विध्य से विधानसभा अध्यक्ष के नाम की चर्चा, याद आए व्हाइट टाइगर के तल्ख निर्णय : Rewa News

रीवा / Rewa News : मध्यप्रदेश के सियासी गलियारे और मीडिया में यह खबर तेजी से चल रही है कि इस बार विधानसभा अध्यक्ष विंध्य से होगा।

Update: 2021-02-16 06:47 GMT

विध्य से विधानसभा अध्यक्ष के नाम की चर्चा, याद आए व्हाइट टाइगर के तल्ख निर्णय : Rewa News

रीवा / Rewa News : मध्यप्रदेश के सियासी गलियारे और मीडिया में यह खबर तेजी से चल रही है कि इस बार विधानसभा अध्यक्ष विंध्य से होगा। भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं में से एक को चुना जाना है। इन खबरों के आने के साथ ही श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी ( Shriniwas Tiwari ) ‘‘दादा’’ की याद आ जाती है। जो दस वर्ष तक विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए विंध्य में अपनी सत्ता बना कर रखी। विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष के नाम की चर्चा होते इस बात को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है कि विधानसभा अध्यक्ष भले ही बन जाये लेकिन सफेद शेर उर्फ दादा जैसी सत्ता विंध्य में स्थापित कर पाना क्या संभव हो पायेगा।

विंध्य में व्हाइट टाइगर की सत्ता

विधानसभा अध्यक्ष रहे श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी ( Shriniwas Tiwari ) की सख्शियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी बिना सलाह के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कोई निर्णय नहीं लेते थे। यदि मुख्यमंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह के पास विंध्य का कोई व्यक्ति काम लेकर जाता था तो उनका सीधा जवाब श्रीयुत की ओर रहता था। श्री तिवारी की यह कार्य शैली ही रही कि सत्ता, संगठन से लेकर प्रशासनिक निर्णय दादा लेते रहे है। विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष बनाये जाने की चर्चा के बीच इस बात को लेकर भी चर्चा है कि भाजपा नेता क्या दादा जैसी सत्ता स्थापित कर पाते है यह फिर विधानसभा तक ही सीमित रहगे है।

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अपने निर्णय के रहे धनी

श्रीयुत को विंध्य का नेता ऐसे ही नहीं माना जाता था। वे अपने निर्णय के सदैव धनी रहे है। इसके लिये हर स्तर तक लड़ाई लड़ते थे। उन्होंने किसानों, मजदूरों के लिए सामंतवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी। दस्यु उन्मूलन के खिलाफ भी काम किया। रीवा के विकास को कई सौगातें दी। रीवा को महानगर बनाने का प्रयास उन्होंने ही शुरू किया था। उसके परिणाम भी सामने है। ऐसे निणर्य वाले दादा की याद एक बार फिर लोग कर रहे कि जिस पद पर वे 10 वर्ष तक रहते हुये सत्ता चलाई, विंध्य के नेता इसे दोहरा पाते है यह फिर सत्ता संगठन के बीच महज कुर्सी तक सीमित रह जायेगे।

क्यों मिली सफेद शेर की उपाधि

श्रीयुत को सफेद शेर की उपाधि ऐसे ही नहीं मिल गई है। उनमें कुछ ऐसा कौशल था जो यह उपाधि प्रदान करता है। उन्होंने राजनीति के साथ ही समाजसेवा, प्रशासन, साहित्य की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य किया है। श्रीयुत लंबे-चैड़े सिर पर घने बाल शंख जैसी सफेदी, श्वेत भौह, सभी की बातें ध्यान से सुनना, शीघ्र पहचान करना, अपनी बातों पर अड़े रहना, कभी हार न मानना उनकी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन करती थी।

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