रीवा

रीवा विधानसभा चुनाव 2023: रीवा से राजेंद्र शुक्ल के खिलाफ कौन? कांग्रेस से कविता, अजय बाबा और राजेंद्र टिकट की दौड़ पर; लेकिन सामने आया चौकाने वाला नाम...

Rewa Assembly Election 2023
x

Rewa Assembly Election 2023

Rewa Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए तीन माह ही शेष बचे हैं। सभी दलों ने चुनावी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।

Rewa Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए तीन माह ही शेष बचे हैं। सभी दलों ने चुनावी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। चुनाव के ठीक पहले मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने इस कार्यकाल में अपने कैबिनेट का चौथी बार विस्तार किया है, जिसमें रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ल और बालाघाट विधायक गौरीशंकर बिसेन को कैबिनेट में जगह मिली है, जबकि खड़गपुर विधायक राहुल सिंह लोधी को राज्यमंत्री बनाया गया है। तीनों नव-मंत्रियों को विभाग भी सौंप दिए गए हैं। राजेन्द्र शुक्ल विंध्य के लोकप्रिय नेता हैं। चार पंचवर्षीय विधानसभा चुनावों में अजेय रहें राजेन्द्र शुक्ल के सामने आगामी विधानसभा चुनाव में रीवा कांग्रेस से कौन उतरेगा, इस पर भी चर्चा तेज हो गई है। मध्यप्रदेश कांग्रेस भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाना चाह रही है, इसके लिए पार्टी ने अपने स्तर पर सर्वे भी करा लिया है। रीवा से राजेन्द्र शुक्ल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारने के लिए कांग्रेस से कई नामों पर पार्टी विचार कर रही है। जिनमें प्रमुख अजय मिश्रा बाबा, कविता पांडे एवं राजेन्द्र शर्मा शामिल हैं। लेकिन एक नाम ऐसा भी है, जो दिल्ली में चल रहा है। तो जानते हैं कांग्रेस से रीवा विधानसभा प्रत्यासी के टिकट की दौड़ में शामिल नेताओं के बारे में...

अजय मिश्रा बाबा, रीवा महापौर

अजय मिश्रा बाबा 2022 में हुए रीवा महापौर चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रबोध व्यास को शिकस्त दी थी। इसके पहले रीवा महापौर पद पर भी लंबे समय से भाजपा काबिज रही है। मिश्रा पहले ऐसे कांग्रेस महापौर हुए, जिंहे जनता ने चुना है। इसके पहले बाबा नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व भी संभाल चुके हैं। लेकिन उन्हें कभी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाया गया और न ही उन्हे विधानसभा चुनाव का अनुभव है। हालांकि चर्चा है कि कांग्रेस आलाकमान राजेन्द्र शुक्ल के खिलाफ अजय मिश्रा बाबा को चुनावी मैदान में भेज सकती है।

सकारात्मक पहलू - महापौर पद पर हैं। गुटों की राजनीति से परे रहते हैं। नगर निगम के चुनावों का जबर्दस्त अनुभव है। कमलनाथ के खास और चहेते नेताओं में शामिल हैं।

नकारात्मक पहलू - राजेन्द्र शुक्ल से चुनाव में कभी सीधी टक्कर नहीं हुई। ग्रामीण इलाकों में पकड़ कमजोर है। गुटबाजी से खुद दूर रहते हैं, लेकिन रीवा में कांग्रेस के कई गुट सक्रिय है, जो नुकसान पहुंचा सकते हैं।

राजेन्द्र शर्मा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष (ग्रामीण)

राजेन्द्र शुक्ला के खिलाफ कांग्रेस राजेन्द्र शर्मा को भी मौका दे सकती है। शर्मा वर्तमान में रीवा जिला कांग्रेस अध्यक्ष का दायित्व संभाल रहें हैं। उन्हे विधानसभा चुनाव का अनुभव भी है, शर्मा पंजा चुनाव चिन्ह से 2008 में राजेन्द्र शुक्ला के खिलाफ रीवा विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन इस चुनाव में वे भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र शुक्ल से 29 हजार वोटों से पीछे रह गए और तीसरे स्थान पर थे। राजेंद्र शर्मा रीवा के प्रतिष्ठित संविदाकार भी हैं। साथ ही उनकी संगठन में अच्छी पैठ भी है।

