जब हेडमास्टर के रिटायरमेंट में रो पड़ा पूरा गांव, वायरल हुआ मऊगंज के शिक्षक का अश्रुपूर्ण फेयरवेल

मऊगंज जिले के फुलहा गांव में एक भावनात्मक पल देखने को मिला जब प्रधानाध्यापक रामावतार शर्मा सेवानिवृत्त हुए। गांववासियों, बच्चों और शिक्षकों ने उन्हें सम्मानपूर्वक विदाई दी। यह सिर्फ विदाई नहीं, एक गुरु को सम्मान देने का पल था।;

Update: 2025-11-02 15:11 GMT
🔹 मऊगंज के फुलहा गांव में हेडमास्टर की भावनात्मक विदाई
🔹 पूरे गांव ने मिलकर दी अपने शिक्षक को सम्मानपूर्ण अलविदा
🔹 बच्चों और ग्रामीणों की आंखों में छलक आए आंसू
🔹 शिक्षक रामावतार शर्मा बने गांव के प्रेरणास्त्रोत

Mauganj Emotional Farewell News 2025: जब पूरा गांव रो पड़ा अपने गुरु की विदाई पर

रीवा। मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले में एक ऐसा नज़ारा देखने को मिला जिसने हर किसी को भावुक कर दिया। नईगढ़ी ब्लॉक के फुलहा गांव स्थित पीएम श्री शासकीय हाई स्कूल के हेडमास्टर रामावतार शर्मा जब सेवानिवृत्त हुए, तो सिर्फ एक शिक्षक नहीं बल्कि एक युग को विदाई दी गई। विदाई समारोह में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी की आंखें नम थीं। यह पल सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक ऐसे गुरु के प्रति सम्मान था जिसने अपने ज्ञान और संस्कार से पूरे गांव को रोशन किया। प्रधानाचार्य का रिटायरमेंट पूरे सोशल मीडिया में वायरल हो गया, चर्चा का विषय बन गया।

फुलहा स्कूल में उमड़ा भावनाओं का सैलाब

फुलहा गांव के स्कूल में आयोजित विदाई समारोह में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। बच्चों ने मंच पर अपने प्रिय हेडमास्टर सर के साथ बिताए पलों को याद करते हुए उन्हें गले लगाकर विदा किया। शिक्षक साथियों और ग्रामीणों ने उन्हें शाल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। पूरे गांव में इस बात की चर्चा रही कि रामावतार शर्मा ने न केवल शिक्षा दी बल्कि जीवन जीने की सीख भी दी। यही उन्हें अन्य शिक्षकों से अलग बनाता है।

गांव ने दिखाया शिक्षक के प्रति सच्चा सम्मान

यह विदाई सिर्फ एक शिक्षक की सेवानिवृत्ति नहीं थी, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा का जीवंत उदाहरण थी। जब शिक्षक मंच से उतर रहे थे, तो बच्चों ने उनके चरण छूकर आशीर्वाद लिया। ग्रामीणों ने कहा कि शर्मा जी जैसे शिक्षकों के कारण ही आज गांव के बच्चे बड़ी-बड़ी नौकरियों में हैं। उन्होंने हर बच्चे को बराबर अवसर दिया और किसी को भी कमतर नहीं समझा। यह दृश्य इस बात का प्रमाण था कि सच्चे शिक्षक की पहचान उसके पढ़ाए हुए बच्चों से होती है।

शिक्षक रामावतार शर्मा: एक प्रेरणास्रोत व्यक्तित्व

ग्रामीणों का कहना है की प्रधानाध्यापक रामावतार शर्मा ने अपने शिक्षण जीवन में न केवल अनुशासन और संस्कार को प्राथमिकता दी बल्कि बच्चों को समाज के प्रति जिम्मेदार बनना भी सिखाया। उन्होंने स्कूल में स्वच्छता अभियान से लेकर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाई। उनके सहयोगियों ने बताया कि शर्मा जी हमेशा अपने छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते थे और हर बच्चे को अपनी संतान की तरह समझते थे।

समाज का मार्गदर्शक बना एक सच्चा शिक्षक

फुलहा गांव की यह विदाई इस बात का प्रतीक बन गई कि एक सच्चा शिक्षक सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं रहता — वह पूरे समाज का मार्गदर्शक होता है। आज जब कई सरकारी स्कूलों में शिक्षण केवल औपचारिकता बनकर रह गया है, वहीं हेडमास्टर शर्मा ने अपने समर्पण और कर्म से दिखाया कि शिक्षा एक जीवन दर्शन है। बच्चों की आंखों में छलकते आंसू इस बात के गवाह हैं कि शिक्षक रिटायर हो सकता है, पर उसका प्रभाव कभी रिटायर नहीं होता।

गांव के दिल में बस गए हेडमास्टर शर्मा

आज जब प्रधानाध्यापक रामावतार शर्मा अपनी सेवा यात्रा पूरी कर घर लौटे, तो पूरा गांव गर्व और सम्मान से भर उठा। हर किसी के चेहरे पर मुस्कान और आंखों में श्रद्धा थी। यह पल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन गया कि एक सच्चा गुरु वह होता है, जो शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी देता है। मऊगंज के फुलहा गांव की यह कहानी बताती है कि शिक्षक की विदाई कभी अंत नहीं होती — वह एक नई शुरुआत होती है।


FAQs: मऊगंज शिक्षक विदाई समारोह पर आम सवाल

Q1. प्रधानाध्यापक रामावतार शर्मा कहां से सेवानिवृत्त हुए?

वे पीएम श्री शासकीय हाई स्कूल, फुलहा (नईगढ़ी ब्लॉक, मऊगंज) से सेवानिवृत्त हुए।

Q2. विदाई समारोह में कौन-कौन शामिल था?

समारोह में स्कूल के छात्र, ग्रामीण, सहकर्मी शिक्षक और समाज के वरिष्ठजन शामिल हुए।

Q3. समारोह के दौरान क्या खास हुआ?

बच्चों और ग्रामीणों ने आंसू भरी आंखों से अपने गुरु को विदा किया और उन्हें शाल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

Q4. शिक्षक रामावतार शर्मा को क्यों खास माना जाता है?

क्योंकि उन्होंने अपने विद्यार्थियों को केवल शिक्षा ही नहीं दी, बल्कि जीवन के संस्कार भी सिखाए।

Q5. इस विदाई से क्या संदेश मिला?

यह विदाई बताती है कि एक सच्चा शिक्षक रिटायर तो हो सकता है, लेकिन उसका प्रभाव और शिक्षाएं कभी समाप्त नहीं होतीं।

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