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रीवा की जनता को स्ट्रीट डॉग्स की टेंशन! क्या नए मेयर के पास है कोई सॉल्यूशन?

रीवा की जनता को स्ट्रीट डॉग्स की टेंशन! क्या नए मेयर के पास है कोई सॉल्यूशन?
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रीवा शहर का हाल कुछ ऐसा है कि गली के गुंडों और सड़क के कुत्तों, दोनों से ही जनता परेशान है.

Street Dogs In Rewa: रीवा जिला (REWA) वाइट टाइगर से पहचाना जाता है, बढ़िया है इसी में भौकाल चमक जाता है. लेकिन सफ़ेद बाघ का तो पता नहीं, काले-भूले-चिकत्तेदार शेरू और टॉमी जैसे हज़ारों स्ट्रीट डॉग्स एक दिन जरूर रीवा सिटी की पहचान बन जाएंगे। रीवा शहर की जनता रात के वक़्त दो तरह के जानवरों से बड़ी प्रताड़ित और भयभीत है. पहले गली के गुंडे और दूसरे सड़क के कुत्ते, इन दोनों को लेकर पब्लिक में इतनी दहशत है कि भरोसा नहीं कब कौन लुटेरा चैन छीन के भाग जाए और कब कौन डॉगी मसक के चाब ले और चैन से जीना मुहाल कर दे.


खैर अपन यहां गुंडों और कुत्तों का कम्पेरिजन नहीं कर रहे, क्या है कि डॉगी लॉयल होते हैं, प्यार से बिस्कुट खिला दो तो दोस्त ही बन जाते हैं मगर गुंडों लोगो के साथ ऐसा सीन नहीं है, जैसे कुत्तों को घी नहीं पचता वैसे गुंडों को प्यार नहीं बर्दाश्त होगा. इसी लिए अपन सिर्फ गली के गुंडों नहीं स्ट्रीट डॉग्स पर बात करेंगे और जानेंगे कि क्या रीवा सिटी (Rewa City) के नए नवेले महापौर अजय मिश्रा बाबा (Rewa Mayor Ajay Mishra Aka BABA) के पास कोई समाधान है?

रीवा में आवारा कुत्ते

रीवा शहर में इतने आवारा कुत्ते हैं कि अगर इनका वोटर आईडी कार्ड होता तो नेताओं के लिए वोट बैंक का काम कर जाते, खैर आवारा कुत्तों की समस्या खाली रीवा में नहीं है बल्कि पूरे देश के लोग इसी परेशानी से दिन-रात गुजरते हैं. लेकिन महानगरों और बढ़िया प्रशासन वाले शहरों में स्ट्रीट डॉग्स के लिए सोल्यूशन है पर दुर्भाय से वो समाधान अबतक रीवा के नगर निगम प्रशासन (RMC) ने अडॉप्ट नहीं किया है।


हालत ऐसे हैं कि संजय गांधी हॉस्पिटल में एक दिन ऐसा नहीं गुजरता जब आधा दर्जन लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने नहीं पहुंचते, कभी कभी तो स्टॉक ही खत्म हो जाता है. सबसे बड़ी दिक्कत है कि स्ट्रीट डॉग्स को भी रेबीज का डोज नहीं मिलता और जब वही डॉगी किसी शख्स को अपना डोज दे देता है जो वह जिंदगी भर का बोझ बन जाता है. स्कूल में तो सभी पढ़े हैं ना की कुत्ता काट दे तो रेबीज हो सकता है और रेबीज जानलेवा होता है. तो फिर सड़क में रेबीज देने वाले जानवर काहे बागते रहते हैं भाई?

अभी इस समय वैसे भी कुत्ते लोग आतंक मचाए हुए हैं. कोई पिटबुल अपनी मालकिन को खा गया तो कहीं कोई लेब्राडॉर लिफ्ट में छोटे बच्चे को चबा डाला, और हाल ही एक घटना में एक कुत्ते ने 5-6 साल की मासूम पर इतना बुरा हमला किया कि उसके शरीर में 150 टांके आए. लगता है जबतक रीवा में ऐसी अनहोनी नहीं होगी तबतक RMC की नींद नहीं टूटेगी। कई एक से एक IAS और नेता लोग चुनाव जीतकर आए लेकिन कोई भी आवारा कुत्तों की परेशानी का इंतजाम नहीं खोज पाया

दैनिक भास्कर की रिपोर की माने तो रीवा में हर दिन 15 लोग डॉग बाईट का शिकार होते हैं और पिछले साल के आंकड़ों में एक साल के अंदर 2302 मामले सिर्फ SGMH में आए थे.


