जयबाण तोप: एक ऐसी तोप जो 400 साल में सिर्फ एक बार चली और जहां गोला गिरा वहां तालाब बन गया

Jaybaan Cannon: इस तोप का नाम जयबाण तोप है जिसे एक बार इस्तेमाल में लाया गया और इससे होने वाले नुकसान को देखा गया तो दोबारा युद्ध में उपयोग ही नहीं किया गया

Update: 2022-02-02 08:23 GMT

Jaybaan Cannon: तोप एक ऐसा युद्ध अस्त्र है जो सदियों से चला आ रहा है और आज भी मॉर्डन वॉर इस्तेमाल होता है। देश में मुग़लों ने तोप का इस्तेमाल युद्ध में करना शुरू किया था जिसके बाद हर रियासतें जंग लड़ने और अपने साम्राज्य की हिफाजत करने के लिए तोप का इस्तेमाल करने लगी. 

भारत में एक ऐसी भी विशालकाय तोप है जिसका इस्तेमाल सिर्फ  400 सालों में एक बार हुआ, दानवाकार इस तोप का नाम जयबाण तोप है जो किसी भी इलाके में तबाही मचा देने के लिए अकेली ही पर्याप्त थी. इस तोप को आप जयपुर के किले में देख सकते हैं। 

दुनिया की सबसे बड़ी तोप 'जयबाण तोप' 

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 13 वीं और 14 वीं शताब्दी में युद्ध के वक़्त तोपों का इस्तेमाल होना शुरू हुआ था, 1313 ईस्वी में यूरोप में इसकी शुरुआत हुई थी। पानीपत की लड़ाई में विदेशी आक्रांता बाबर पहली बार भारत में आक्रमण करने के दौरान तोप लेकर आया था। जयबाण टॉप फ़िलहाल जयपुर के जयगण किले में मौजूद हैं. जयबाण तोप का निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था जो जयपुर किले के महाराज थे।  

कभी इस तोप को किले से बाहर नहीं निकला गया और न ही युद्ध की नौबत आई. इस 50 टन वजनी तोप को इधर- उधर करने का नाम सुनकर ही राजा की सेना के पसीने छूट जाते थे और दुश्मन तो कभी आक्रमण करने की सोचता भी नहीं था।  इस तोप में 50 किलो का गोला भरा जाता था. 

सिर्फ एक बार ट्रायल हुआ था 

ना तो इस तोप का युद्ध में कभी इस्तेमाल हुआ और ना ही राजा ने मजे के लिए इसका उपयोग किया सिर्फ एक बार इसका ट्रायल हुआ था जब जयबाण तोप बनकर तैयार हुई थी. जब ट्रायल में गोला दागा गया तो वह 35 किलोमीटर दूर जाकर गिरा। और जहां वह 50 किलो का गोला गिरा वहां की जमीन ऐसे धसक गई जैसे कोई उल्कापिंड गिर गया हो। वहां तालाब बन गया था। तोप के गोले से बना तालाब आज भी है और उसमे पानी भी है। 

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