एमपी: कारम डैम के बाद अब टीकमगढ़ में 41 करोड़ की नहर फूटी, किसानों की फसल बर्बाद

एमपी में डैम और नहर निर्माण के गुणवत्ता की खुल रही पोल

Update: 2022-08-17 23:59 GMT

MP Tikamgarh News: राज्य में डैम और नहर निर्माण के गुणवत्ता की पोल बारिश में खुलती जा रही है। धार जिले में कारम डैम में लीकेज का मामला अभी ठंडा भी नही हुआ था कि टीकमगढ़ में बनाई गई हरपुरा नहर बौरी गांव के पास टूट गई। इससे किसानों की फसल बर्बाद हो गई।

एक ही कंपनी ने कराया है निर्माण

खबरो के तहत जिस सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने कारम डैम का निर्माण करवा रही थी, वही सारथी कंपनी टीकमगढ़ में बनाई गई हरपुरा नहर को भी तैयार किया था। नहर फूट जाने के बाद एक बार फिर कंपनी के साथ ही अधिकारी सहित इससे जुड़े लोग निशाने पर है।

40 हजार लोगो का जीवन रहा संकट में

ज्ञात हो कि कारम डैम में जिस तरह से पानी का बहाव निकाल रहा था उससे 18 गांवों के 40 हजार से ज्यादा लोगों का जीवन संकट में आ गया था। हालांकि तीन दिनों तक प्रशासन ने लगातार प्रयास कर डैम से पानी खाली कर हालात को काबू में कर लिया लेकिन इस घटना के बाद बांध के निर्माण और जल संसाधन विभाग में हुए निर्माण को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है।

विपक्ष के निशाने पर...

धार के कारम डैम का निर्माण करने वाली कंपनी सारथी कंस्ट्रक्शन को लेकर कांग्रेस नेता बीजेपी को घेर रहे हैं। तो वही धार के बाद अब सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा टीकमगढ़ में बनाई गई हरपुरा नहर बौरी गांव के पास टूट जाने से एक बार फिर कंपनी के कार्यो को लेकर सवाल उठ रहे है।

41 करोड़ की लागत से बनी है नहर

टीकमगढ़ जिले में तत्कालीन प्रभारी मंत्री जयंत मलैया ने 41 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली हरपुरा नहर का भूमिपूजन किया था। इस परियोजना से 14 तालाबों को जोड़कर भरा जाना था। इस नहर के साथ ही चंदेलकालीन तालाबों को भरने और पाइप डालकर सिंचाई के संसाधनों का विस्तार किया जाना था। इस नहर का काम करने वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इसमें इतना घटिया निर्माण किया कि पहली टेस्टिंग में ही यह निर्माण फेल हो गया।

14 तालाबो तक पहुंचाना था पानी

यह देश की पहली नदी-तालाब जोड़ों परियोजना थी। नहर एमपी-यूपी के बीच जामनी नदी में बनाई गई है। यहां से जामनी का पानी 14 तालाबों तक पहुंचाया जाना था। लेकिन सिर्फ चार तालाब भर सके। इस परियोजना से 1980 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के साथ-साथ एक हजार साल पुराने ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाबों को भी नया जीवन दिया जाना था।

Tags:    

Similar News