रीवा कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: 10 वर्षीय बालिका से दुष्कर्म का मामला, POCSO कोर्ट ने दरिंदे को 'आजीवन कारावास' और ₹10,000 जुर्माने की सजा सुनाई
रीवा में 10 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अदालत ने अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई। महज 5 माह में आया फैसला। आरोपी पर धारा 376(2) और पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई। पुलिस की भूमिका की सराहना।;
⚖️ मुख्य समाचार (Highlights of the Verdict)
- विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की अदालत ने आरोपी को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
- महज 5 माह की रिकॉर्ड अवधि में न्यायालय ने इस संवेदनशील मामले का निपटारा किया।
- आरोपी पर ₹10,000 का अर्थदंड भी लगाया गया; पीड़िता को क्षतिपूर्ति देने का निर्देश।
- मऊगंज पुलिस की तत्काल और बारीक विवेचना के कारण आरोपी को सजा मिल पाई।
रीवा जिले में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) की अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले जघन्य अपराधों पर एक कड़ा संदेश देता है। अदालत ने 10 वर्षीय नाबालिग बालिका से दुष्कर्म के एक घिनौने कृत्य को अंजाम देने वाले दोषी को आजीवन कारावास की कड़ी सजा सुनाई है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि दोषी को अपने जीवन की अंतिम सांस तक जेल में गुजारनी होगी।
⏱️ 5 माह में पूरा हुआ ट्रायल (Trial Completed in 5 Months, Court Praised the Process)
यह पूरा मामला मऊगंज (Mauganj) जिले के थाना लौर क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। आपराधिक घटना इस वर्ष मई 2025 में हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी थी। पुलिस ने न केवल समय पर कार्य किया, बल्कि बारीक साक्ष्यों को भी जुटाया, जिसने न्यायालय में दोषी को सिद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष न्यायाधीश ने मामले की तेज सुनवाई सुनिश्चित की और गवाहों के बयान तथा साक्ष्यों के अध्ययन के आधार पर दोषी को सजा सुनाई। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के जघन्य अपराधों को करने वालों के लिए समाज में कोई जगह नहीं है, और ऐसे अपराधियों को कठोर दंड मिलना आवश्यक है।
📜 विभिन्न धाराओं में मिली कठोर सजा (Severe Punishment Under Various Sections)
विशेष लोक अभियोजक अजय कुमार सिंह ने न्यायालय में तथ्यों और साक्ष्यों को सफलतापूर्वक पेश किया। आरोपी कृष्णपाल गिरी उर्फ़ भोले गिरी (29) पिता वंशगोपाल गिरी, ग्राम तदौरा, थाना लौर, जिला मऊगंज को भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया है। मुख्यतः, दोषी पर धारा 376(2) - G (सामूहिक दुष्कर्म) में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, साथ ही धारा 376 के विभिन्न उपबंधों (sub-sections) में 7 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक के सश्रम कारावास की भी सजाएँ दी गई हैं, जो साथ चलेंगी। न्यायाधीश ने दोषी पर कुल ₹10,000 का अर्थदंड (जुर्माना) भी लगाया है। इस जुर्माने की राशि और पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत पीड़िता को सहायता प्रदान करने का आदेश भी दिया गया है, ताकि नाबालिग पीड़िता को शारीरिक और मानसिक क्षतिपूर्ति मिल सके।
🚨 पुलिस की त्वरित कार्रवाई और विवेचना बनी आधार (Police's Prompt Action and Investigation Became the Foundation)
इस सफल अभियोजन में मऊगंज पुलिस की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। पुलिस ने न केवल तेजी से गिरफ्तारी की, बल्कि वैज्ञानिक साक्ष्यों और पीड़िता के बयान को मजबूत बनाते हुए अदालत में पेश किया। इस कार्य में पुलिस के जांच दल में शामिल कर्मचारियों और अधिकारियों ने ईमानदारी से काम किया। विशेष लोक अभियोजक अजय कुमार सिंह, उप लोक अभियोजक उमेश सिंह बघेल सहित अन्य सहायक अभियोजकों ने तर्क और साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय में दोषी को सिद्ध किया। यह मामला रीवा के न्यायिक इतिहास में एक नजीर बन गया है, जो कानून और व्यवस्था के प्रति अधिकारों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs Section)
1. पॉक्सो एक्ट क्या है?
POCSO Act (Protection of Children from Sexual Offences Act) यानी 'लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम' एक विशेष कानून है, जिसे बच्चों को यौन अपराधों से बचाने और ऐसे अपराधों के मामलों में त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए 2012 में लागू किया गया था।
2. आरोपी को आजीवन कारावास की सजा किस धारा के तहत मिली है?
आरोपी को मुख्य रूप से भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)-G (सामूहिक दुष्कर्म के तहत) के साथ-साथ पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 के तहत अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
3. पीड़िता को वित्तीय सहायता कैसे मिलेगी?
न्यायालय ने दोषी पर लगाए गए ₹10,000 के जुर्माने की राशि और शासन की 'पीड़ित प्रतिकर योजना' के तहत पीड़िता को क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करने का आदेश दिया है।