सकारात्मक पहलू - विधानसभा चुनाव का अनुभव है। संगठन के चहेते हैं। ग्रामीण जिला अध्यक्ष हैं। मृदुभाषी होने के चलते कार्यकर्ताओं के चहेते हैं।

नकारात्मक पहलू - 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहें। शांत स्वाभाव होने के चलते अपनी बात सही ढंग से आलाकमान के सामने नहीं रख पाते।

कविता पांडे, कार्यकारी प्रदेश उपाध्यक्ष, महिला कांग्रेस

तीसरा और बड़ा नाम जो इस चुनाव में दौड़ में है वह है प्रदेश महिला कांग्रेस की कार्यकारी उपाध्यक्ष कविता पांडे का। कविता पांडे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी की भतीजी हैं और कांग्रेस की सक्रिय सदस्य होने के साथ-साथ तेज तर्रार नेता के तौर पर जानी जाती हैं। कांग्रेस ने उन्हे चुनावी मैदान पर कभी भी मौका नहीं दिया। जबकि वे हर बार अपनी दावेदारी पेश कर चुकी हैं। इस बार कविता फिर टिकट की दौड़ में हैं। कविता ने 2017 चुनाव में महापौर पद के लिए कांग्रेस से टिकट चाहा था, लेकिन टिकट न मिल पाने से वे निर्दलीय चुनाव लड़ गई थी। इस दौरान उन्हे कांग्रेस से निष्काषित भी कर दिया गया था। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भाजपा उम्मीदवार ममता गुप्ता को तो नहीं हरा सकीं लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी से अधिक वोट पाकर दूसरे स्थान पर जरूर रहीं। हालांकि कुछ साल बाद कांग्रेस में उनकी घर वापसी भी हो गई।

सकारात्मक पहलू - महापौर पद का निर्दलीय चुनाव लड़के अपना जनाधार दिखाया। ग्रामीण अंचलों में भी अच्छी पैठ है। जबर्दस्त वक्ता के तौर पर जानी जाती हैं। महिलाओं में अच्छी पकड़।

नकारात्मक पहलू - गुटबाजी हावी रहती है। पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ना। किसी चुनाव में राजेन्द्र शुक्ल से आमना सामना नहीं हुआ। संगठन में कमजोर पकड़।

विनोद शर्मा, पूर्व पार्षद

इन सबके अलावा एक नाम और भी है, जो सबको चौका सकता है। वह नाम है विनोद शर्मा का। शर्मा रीवा नगर निगम वार्ड 12 से पार्षद रह चुके हैं। इसके पहले वे रीवा से पहले निर्वाचित यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहें हैं। वर्तमान में उनकी पत्नी वार्ड नंबर 11 से पार्षद हैं और शर्मा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य होने के साथ सतना के जिला कांग्रेस सह प्रभारी हैं। राहुल गांधी को फॉलो करते हैं, भारत जोड़ो यात्रा में शामिल रहें और राहुल गांधी के 'With RG' विंग के सदस्य हैं। प्रदेश और प्रदेश से बाहर कई चुनावों में कांग्रेस की तरफ से अहम भूमिका निभा चुके हैं। महापौर प्रत्याशी पद की दौड़ में रहें, लेकिन मौका नहीं मिला। सूत्र बताते हैं कि विधानसभा चुनाव के लिए शर्मा के नाम की चर्चा दिल्ली में हो रही है।

सकारात्मक पहलू - राहुल गांधी के 'With RG' विंग के सदस्य हैं। बूथ स्तर का अच्छा अनुभव। नगर निगम पार्षद चुनाव में वार्ड बदलने के बावजूद भी अपनी पत्नी को चुनाव जिताया। विंध्य के दिग्गज कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल के करीबी।

नकारात्मक पहलू - स्थानीय संगठन में पकड़ कमजोर। चुनावों में भाग तो लिया, लेकिन बड़े चुनावों का अनुभव नहीं है।

Next Story