मध्यप्रदेश: कांग्रेस में शामिल हुई पूर्व भाजपा विधायक पारुल साहू, कमलनाथ ने कहा-दिल्ली जाने में मुझे शर्म आती है...

भाजपा को एक और बड़ा झटका लगा है. सुरखी विधानसभा से पूर्व भाजपा विधायक पारुल साहू ने आज कांग्रेस का दामन थाम लिया है. उन्होंने कमलनाथ के हांथों

Update: 2021-02-16 06:33 GMT

सागर. आज भाजपा को एक और बड़ा झटका लगा है. सागर जिले के सुरखी विधानसभा से पूर्व भाजपा विधायक पारुल साहू ने आज कांग्रेस का दामन थाम लिया है. उन्होंने कमलनाथ के हांथों कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है. इसके पहले वे मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना करती हुई नजर आई थी. 

शुक्रवार को भाजपा की पूर्व विधायक पारुल साहू ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है. पारुल साहू 2014 में कांग्रेस के गोविन्द सिंह राजपूत को सुरखी विधानसभा सीट से शिकस्त दी थी. इसके बाद 2018 के विस चुनाव में उन्हें अपनी सीट खोनी पड़ी थी.

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2018 में ये सीट कांग्रेस के पाले में चली गई थी, जहाँ से गोविन्द सिंह राजपूत विधायक रहें. इसके बाद इसी वर्ष के मार्च में गोविन्द सिंह राजपूत ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में आ गए और पारुल साहू कांग्रेस में पहुँच गई. इससे भाजपा को बड़ा झटका लगा है. 

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कमलनाथ ने कहा, पारुल ने घर वापसी की है 

कमलनाथ ने इस मौके पर कहा कि पारुल साहू की घर वापसी है, इनका पूरा परिवार कांग्रेस में रहा हैं. शिवराज सिंह चौहान जेब में नारियल लेकर चलते हैं, जहां मौका मिलेगा, फोड़ देंगे.

दिल्ली जाने में शर्म आती है - कमलनाथ

कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी ने प्रदेश को कलंकित किया है. मुझे दिल्ली जाने में शर्म आती है, वहां लोग कहते हैं कि उसी प्रदेश से हो, जहां सब बिकने को तैयार हैं. हमारे प्रजातंत्र के साथ जो खिलवाड़ हुआ है, उसका फैसला चुनाव में होगा. नौजवान और किसान इस प्रदेश में पीड़ित हैं.

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अब 28 सीटों में होंगे उपचुनाव

अब मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हैं. सुरखी से पूर्व बीजेपी विधायक पारुल साहू आज कांग्रेस में शामिल हो गई हैं. कमलनाथ ने ग्वालियर जाने से पहले पारुल को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई है. इस मौके पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता ऑफिस में मौजूद रहे. पारुल सुरखी में ज्योतरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं.

सामाजिक सरोकार की छवि 

पारुल साहू की शिक्षा विदेश में हुई है. उनकी छवि ऐसे विधायकों में है, जो सामाजिक सारोकार के तौर पर जाने जाते हैं. वे प्रायः जनता के मुद्दों को सरकार के सामने रखती आई हैं. 

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