एमपी की इस मिठाई से इन्द्र देवता होते हैं प्रसन्न, बारिश की कामना को लेकर लगाया जाता है भोग

MP News: मध्यप्रदेश में एक ऐसी मिठाई तैयार की जाती है जिससे इन्द्र देवता प्रसन्न होते हैं। ऐसी मान्यता है कि बारिश की कामना को लेकर इसका भोग इन्द्र देव को लगाया जाए तो वह अवश्य मेहरबान होते हैं।

Update: 2023-08-17 08:51 GMT

मध्यप्रदेश में एक ऐसी मिठाई तैयार की जाती है जिससे इन्द्र देवता प्रसन्न होते हैं। ऐसी मान्यता है कि बारिश की कामना को लेकर इसका भोग इन्द्र देव को लगाया जाए तो वह अवश्य मेहरबान होते हैं। यह मिठाई प्रदेश के केवल नीमच में ही बनाई जाती है जो केवल बरसात के मौसम में ही तैयार होती है।

नीमच में बनती है इन्द्रसे मिठाई

मध्यप्रदेश के नीमच जिले में यह मिठाई बनाई जाती है। मान्यता है कि अच्छी बारिश की कामना को लेकर भगवान इन्द्र देव को इसका भोग लगाया जाता है। इस मिठाई का नाम है इन्द्रसे, इसको कुछ लोग इन्द्रसा भी कहते हैं। एमपी के आखिरी छोर पर राजस्थान की सीमा से नीमच जिला घिरा हुआ है। नीमच को सीआरपीएफ की जन्मभूमि के नाम से भी जाना जाता है। नीमच खाने-पीने के मामले में भी अलग पहचान रखता है। बरसात का मौसम प्रारंभ होने से लेकर खत्म होने के कुछ दिन बाद तक इन्द्रसे नाम की मिठाई यहां बनती है।

68 वर्ष पहले हुई थी शुरुआत

नीमच की एक दुकान में 68 वर्ष पहले इस मिठाई को बनाने की शुरुआत हुई थी। किंतु समय के साथ-साथ इसकी डिमांड बढ़ती गई जो अब कई दुकानों में तैयार होने लगी है। इस मिठाई के बनने का इतिहास भी वर्षों पुराना है। कुछ लोग इन्द्रसे नामक मिठाई को भगवान इन्द्र के लिए बनाई जाने वाली मिठाई भी कहते हैं। क्योंकि यह बारिश के मौसम में तैयार होती है। लोग जब अल्पवृष्टि अथवा बारिश न होने से परेशान हो जाते हैं तो खासतौर से किसानों का मानना है कि यदि सच्चे मन से इन्द्र देव को इसका भोग लगाया जाए तो क्षेत्र में अच्छी बारिश होती है।

अन्य मौसम में उतना अच्छा नहीं रहता स्वाद

लोगों का कहना है कि इन्द्रसे को बारिश के मौसम में ही बनाया जाता है क्योंकि इस मौसम में इसका अच्छा स्वाद मिलता है। जबकि अन्य मौसम में तैयार इन्द्रसे का जायका अच्छा नहीं रहता। रक्षाबंधन के अवसर पर भी बहनों पर इस मिठाई का उपयोग किया जाता है। वह अपने भाईयों को राखी बांधकर इन्द्रसे से उनका मुंह मीठा करवाकर मिठाई भेंट करती हैं। बारिश के मौसम में यह जितने अच्छे से तैयार होते हैं अन्य मौसम में उस तरह के नहीं बन पाते हैं।

कैसे बनाते हैं इन्द्रसे?

इसको बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि चावल को धुलकर भिगो लें। इसके बाद इतना सुखाएं कि उसमें हल्की नमी बनी रहे। इसको पीसकर आटा बनाएं। अब शक्कर की चाशनी अच्छी तैयार से तैयार करें। आटे को शक्कर की चासनी के साथ गूंथ लें। इस आटे को एक दिन के लिए वैसा ही रख दें। अगले दिन छोटी-छोटी लोई बनाकर समतल जगह पर रखकर गोल आकार दें। अब गोल आकार ले चुकी लोई को देसी घी की कढ़ाही में तलें। इसको तब तक तलें जब तक इसका रंग हल्का गुलाबी न हो जाए। अब आपका इन्द्रसे तैयार हो चुका है। यह सूखी मिठाई होती है जो 15 से 20 दिनों तक सुरक्षित रह सकती है।

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