Nag Panchami 2023: नागपंचमी कल, एमपी स्थित इस मंदिर के साल भर में एक बार 24 घंटे के लिए खुलेंगे पट

MP News: नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन सावन सोमवार भी है जिससे शिवालयों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ेगा।

Update: 2023-08-20 11:18 GMT

Nagchandreshwar Mahadev Temple: नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन सावन सोमवार भी है जिससे शिवालयों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ेगा। भगवान शिव की पूजा-अर्चना के साथ ही लोग नाग देवता के भी दर्शन कर पूजा करेंगे। मध्यप्रदेश में एक ऐसा मंदिर भी है जिसके कपाट वर्ष भर में केवल एक ही बार खुलते हैं। ऐसे में नागपंचमी पर इसके पट खोले जाएंगे जिससे श्रद्धालु इनके दर्शन कर सकेंगे।

नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के खुलेंगे कपाट

एमपी के उज्जैन में एक ऐसा नाग देवता का मंदिर स्थापित है जो वर्ष में केवल एक बार ही खुलता है। नागपंचमी पर केवल 24 घंटे के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं। जिसके पीछे काफी दिलचस्प और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के गर्भगृह में भगवान महाकाल विराजित हैं। जबकि भूतल पर भगवान ओंकारेश्वर का मंदिर है। वहीं दूसरी मंजिल पर भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव विराजमान हैं। इस मंदिर को वर्ष भर में केवल एक ही बार नागपंचमी के दिन खोल जाता है।

श्रद्धालुओं का उमड़ेगा सैलाब

नागपंचमी के अवसर पर इस बार सावन का सोमवार भी पड़ रहा है। ऐसे में यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ने की संभावना है। जिसके चलते उज्जैन जिला प्रशासन द्वारा व्यापक पैमाने पर इंतजाम भी किए गए हैं। नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर महानिर्वाणी अखाड़े के साधु संतों द्वारा पूजा-अर्चना किए जाने की परंपरा है। यहां ऐसी भी मान्यता है कि नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन करने मात्र से कालसर्प दोष का हमेशा के लिए निवारण हो जाता है। महानिर्वाणी अखाड़े के गादीपति विनीत गिरी महाराज के अनुसार नागचंद्रेश्वर महादेव का आशीर्वाद मिलने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं।

इसलिए साल भर में एक बार खुलता है मंदिर

उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर को लेकर प्राचीन कथाएं भी प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि तक्षक नाग ने भगवान शिव की काफी तपस्या की थी। जिसके बाद भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर तक्षक नाग को दर्शन दिए। इस पर शिव परिवार विराजित हो गया। तक्षक भगवान शिव का भक्त होने की वजह से अभी भी उनकी तपस्या में लीन रहता है। तक्षक को अमरत्व का वरदान भी मिला था। भगवान शिव की तपस्या में कोई विघ्न पैदा न हो, यही वजह है कि इस मंदिर के कपाट साल भर में एक बार ही श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। वहीं वैज्ञानिक मान्यता यह भी है कि यह मंदिर द्वितीय मंजिल पर है। ऐसे में प्रतिदिन श्रद्धालुओं के जाने से मजबूती पर असर पड़ सकता है।

भगवान शिव की दुर्लभ प्रतिमा

विश्व भर के किसी भी शिव मंदिर में इस तरह की प्रतिमा देखने को नहीं मिलती है। उज्जैन के नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की दुर्लभ प्रतिमा है। यह मंदिर इसलिए भी विख्यात है क्योंकि विश्व भर में एकमात्र ऐसी प्रतिमा है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान शिव और पार्वती नाग को आसन बनाकर विराजमान हैं। यहां नंदी की प्रतिमाएं भी विराजित हैं। नागपंचमी के अवसर पर केवल 24 घंटे के लिए इस मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और लोग नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन कर सकेंगे।

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