- Home
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- रीवा
- /
- रीवा के सुपारी कला को...
रीवा के सुपारी कला को दुनिया भर में मिलेगी पहचान, शिवराज ने किया वादा..
रीवा के सुपारी कला को दुनिया भर में मिलेगी पहचान, शिवराज ने किया वादा..
रीवा / Rewa Supadi Art : सुपारी कलाकृति को रीवा में देखने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभिभूत हो गये। उन्होने घोषणा किया है कि इस कलाकृति को दुनिया भर में भेजा जायेगा। जिससे इस कला को देश-दुनिया के लोग जान सकें और कला को पूरा महत्वं मिले।
प्रस्तुत की गई थी झांकी
दरअसल गणतंत्र दिवस समारोह एसएएफ मैदान रीवा में आयोजित किया गया था। इस सामारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथी के रूप में शामिल हुये। इस दौरान निकाली गई विभिन्न झांकियों में सुपारी से बने भगवान गणेश की प्रतिमा शमिल रही। इस प्रतिमा को देखने के बाद मुख्यमंत्री ने इसे देश ही नही बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी भेजने की घोषणा किये है।
कुंदेर परिवार करता है तैयार
रीवा के फोर्ट रोड में रहने वाले कुंदेर परिवार के लोग सुपारी (Rewa Supadi Art) को कला कृति देते आ रहे है। जिसमें वे सुपारी की कटिग करके उसे सुन्दर बनाते है। इसमें से भगवान की प्रतिमा एंव खिलौने भी तैयार करते आ रहे है। बदलते बाजार बाद के चलते इस कला को सही स्वरूप नही मिल पा रहा। जिसके चलते कलाकारों में भी मायुसी है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद सुपारी कला एंव कलाकारों को उम्मीद की उड़ान नजर आने लगी है।
यह भी पढ़े ; वीर चक्र से सम्मानित हुआ रीवा का सपूत, गलवान घाटी में हुआ था शहीद…
रियासत काल में मिलता था महत्व
बताते है कि सुपारी कला को रीवा राज दरबार में महत्व दिया जाता रहा है। कलाकारों का सम्मान होने के साथ ही अतिथियों को उपहार में सुपाड़ी के खिलौन राज परिवार के द्वारा दिये जाते थे। सुपारी की कटिंग को पान के साथ उपयोग किया जाता था। जिससे उन्हे सम्मान मिलने के साथ ही व्यापार भी मिलता था।
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी हुई थी प्रभावित
रीवा में बनने वाले सुपारी के खिलौने को राज परिवार के द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गिफ्ट किया गया था। वे इस कला कृति से बेहद प्रभावित हुई थी।
तीसरी पीढ़ी कर रही काम
जानकारी के तहत वर्ष 1942 में भगवानद्रदीन कुंदेर ने पहली बार सुपारी को आकृति दिया था। उन्होने सिन्दुरदान तैयार करके रीवा राज्य को गिफ्ट किया था। वही उनकी तीसरी पीढ़ी इस कला को अभी की आकृति दे रही है।