नए नियमों के मुताबिक अगर आपने किसी शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाया तो आपको क्या सजा मिलेगी ?
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New Delhi : धारा 497 पर फैसला आते ही सोशल मीडिया पर माहौल गरमा गया है। ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को गलत बता रहे हैं और इसकी निंदा कर रहे हैं। कई लोग इस मामले को बिना जाने इस पर टिप्पणी कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों का मानना है कि अब औरतों को गैर-मर्द के साथ संबंध बनाने की छूट मिल गई हम विस्तार से इसी विषय पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में बता रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जोसेफ शाइन नामक व्यक्ति द्वारा डाली गयी याचिका के अनुसार उस क़ानून में सुधार किया है जिसके अनुसार जब स्त्री संबंध बनाने की सहमति देने और संबंध बनाने में भागीदार है तो फिर सज़ा में क्यों नहीं ? अब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा प्रावधान कर दिया है कि, पुलिस सीधे पुरुषों पर हाथ नहीं डाल सकेगी।
पुराना कानून : पहले अगर शादीशुदा औरत के साथ कोई पुरुष संबंध बनाता था तो इसमें औरत का कोई दोष नहीं माना जाता था और सिर्फ पुरुष के लिए सजा का प्रावधान था। पहले वाले कानून के अनुसार, संबंध बनाने की पहल हमेशा सिर्फ पुरुष करता है औरत ऐसा कर ही नहीं सकती और ना ही इसमें उसकी मर्जी होती है। पुरुष ये काम जबरदस्ती या बहला फुसलाकर करता था। इसतरह से ये कानून एकपक्षीय था। ऐसा माना जाता था इस कानून का औरतें दुरूपयोग किया करती थीं, और वो अक्सर खुद को बचाने के लिए जिससे उनके अवैध संबंध होते थे उस पर रेप का आरोप लगा दिया करती थीं जिसमें सीधे सजा होती थी। या फिर अगर पुलिसवालों को पता चल जाता था तो पुलिसवाले भी इस कानून का दुरूपयोग किया करते थे। क्योंकि कानून के अनुसार उसमें औरत सहभागी हो ही नहीं सकती थी। इसलिए औरत का कोई दोष ही नहीं माना जाता था। कानून सिर्फ एक एंगल से ही मामले की जांच और उसका निपटारा करता था।
नया कानून : पहले अगर शादीशुदा औरत किसी के साथ संबंध बनाती थी तो कानून इसकी जांच एकपक्षीय किया करता था। अब वही जांच समान हुआ करेगी और सीधे पुरुष को दोषी नहीं माना जाएगा। उसमें महिला की भूमिका भी जाँची जा सकेगी। अब कानून इस एंगल से भी केस देखेगा कि, इसमें औरत की भी सहमति हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने बस इतना बदलाव किया है कि पहले दोनों की सहमति से शादीशुदा औरत के साथ संबंध बनाने में जो पुरुष को दोषी मान लिया जाता था अब अकेले पुरुष को दोषी नहीं माना जाएगा। नये कानून के अनुसार, अब सहमति को स्वीकार किया जाएगा। अगर दो लोग मर्जी से संबंध बना रहे हैं तो यह अपराध ही नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन पुरुषों को राहत मिलेगी जो सहमति से संबंध बनाने पर भी कानून की नजर में अपराधी घोषित कर दिए जाते थे। जो लोग ऐसी टिप्पणी कर रहे हैं कि, सुप्रीम कोर्ट ने औरतों को स्वछंदता दे दी है। ऐसा नहीं है सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ अवैध संबंधों को क़ानूनी दायरे से बाहर किया है जो पुरुषों के विरोध में एकपक्षीय था। अब अगर आप शादीशुदा हैं और आपने किसी और शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाया तो आप दोषी नहीं होंगे। बशर्ते महिला की सहमति हो। यदि आप कुंवारे हैं और आपकी उम्र 18 से ज्यादा है तो भी आप सहमति के साथ आप दोषी नहीं होंगे।