स्ट्रीट डॉग्स से छुटकारा कैसे मिलेगा

  • बड़े देशों में स्ट्रीट डॉग्स को पकड़कर एक रेस्क्यू सेंटर में भेज दिया जाता है, जहां वह मरते दम तक रहते हैं और जिस किसी नेक दिल वाले व्यक्ति को उन्हें पालना होता है वो उन्हें ले जाते हैं.
  • कुछ देशों में स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी कर दी जाती है, ताकि उनकी आबादी ना बढे और धीरे-धीरे सड़कों से वह कम हो जाएं, नसबंदी वाला अभियान भारत में भी है लेकिन ''कौन कुत्तों को पकड़े कौन उनकी नसबंदी करे'' ये वाली योजना ज़्यादा प्रभावशील है.
  • चाइना में तो स्ट्रीट डॉग्स सड़कों में नहीं रेस्टोरेंट की थाली में मिलते हैं. लेकिन चीन वाले बड़े जालिम है उनकी क्या बात करें
  • भारत के भी कुछ अच्छे शहरों में स्ट्रीट डॉग्स को पकड़कर ऐसे स्थान में ले जाया जाता है जहां वह आराम से रहते भी हैं और लोगों को कोई तकलीफ भी नहीं होती
  • इंदौर जो कि भारत का सबसे स्वच्छ शहर है वहां के प्रशासन ने तो स्ट्रीट डॉग्स के लिए डॉग हॉउस बना दिए हैं.

स्ट्रीट डॉग्स के लिए समाधान क्या है

अब कुत्तों के साथ क्रूरता हो इससे ज़्यादा अमानवीय कुछ है नहीं, इसी लिए उनके पकड़कर मार देने का ख्याल ही अपने आप में पाप है. और जहां इंसानों के रहने के लिए जगह नहीं है वहां स्ट्रीट डॉग्स के लिए डॉगी-शाला बनवाना तो पॉसिबल ही नहीं है. इसी लिए नसबंदी करने वाला अभियान बेस्ट एंड लास्ट ऑप्शन बचता है.

रीवा के नए मेयर के पास कोई समाधान है?

रीवा शहर के नए मेयर अजय मिश्रा बाबा से इस बारे में बात हुई, उन्होंने रीवा में स्ट्रीट डॉग्स की बढ़ती आबादी और उनके कारण होने वाली घटनाओं पर चिंता जाहिर की, लेकिन उन्होंने कहा 'मैं पहले आवारा गोवंशों को लेकर काम कर रहा हूं, जब शहर की सड़कों से आवारा गोवंश को हटाने का बंदोबस्त होगा तो उसके बाद स्ट्रीट डॉग्स के लिए भी समाधान निकाला जाएगा' उन्होंने कहा कि गायों को तो गोशाला भिजवाया जा सकता है लेकिन स्ट्रीट डॉग्स के लिए रीवा में अभी तो कोई इंतजाम नहीं हैं. लेकिन इस परेशानी को लेकर भी मैं काम करूंगा।

तो अभी कुछ दिन-महीनों में स्ट्रीट डॉग्स से आपको राहत मिल जाएगी यह खयाल ही अपने दिमाग से निकाल दीजिये और आवारा कुत्तों से बचने के लिए नीचे दिए गए कुछ टिप्स अपनाइये जो तबतक आपको डॉग बाइट से बचा लेंगे जबतक 'बाबा' और RMC कोई समाधान नहीं निकाल लेते।

स्ट्रीट डॉग्स से बचने के उपाय

  • पैदल चल रहे हैं तो साथ में 10 रुपए वाला पार्ले जी वाला बिस्कुट खरीद कर चलें, ब्रेड ना खरीदें क्योंकि कुछ डॉगी नहीं खाते।
  • बिस्कुट खरीदने के पैसे नहीं है तो हाथ में लाठी लेके घूमें, कुत्ता दूर से देख लेगा तो सामने आने की हिमाकत नहीं करेगा
  • बाइक से जा रहे हैं तो अपने पैरों में लोहे का कवच लगा लें, कोई कुत्ता खाटेगा तो उसके दांत ही टूट जाएंगे
  • लोहा महंगा है तो कवच अफोर्ड ना कर पाने पर आप अपनी बाइक को थोड़ा सा धीमे कर दें, और कुत्ते के एक्सप्रेशन पर नज़र डालें, और उसकी एक्टिविटी को भांपने की कोशिश करें, और जैसे ही आप उसके पास जाएं तुरंत सरसरा कर निकल लें

इसके अलावा अगर आपके पास कोई मशवरा है तो कॉमेंट करके हमें बताएं।

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