में हुए सड़क हादसे ने पूरे देश को झकझोंर के रख दिया. सीधी में हुए बस हादसे (Sidhi Bus Accident) में 51 शव मिल चुके हैं. इस पूरे घटनाक्रम के प्रत्यक्षदर्शी और घटना के दौरान मौत के मुंहासे से निकलने वाले एक शख्स ने हादसे की दर्दनाक कहानी बयां की है. 

प्रत्यक्षदर्शी ने बताया किस तरह से पूरा हादसा हुआ. कैसे वह अपने आँखों के सामने अपने परिवार और बांकी सभी को डूबते हुए देख रहें थें, लेकिन वह कुछ कर न सके. किसी को बचा न सकें और देखते ही देखते सब कुछ ख़त्म हो गया. 

इस हादसे के प्रत्यक्षदर्शी हैं 62 वर्षीय सुरेश गुप्ता. सुरेश उन 7 लोगों में से एक हैं, जो इस वीभत्स हादसे में मौत के मुहाने से बच निकलें. सुरेश ने बताया, मैं, मेरी बहू पिंकी और मेरा पोता अथर्व तीनों लोग सतना जिले के नागौद जा रहें थें. बस काफी भरी हुई थी. बहुत अधिक भीड़ थी, 20 से 25 लोग खड़े हुए थें. बहुत से बच्चे भी थें, जिनकी परीक्षाएं थी. 

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चूंकि छुहिया घाटी में पिछले चार दिनों से जाम लगा हुआ था, रास्ता बंद था. इस कारण बस जिगना रामनगर होकर जा रही थी. इसी रास्ते पर बस सामने से आ रहे ट्रक को साइड देने के दौरान फिसल गई और नहर के पानी में समा गई.

मैं तो किसी तरह बस की खिड़की से निकलकर बाहर पानी में आ गया. लेकिन उस समय मेरी बहू पिंकी और पोता अथर्व बस में ही फंसे रह गए. घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोग मदद के लिए आ गए लेकिन वो कुछ कर पातें, इससे पहले ही बस जलमग्न हो गई. यह सब मेरे देखते देखते हुआ. ऐसा वीभत्स मंजर मैंने पहले कभी नहीं देखा था. मेरे देखते देखते कई जिंदगियां डूब गई. मैं बेसुध हो चुका था. कुछ देर तक मैं बेसुध होकर पानी में इधर उधर हाँथ पैर मारता रहा. फिर ग्रामीणों ने मुझे पानी से बाहर निकाला. 

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मुझे उम्मीद थी कि मेरी बहू, पोते अथर्व जिन्दा ही होंगे. लोगों ने पिंकी को जिन्दा अवस्था में निकाल भी लिया, लेकिन अथर्व ने वहीं दम तोड़ दिया. पिंकी को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह भी नहीं बच सकी. हम सबको उसके बचने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।' (जैसा हादसे में मृत पिंकी गुप्ता के ससुर सुरेश गुप्ता (62) ने बताया).

मेरे तो पूरे घर की खुशियां बिखर गई - रामवती सुरेश गुप्ता की पत्नी

रामवती की आंखों से भी आंसू नहीं थम नहीं रहे हैं. समझाने के बाद वे बार-बार फफक-फफककर रो पड़ती हैं. वे रोते-रोते कहती हैं, पोते अथर्व और बहू पिंकी की मौत ने घर सूना कर दिया. घर की खुशियां पूरी तरह से बिखर गई हैं. पोते का चेहरा आंखों से ओझल नहीं हो रहा है. पिंकी के उपचार के दौरान पूरा परिवार उम्मीद लगाए बैठा था. बेटा अनिल भी अस्पताल पहुंच गया था.

रामवती ने बताया कि बहू पिंकी, पोता अथर्व और मेरे पति सुरेश गुप्ता मंगलवार को सुबह सात बजे रामपुर नैकिन से नागौद जाने के लिए बस में बैठे. बहू मायके में दादी के दशगात्र में शामिल होने के लिए मायके जा रही थे. करीब आधे घंटे बाद पता चला कि बस दुर्घटना का शिकार हो गई है.

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