MP में 20 साल से संचालित फर्जी सरकारी स्कूल: वेतन और प्रमोशन भी ले रहें थे, शिक्षक की मौत के बाद खुला राज; 15 करोड़ की रिकवरी का आदेश

निमाड़ के नैगुवां गांव में 20 साल से एक प्राइवेट स्कूल खुद को सरकारी बताकर वेतन और प्रमोशन लेता रहा। शिक्षक की मौत के बाद खुलासा हुआ कि स्कूल सरकारी ही नहीं था। अब 15 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी।;

Update: 2025-12-03 14:35 GMT
• एमपी के निमाड़ में 20 साल से फर्जी सरकारी स्कूल का संचालन
• स्कूल कागजों में सरकारी, असल में प्राइवेट—फर्जी वेतन और प्रमोशन जारी
• एक शिक्षक की मौत के बाद खुली पोल—परिवार को पता चला कि नौकरी सरकारी नहीं थी

• शिक्षा विभाग ने 15 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी किया

Nimad Shocker | 20 साल का बड़ा शिक्षा घोटाला उजागर, सरकारी बताकर फर्जी तरीके से संचालित हो रही थी स्कूल

मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नैगुवां ग्राम में स्थित एक निजी स्कूल पिछले 20 साल से खुद को सरकारी स्कूल बताकर वेतन, सुविधा और प्रमोशन लेता रहा। यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब स्कूल में पढ़ाने वाले एक शिक्षक की मृत्यु के बाद उनके परिजनों ने संविदा के तहत नौकरी (कंपैशनेट अपॉइंटमेंट) के लिए आवेदन किया।

जांच में खुलासा हुआ कि यह स्कूल असल में एक प्राइवेट हायर सेकेंडरी स्कूल था—शास्त्री हायर सेकेंडरी प्राइवेट स्कूल, नैगुवां—जो कागज़ों में खुद को सरकारी संस्था बताकर नियमों का फायदा उठा रहा था।

How the Scam Started | 2017 में गवर्नमेंट बॉडी में शामिल होने का दावा

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार स्कूल ने दावा किया था कि वर्ष 2017 में इसे सरकार की पॉलिसी के तहत शासकीय संस्था के रूप में मान्यता दी गई। इसी आधार पर शिक्षक और स्टाफ लंबे समय से सरकारी ग्रांट, वेतन, वरिष्ठता और प्रमोशन का लाभ लेते रहे।

लेकिन अधिकारियों ने जब दस्तावेज़ों की बारीकी से जांच की, तो पता चला कि स्कूल को कभी भी सरकारी दर्जा औपचारिक रूप से स्वीकृत ही नहीं किया गया था। वर्षों से यह केवल कागज़ों और गलत दस्तावेज़ों के आधार पर खुद को सरकारी बताता रहा।

Teacher’s Death Exposes Scam | एक शिक्षक की मौत से खुली परत-दर-परत सच्चाई

पूरे घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब स्कूल में पढ़ाने वाले एक शिक्षक का निधन हो गया। परिवार नियमानुसार सरकारी स्कूल में काम करने वाले कर्मचारी के स्थान पर किसी परिजन को नौकरी देने के लिए शिक्षा विभाग पहुँचा।

जैसे ही विभाग ने दस्तावेज़ मांगे और रिकॉर्ड खंगाला, तो बड़ी विसंगतियाँ सामने आईं—
• स्कूल सरकारी सूची में था ही नहीं
• शिक्षकों की नौकरी निजी संस्था के अधीन थी
• वेतन और प्रमोशन सरकार से फर्जी तरीके से लिया जा रहा था
• फर्जी दस्तावेजों के आधार पर स्टाफ को पेमेंट दिया गया

20 Years Salary Fraud | दो दशक तक सरकारी वेतन उठाता रहा स्कूल

अनुमान है कि पिछले 20 वर्षों में इस स्कूल के माध्यम से बड़े पैमाने पर सरकारी राशि का गलत उपयोग हुआ। शिक्षा विभाग की प्राथमिक जांच के अनुसार—
• शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकारी वेतन दिया गया
• प्रमोशन लाभ गलत आधार पर मिले
• सरकारी सुविधाएँ और अनुदान भी प्राप्त किया गया

इसी फर्जीवाड़े की कुल राशि की गणना करीब ₹15 करोड़ से अधिक बैठी, जिसके बाद विभाग ने स्कूल संस्था पर रिकवरी नोटिस जारी किया।

Education Dept Action | 15 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी

प्रकरण सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कठोर कार्रवाई शुरू कर दी है। विभाग ने कहा—
“स्कूल को 20 साल तक गलत तरीके से सरकारी संस्था के रूप में दिखाकर राशि ली गई। अब लगभग 15 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी किया गया है।”

इसके साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों एवं विद्यालय संचालकों पर आगे कानूनी कार्रवाई की तैयारी भी की जा रही है।

How It Stayed Hidden | 20 साल तक पकड़ा क्यों नहीं गया?

जांच से जुड़े अधिकारियों के अनुसार यह स्कूल वर्षों तक इसलिए पकड़ा नहीं गया—
• दस्तावेज़ों में गड़बड़ी पता लगाने के लिए कोई विस्तृत ऑडिट नहीं हुआ
• स्थानीय स्तर पर निगरानी कमजोर रही
• हर साल केवल प्रेषित रिपोर्ट के आधार पर स्कूल की स्थिति मान ली जाती थी
• प्रमोशन और वेतन स्वीकृति रूटीन प्रक्रिया में शामिल होते रहे

प्रशासन अब इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या किसी अधिकारी की लापरवाही या संलिप्तता इस मामले में रही है।

Impact on Teachers & Students | शिक्षकों और परिवारों पर असर

इस खुलासे के बाद स्कूल में पढ़ाने वाले कई शिक्षकों और कर्मचारियों पर संकट आ गया है। उनकी सेवा की स्थिति, वेतन का स्रोत और भविष्य की स्थिरता अब सवालों में है। मृत शिक्षक के परिवार को यह जानकर सबसे बड़ा झटका लगा कि वे वास्तव में सरकारी कर्मचारी थे ही नहीं, इसलिए उन्हें संविदा नियुक्ति का लाभ नहीं मिल सकेगा।

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FAQs | अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

फर्जी सरकारी स्कूल का मामला कैसे सामने आया?

एक शिक्षक की मृत्यु के बाद परिवार नौकरी लेने शिक्षा विभाग पहुंचा, जहां पता चला कि स्कूल सरकारी नहीं था।

स्कूल पर कितनी रिकवरी लागू हुई है?

शिक्षा विभाग ने लगभग ₹15 करोड़ की रिकवरी का आदेश जारी किया है।

क्या स्कूल को कभी सरकारी दर्जा मिला था?

जांच में पता चला कि स्कूल को कभी औपचारिक सरकारी मान्यता नहीं दी गई थी।

क्या अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी?

हाँ, जांच टीम लापरवाही या संलिप्तता पाए जाने पर कार्रवाई कर सकती है।

कितने वर्षों से यह घोटाला चल रहा था?

करीब 20 वर्षों से स्कूल कागज़ों में खुद को सरकारी बताकर लाभ ले रहा था।

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