एमपी सरकार का फैसला, अब गांव में जाकर पढ़ाएंगे बीएड प्रशिक्षणार्थी

MP School Teacher: प्रदेश में शासकीय व्यय पर पीजीबीटी कॉलेजों में बीएड का प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षकों को अब ग्रामों की शिक्षक विहीन शालाओं में जाकर न सिर्फ पढ़ाना होगा बल्कि अधिकारियों द्वारा निर्धारित मापदण्डों में खरा भी उतरना होगा।

Update: 2022-11-13 08:47 GMT

भोपाल- प्रदेश में शासकीय व्यय पर पीजीबीटी कॉलेजों में बीएड का प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षकों को अब ग्रामों की शिक्षक विहीन शालाओं में जाकर न सिर्फ पढ़ाना होगा बल्कि अधिकारियों द्वारा निर्धारित मापदण्डों में खरा भी उतरना होगा। भोपाल में किए गए इस प्रकार के प्रयोग को बच्चों के भविष्य में हितकारी परिणाम को देख कर पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था लागू की जा रही है।

गौरतलब है कि भोपाल में पीजीबीटी कॉलेज एवं प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थान में प्राचार्य द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि यहां बीएड प्रशिक्षण ले रहे शिक्षकों को गांव की उन शालाओं में पढ़ाने जाना होगा जो कि शिक्षक विहीन है। इसके लिए उन्होने 98 विद्यालयों की सूची जारी की है। जारी सूची की खास बात यह है कि वर्षों से इन विद्यालयों में शिक्षकों का अभाव है। इनका यह प्रयोग अधिकारियों को बेहतर लगा।

अब लोक शिक्षण संचालनालय पूरे प्रदेश में इस व्यवस्था को लागू कर रहा है। जितने संभागों के अंतर्गत संचालित पीजीबीटी कॉलेजों में शिक्षक बीएड का प्रशिक्षण ले रहे हैं उन्हें गांवो की शिक्षक विहीन शालाओं में पढ़ाने की तैयारियां हो रही है।

बच्चों को होगा फायदा

अधिकारियों का कहना है कि शासन के व्यय पर बीएड कर रहे शिक्षक अनुभवी है। वह प्रशिक्षण भी ले सकते हैं और पढ़ा भी सकते हैं। जिस प्रकार भोपाल संभाग में शिक्षक को उनके घरों के समीप के शिक्षक विहीन शालाओं में भेजा गया है ठीक इसी प्रकार का रास्ता हर संभाग में निकाला जाएगा। परीक्षाओं का समय नजदीक है और बच्चों को कक्षाओं में शिक्षकों की जरूरत है। इसलिए जल्द ही यह कदम उठाया जाएगा।

निर्णय की हो रही सराहना

कर्मचारी नेता मुरारीलाल सोनी का कहना है कि अगर विभाग पूरे राज्य में यह व्यवस्था करता है तो इस निर्णय को स्वागत योग्य कहा जाएगा। अभी तक इंटर्नशिप के नाम पर कॉलेजों के ऐसे नजदीक स्कूलों में भेजा जाता रहा है, जहां इनकी जरूरत ही नहीं है। प्राचार्यों की लापरवाही के कारण ऐसा होता रहा है। उन्होने आरोप लगाया है कि इन कॉलेजों में उन्हीं शिक्षकों को बीएड के लिए दाखिला मिलता है जो पहुंच और प्रभाव के दम पर शहर या इसकी आसपास की परिधि में तबादला करवा कर आते हैं।

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