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कोरोना संकट काल में भारत का डंका, कभी मज़ाक उड़ाते थें अब नतमस्‍तक है दुनिया, जानिए वजह

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:19 AM GMT
कोरोना संकट काल में भारत का डंका, कभी मज़ाक उड़ाते थें अब नतमस्‍तक है दुनिया, जानिए वजह
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India in front of the world: कोरोना के इस संकट काल में चारों तरफ भारत का डंका बज रहा है, जो कभी हिन्दुस्तान का मज़ाक उड़ाते थें, आज वे इस दुनि

India in front of the world: कोरोना के इस संकट काल में चारों तरफ भारत का डंका बज रहा है, जो कभी हिन्दुस्तान का मज़ाक उड़ाते थें, आज वे इस दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सामने नतमस्तक है. एक दौर था जब भारत को हर देश नीचा दिखाने में तुला रहता था. 90 के दशक का वो दौर तो याद ही होगा जब देश की बड़ी जनसंख्या पश्चिमी देशों का रूख करती थी. अधिकांश लोगों का मानना होता था कि भारत में कुछ है ही नहीं. भारत में न नौकरी है, न कैरियर. धारणा ऐसी भी थी कि लोगों की खासकर पश्चिमी देशों की सोच होती थी कि भारत किसी महामारी को झेल नहीं पाएगा, भारत से महामारी फैलेगी पूरा विश्व डूबेगा.

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कॉलरा, स्मॉलपॉक्स, टीबी जैसी बीमारी लोगों की इस धारणा को मजबूत करते चले गएं. मिडिल क्लास फैमिली से विदेश जाना, खासकर कि अमेरिका, लंदन, आस्ट्रेलिया में रहना, नौकरी करना, व्यवसाय करना बहुत बड़ी बात होती थी. लोग जब लौटते थें तो उनका परिवार बड़े गर्व से कहता था, विलायत से लौटें हैं. पर अब शायद समय बदल गया है अब ऐसे लोग दिखावा नहीं करते, बल्कि छिपाते हैं, क्योंकि कारोना का कहर जो है, और भारत सबसे सेफ भी है.

अमेरिका ने जैसा बोया वैसा काटा

कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा बुरा हाल इस वक्‍त अमेरिका का है. साल 1892 में जब कॉलरा फैला तो अमेरिका ने सभी इमिग्रेंट्स को सीधे क्‍वारंटीन में भेज दिया. आज यही अमेरिकंस के साथ हो रहा है. अमेरिका ने राष्‍ट्रपति भारत से मदद मांगते हैं. उन्‍हें COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में 'Game Changer' बताई जा रही दवा Hydroxychloroquine चाहिए. भारत इसका सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. कई और विकसित देशों ने भारत से ये दवा मांगी है.

समय का खेल है, कभी उड़ाते थे मजाक, आज नतमस्‍तक

समय का अजीब खेल है. कभी भारत को 'सपेरों का देश' कहते थे. यहां की संस्‍कृति, इसकी सभ्‍यता का पश्चिमी देशों में खूब मजाक बनता था. आज वही देश भारत के आगे नतमस्‍तक हैं. हमारे अभिवादन के तरीके को कोरोना काल में पूरी दुनिया अपना रही है. इजरायल, ब्रिटेन जैसे देशों के नेता खुलकर 'नमस्‍ते' करते हैं. हाथ मिलाने पर वायरस संक्रमण का खतरा है, इसलिए नमस्‍ते सबसे अच्‍छा. यह बात अब जाकर पश्चिमी देशों को समझ आई है.

सीखे नहीं, झेलना पड़ा नुकसान

कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन के रेस्‍पांस को देखिए. दोनों देशों ने COVID-19 को हल्‍के में लिया. ट्रंप ने यहां तक कहा कि ये अफवाह है और जादू की तरह गायब हो जाएगा. एक तरफ, भारत समेत एशिया के कई देश लॉकडाउन की ओर बढ़ रहे थे तो पश्चिम में व्‍यापारी जारी था. अब अमेरिका और ब्रिटेन, दोनों देशों में मरने वालों की संख्‍या हजारों में है. खुद ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन अभी ICU से बाहर आए हैं.

हर ओर भारत की तारीफ़

वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने भारत के COVID-19 पर रेस्‍पांस की तारीफ की है. जिस तरह भारत ने फैसले किए और उन्‍हें धरातल पर लागू किया, उससे दुनिया के कई देशों ने सबक लिया. यूनाइटेड नेशंस ने कहा कि भारत में लॉकडाउन बेहद सही और सटीक समय पर लिया गया फैसला है. ब्राजील के राष्‍ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने तो भारत को 'हनुमान' की संज्ञा दी.

अब सुधर जाएं तो बेहतर..

भारत में विदेशियों को खूब सम्‍मान मिलता रहा है. 'अतिथि देवो भव' हमारी परंपरा का हिस्‍सा है. मगर आज उन विदेशियों को शक की नजर से देखा जा रहा है. डर है कहीं वे कोरोना वायरस लेकर ना आए हों. सच बात तो ये है कि भारत लंबे वक्‍त से अमेरिका जैसे देशों का सहयोग चाहता रहा है, मगर वैसा ही उधर से देखने को नहीं मिला. मगर ये वक्‍त इन बातों का नहीं है. ये वक्‍त तो दुखों को साझा करने का है. बस एक उम्‍मीद है कि जब दुनिया इस महामारी से उबरे तो इससे मिले सबक जरूर याद रखे.

Aaryan Dwivedi

Aaryan Dwivedi

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