सिंगरौली में एक साथ 6 आरक्षक कोरोना पॉजिटिव, मचा हड़कंप

सिंगरौली में एक साथ 6 आरक्षक कोरोना पॉजिटिव, मचा हड़कंप सिंगरौली: कोरोना वायरस के कहर ने अब गांव,बस्ती ,शहर हर जगह अपना

Update: 2021-02-16 06:30 GMT

सिंगरौली में एक साथ 6 आरक्षक कोरोना पॉजिटिव, मचा हड़कंप

सिंगरौली: कोरोना वायरस के कहर ने अब गांव,बस्ती ,शहर हर जगह अपना पंख फैला रखा है. कोरोना के बढ़ते मामले को देख सरकार में भी अब चिंता देखने को मिल रही है. कोरोना ने मध्यप्रदेश के कई जिलों को लपेट में ले रखा है जिसमे सबसे ज्यादा इंदौर और भोपाल की हालत ख़राब है. 

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मिली जानकारी के मुताबिक कल रविवार को सिंगरौली जिले के बरगवां थाना में कोरोना वायरस की इंट्री हो गई है जहाँ 6 आरक्षक पॉजिटिव पाये गये है। उसकी रविवार को पॉजिटिव आने के बाद पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। खबर की पुष्टि सीएमएचओ आर.पी पटेल ने की है।

रीवा कलेक्टर इलैयाराजा टी सुनेंगे सरपंच-सचिवों के खिलाफ धारा 40-92 की कार्रवाई

रीवा. (विपिन तिवारी ) । पंचायतो में सरपंच सचिव द्वारा लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं। गांव का विकाश सरपंच सचिव की मिलीभगत की वजह से दम तोड़ देता है। इसे मद्देनजर रखते हुए सरकार ने पंचायतों में योजनाओं के क्रियान्वयन में मनमानी पर नकेल कसने के लिए सरकार ने चार साल पहले नई व्यवस्था बनाई है। पंचायत प्रतिनिधियों और सचिवों के खिलाफ धारा-40 (पद से पृथक) एवं धारा-92 (वसूली) की कार्रवाई की सुनवाई के लिए प्रथम अपीलीय अधिकारी के रूप में बतौर जिला पंचायत सीइओ को नियुक्ति किया गया है। लेकिन, सरकार ने इस व्यवस्था में एक बार फिर बदलवा लाया है। जिला पंचायत सीइओ से यह व्यवस्था छीन कर सरकार ने कलेक्टर को सौंप दिया है।

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एक मई 2017 को किया था संशोधन

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ी करने वाले सरपंच व सचिवों को पद से पृथक करने वसूली की कार्रवाई के लिए जनपद पंचायतों से जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत सीइओ कार्यालय में भेजे गए हैं। एक मई 2017 से लेकर अब तक सैकड़ो पंचायतों के सरपंच-सचिवों के मामले सीइओ कार्यालय में पहुंचे। कुछ प्रकरणों को छोड़ दे तो ज्यादातर प्रकरण लंबित पड़े हुए हैं। पंचायत विभाग में प्रकरणों की सुनवाई अव्यवस्थित तरीके से चल रही थी। शासन ने व्यवस्था में फेरबदल करते हुए फिर राजस्व विभाग में दोबारा भेज दिया है। अब प्रकरणों की सुनवाई कलेक्टर करेंगे।

वर्ष 1994 में दिए गए थे

अधिकार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अधिसूना के अनुसार 5 मार्च 1994 को उपखंड अधिकारी यानी एसडीएम को विहित प्राधिकारी अधिसूचित किया गया था। राज्य शासन के द्वारा उक्त अधिसूचना को संशोधित कर नवीन अधिसूचना एक मई 2017 को राजपत्र में प्रकाशित की गई। जिसके तहत अधिसूचित विहित प्राधिकारी उपखंड अधिकारी (राजस्व) के स्थान पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी को विहित प्राधिकारी अधिसूचित किया गया था।

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प्रकरणों की सुनवाई का मोह नहीं हो रहा भंग

जिला पंचायत कार्यालय में धारा-40 व धारा-92 की कार्रवाई के प्रकरणों की सुनवाई से पंचायत अधिकारियों का मोह भंग नहीं हो रहा है। तभी तो आदेश आए पखवाड़ेभर से अधिक बीत गए। लेकिन, व्यवस्था के साथ ही फाइलें कलेक्टर कार्यालय में शिफ्ट नहीं की गई। जबकि कलेक्टर ने कार्यालय के कर्मचारियों को सभी प्रकरणों को जिपं कार्यालय से कलेक्टर कार्यालय में शिफ्ट कराने का निर्देश दिए हैं। बावजूद इसके जिला पंचायत कार्यालय में प्रकरणों को देख रहे बाबू व परियोजना अधिकारी का मोह भंग नहीं हो रहा है। पंद्रह दिन से कई मामलों का आनन फानन में निराकरण कर दिया गया। कलेक्टर के आदेश पर कइयो सचिवों को नोटिस देकर इतिश्री कर ली है।
वर्जन… शासन स्तर पर नई व्यवस्था बनाई गई है। पंचायत विभाग की गाइड लाइन के आधार पर धारा-40 व 92 की प्रक्रिया की सुनवाई के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है। अभी तक जिला पंचायत सीइओ के यहां चल रही है। जल्द ही कलेक्ट्रेट कार्यालय में सुनवाई प्रारंभ हो जाएगी। व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
इलैयाराजा टी, कलेक्टर

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