मध्य प्रदेश: क्या यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की नकल कर रहे हैं एमपी के शिवराज सिंह चौहान?

Madhya Pradesh: यूपी में बुलडोजर बाबा तो एमपी में बुलडोजर मामा! योगी के नक्शेकदम पर शिवराज

Update: 2022-03-24 10:10 GMT

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काम करने के तौर-तरीकों में बदलाव दिखाई दे रहा है, अचानक से एमपी के सीएम उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह बर्ताव करने लगे हैं. शिवराज के नए अवतार को देख प्रदेश की जनता हैरत में पड़ गई है। 

शिवराज सिंह चौहान की नई कार्यशैली थोड़ा उत्तर प्रदेश के सीएम योगी से मिलती जुलती दिखाई दे रही है. राजनीति में योगी से सीनियर शिवराज अब योगी की राजनीति ट्रिक्स को फॉलो कर रहे हैं. 

यूपी में बुलडोजर बाबा तो एमपी में बुलडोजर मामा 


उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश की जनता योगी आदित्यनाथ को हिन्दू शेर और बुलडोजर वाले बाबा के नाम से भी पुकारती है, योगी खुद मानते हैं कि वह बुलडोजर वाले बाबा है और उनका बुलडोजर यूपी के अपराधियों के गैर कानूनी ठिकानों में चलेगा ही चलेगा। योगी आदित्यनाथ ने अपने पिछले 5 साल के कार्यकाल में कई अपराधियों के घरों और गैर कानूनी रूप से बनाई गई इमारतों पर बुलडोजर चलाया है. जिमसे यूपी के बड़े नेता जैसे आजम खान सहित कई लोगों के घरों को ढहाने और उन्हें जेल भेजने का काम किया है। 

वहीं अब शिवराज सिंह भी मध्य प्रदेश में बुलडोजर मामा के नाम से ट्रेंड हो रहे हैं. बीते दिनों शहडोल में रेप के आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलवाने के बाद शिवराज और भी ज़्यादा फेमस हो गए हैं. मध्य प्रदेश में बुलडोजर मामा के नाम से पोस्टर बैनर चिपकाए जा रहे हैं. 

योगी को कॉपी करने लगे शिवराज!


सिर्फ बुलडोजर के मामले में नहीं शिवराज सिंह चौहान और कई चीज़ों में योगी को कॉपी करते हैं. ज़ाहिर है योगी की छवि एक हिन्दुत्वादी नेता के तौरपर देखी जाती है. यूपी के सीएम वाकई एक महंत हैं और देश की सेवा करने के लिए अपने परिवार से नाते खत्म कर चुके हैं. इस मामले में शिवराज योगी की नकल कतई नहीं करने वाले।

  • योगी अक्सर मंदिर-मठों में पूजा करते दिखाई देते हैं, वहीं पीएम मोदी भी ऐसी गतिविधियों में एक्टिव रहते हैं. इसी लिए देश में प्रधानमंत्री मोदी और योगी को हिन्दू नेता के रूप में पहचाना जाता है। वहीं बीते 17 साल तक एमपी के सीएम रहे शिवराज ने कभी हिंदूवादी छवि को खुलकर सामने नहीं रखा लेकिन अब सीएम शिवराज भी मंदिरों में बाकायदा भगवा पहनकर पूजा करते फोटो अपलोड करते हैं. 
  • जैसे यूपी के सीएम मुग़लों द्वारा यूपी के बदले गए शहरों के नाम बदल रहे हैं. वैसे अब एमपी के सीएम भी प्रदेश के कई शहरों और रेलवे स्टेशन का नाम बदल रहे है. योगी ने मुग़ल सराय को पंडित दीन दयाल उपाध्याय किया, फैज़ाबाद का अयोध्या किया, इलाहबाद का प्रयागराज आदि, वैसे शिवराज ने होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम किया, हबीबगंज का रानी कमलापति किया 
  •  धार्मिक स्थानों में योगी ने मीट और शराब पर पाबंदी लगाई है वैसे शिवराज ने भी एमपी के 2 पवित्र शहरों में मांस और शराब की बिक्री बंद की है। योगी ने मथुरा, अयोध्या में यह पाबन्दी लागू की है वैसे शिवराज ने भी हाल ही में कुण्डलपुर और बांदकपुर में शराब और मांस की बिक्री पर प्रतिबंद लगाया है। 

ऐसा क्यों कर रहे हैं शिवराज? 

योगी आदित्यनाथ तो साल 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे और सीएम बनते ही  उन्होंने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी. लेकिन शिवराज तो साल 2005 से एमपी के मुख्य मंत्री हैं. इससे पहले वाले कार्यकाल की बात करें तो न शिवराज कभी बुलडोजर मामा के नाम से जाने जाते थे और न ही उनकी छवि एक हिन्दू नेता के रूप में होती थी और न ही शिवराज ने इससे पहले कभी एमपी के किसी शहर का नाम बदला था. तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि एमपी के सीएम शिवराज अचानक से नए अवतार में तब्दील हो गए? क्या एमपी में विकास के मुद्दे से बीजेपी का अगली विधानसभा में चुनाव जीतना मुश्किल है जो उन्हें अब योगी को फॉलो करना पड़ रहा है? 

कहीं वजह ये तो नहीं 

यह देखा गया है कि अपनी हिंदुत्ववादी सोच के कारण बीजेपी ज़्यादातर राज्यों में चुनाव जीत रही है. जिन राज्यों में हिन्दू ज़्यादा नहीं है वहां बीजेपी की हार हुई है या कम सीटों के साथ जीत मिली है। एमपी की जनता ने पिछले विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान को सत्ता से बाहर कर दिया था. बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की सत्ता ही पलट दी. और शिवराज फिर से मुख्यमंत्री बन गए थे. जबकि प्रदेश की जनता नहीं चाहती थी के शिवराज फिर से सीएम बने, तभी तो चुनाव हारे थे. 

अब साल 2023 में फिर से चुनाव होने हैं. विकास इस बार का मुद्दा नहीं है, क्योकि इस मुद्दे ने तो पिछली बार बीजेपी को एमपी की जनता ने हरा दिया था. सीएम शिवराज अब इसी लिए योगी को कॉपी करने लगे हैं. क्योंकि देश में विकास से ज़्यादा हिंदूवादी सोच अधिक वोट दिला रही है। 

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