एमपी में महिलाओं की मेहनत रंग लाई, जलसंकट से निपटने रोक दी नदी की धार

MP News: गर्मी अब अपने शबाब पर आती जा रही है। ऐसे में कई क्षेत्रों में जलसंकट ने भी अपनी दस्तक दे दी है। लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।

Update: 2023-04-23 09:16 GMT

गर्मी अब अपने शबाब पर आती जा रही है। ऐसे में कई क्षेत्रों में जलसंकट ने भी अपनी दस्तक दे दी है। लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। कुछ इसी तरह की समस्या से निपटने के लिए महिलाओं ने दिन-रात मेहनत की। महिलाओं ने जल संकट से निजात पाने नदी की धार रोककर उसमें बांध बना दिया। जिससे अब लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही मवेशी भी अपना कंठ तर कर सकेंगे।

बोरियों में रेत भर नदी में बनाया बांध

एमपी छतरपुर जिले के देवरान गांव की महिलाओं ने अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस गांव की महिलाओं ने भीषण जलसंकट से निपटने के लिए काठन नदी की धार को रोक दिया। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गांव में जलसंकट की आहट के साथ ही गांव की रानी अहिरवार ने काठन नदी की धारा को रोकने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने विचार महिलाओं से साझा किए जिस पर उनसे महिलाएं जुड़ती गईं। महिलाओं ने बोरियों में रेत भरकर नदी में बांधा बनाना प्रारंभ किया। उनकी मेहनत रंग लाई और बांध बनकर तैयार हो गया।

11 दिन करनी पड़ी कड़ी मेहनत

महिलाओं को नदी में बांध करने के लिए 11 दिन कड़ी मेहनत करनी पड़ी। रानी अहिरवार जल सहेली हैं जिनके द्वारा गर्मी के दिनों में पानी का संकट न हो महिलाओं से विचार साझा करते हुए उनका सहयोग लेकर नदी पर बांध तैयार किया गया। वह रोज सुबह 24 महिलाओं को अपने साथ लेकर नदी पर पहुंच जाती थीं और रेत से भरी बोरियां रखकर नदी की धार को रोका गया। गर्मी के मौसम में नदी की धार टूट जाती थी। किंतु अब बांध की शक्ल में उसमें पानी भरा रहेगा जिससे लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

पानी के लिए काठन नदी पर निर्भर हैं लोग

छतरपुर जिले के देवरान गांव के लोग पानी के लिए काठन नदी पर निर्भर हैं। गांव में केवल दो जलस्रोत हैं जिनसे पीने का पानी मिलता है। यहां खुले कुएं भी हैं किंतु गर्मी के दिनों में अक्सर यह जवाब दे जाते हैं। कपड़े धोने, नहाने व अन्य कार्यों के लिए लोगों को गांव के किनारे से निकलने वाली काठन नदी पर ही निर्भर रहतना पड़ता है। धसान और इसकी सहायक नदी काठन का संगम भी इसी गांव में होता है। मई-जून माह में कुआं सूख जाते हैं जिससे लोग काफी परेशान होते हैं। जिसके लिए श्रमदान कर महिलाओं ने मात्र 11 दिन में नदी में बांध तैयार किया गया।

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