Health

भयावह हो रहा कोरोना! बना रहा नई फ़ौज, जानिए उन 3 वैरिएंट्स के बारे में जो मचा सकते हैं और तबाही

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:48 AM GMT
भयावह हो रहा कोरोना! बना रहा नई फ़ौज, जानिए उन 3 वैरिएंट्स के बारे में जो मचा सकते हैं और तबाही
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अगर आप सोच रहें हैं कि कोरोना का संक्रमण कम हो रहा है तो आप पूरी तरह से गलत हैं. कोरोना, वायरस की दुनिया में बड़ा बदलाव लाने जा रही है. इसका

अगर आप सोच रहें हैं कि कोरोना का संक्रमण कम हो रहा है तो आप पूरी तरह से गलत हैं. कोरोना, वायरस की दुनिया में बड़ा बदलाव लाने जा रही है. इसका एक रूप दूसरे को सत्ता सौंपने जा रहा है. United Kingdom के केंट में आए कोरोना के नए रूप ने एक्सपर्ट्स को भी हैरान कर दिया है.

यूके के जेनेटिक सर्विलांस प्रोग्राम की हेड शैरान पीकॉक ने BBC को बताया है कि वायरस का केंट वैरियंट 'पूरी दुनिया में छा जाएगा, इसकी पूरी संभावना है.'

दूसरी तरफ, दक्षिण अफ्रीका में वायरस का एक और रूप वैक्‍सीनों और नेचुरल इम्‍युनिटी को मात देते हुए कहर बरपा रहा है.

COVID-19 के तीसरे रूप ने ब्राजील में फिर से केसे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं जबकि माना जा रहा था कि ब्राजील पिछले साल गर्मियों में ही हर्ड इम्‍युनिटी हासिल कर चुका था.

2019 में आए इस COVID-19 के कई रूप नजर आ चुके हैं. सबसे अधिक D614G ने दुनिया भर में कहर बरपाया है. आइए आपको बताते हैं कि वायरस के इन नए रूपों के बारे में...

म्युटेशन : जब कोई वायरस अपने जेनेटिक सीक्‍वेंस में बदलाव करता है, उसी जेनेटिक सीक्‍वेंस को म्युटेशन (Mutation) कहा जाता है. ये बेहद ही कॉमन होता है. अगर कोरोना की बात करें तो सिर्फ स्पाइक प्रोटीन में ही कोरोना के 4,000 से अधिक म्युटेशन रिकॉर्ड किए गए हैं. जब किसी मरीज के अंदर वायरस अपना क्लोन बना लेता है तभी म्युटेशन होता है.

वेरिएंट : वेरिएंट (Variant) वह वायरस है, जिसका जेनेटिक सीक्‍वेंस अपने मूल वायरस से अलग होता है.

स्ट्रेन : Strain ऐसा वेरिएंट जिसमें काफी सारे म्यूटेशन्स होते हैं. इस वजह से इसका व्यवहार बदल जाता है.


सुपर स्‍प्रेडर है केंट वैरियंट B1.1.7

इस वैरियंट को पिछले साल सितंबर में इंग्‍लैंड के केंट में डिटेक्‍ट किया गया था. इसमें 17 म्‍यूटेशंस हुए और इस वजह से इसे शुरू से ही बड़ा खतरा माना जा रहा था. नवंबर 2020 के बाद से यह जंगल में आग की तरह फैलना शुरू हुआ और अब यह दुनिया में सबसे कॉमन वैरियंट बनने की ओर है. य‍ह वैरियंट सुपर स्‍प्रेडर है और जो म्‍यूटेशन इसके लिए जिम्‍मेदार है, वह दो और वैरियंट्स में मिला है.

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि म्‍यूटेशन की वजह से यह पिछले D614G वैरियंट से 50% ज्‍यादा संक्रामक हो गया है. केंट वैरियंट को अबतक दुनिया के कम से कम 50 देशों में पाया जा चुका है. यह मरीजों में मौत की संभावना को 30 प्रतिशत बढ़ा देता है.

मतलब अगर पिछले वायरस ने 50 से ज्‍यादा उम्र के 1,000 मरीजों में से 10 की जान ली थी, तो ये वाला 13 को मार सकता है. अब तक इसके खिलाफ वैक्‍सीन कारगर थी मगर इस महीने इसका एक और म्‍यूटेशन E484K मिला है. ये वही म्‍यूटेशन है जो साउथ अफ्रीका वाले वैरियंट में इम्‍युनिटी को भी धता बता देता है.

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​साउथ अफ्रीका वाला वैरियंट B1.351

यह वैरियंट पिछले साल अक्‍टूबर में सामने आया. बताया जाता है कि इसके स्‍पाइक प्रोटीन में ही 10 से ज्‍यादा म्‍यूटेशंस हुए हैं. आज की तारीख में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले 80% इन्‍फेक्‍शंस इसी की देन हैं और यह कम से कम 32 देशों में फैल चुके हैं. यह केंट वैरियंट जितना ही संक्रामक है मगर इसमें एक E484K म्‍यूटेशन भी है तो इसे बेहद खतरनाक बनाता है. इस म्‍यूटेशन की वजह से ये वायरस पिछले इन्‍फेक्‍शन से हुई इम्‍युनिटी को बेकार कर देता है और वैक्‍सीन के असर को भी कम कर देता है.

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​ब्राजील वाला वैरियंट B.1.1.248

ब्राजील में दो वैरियंट जिन्‍हें P1 और P2 कहा जा रहा है, जांच के दायरे में हैं. इनमें से P1 जो कि B.1.1.248 भी है, टेंशन दे रहा है. इसे पिछले साल दिसंबर में डिटेक्‍ट किया गया था और इसमें 3 म्‍यूटेशंस हुए हैं जिसमें E484K भी शामिल है.

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इलाज या वैक्सीन, कौन ज्यादा असरदार?

अभी तक किसी भी वैक्‍सीन को पूरी तरह बेअसर नहीं पाया गया है. असर भले ही कम हो, लेकिन वैक्‍सीन की वजह से गंभीर बीमारियों और मौतों को रोकने में मदद मिलती है. वर्तमान टीके कुछ समय के लिए प्रभावी रहेंगे क्‍योंकि वह वायरस के एक से ज्‍यादा हिस्‍सों को टारगेट करने के लिए बने हैं.

वैक्‍सीनों को म्‍यूटेशंस को ध्‍यान में रखते हुए बनाया गया है. हालांकि वैक्‍सीन की एफेकसी कम होने से उनसे मिलने वाली इम्‍युनिटी का दायरा कम हो सकता है. कोविड ट्रीटमेंट की बात करें तो नए वैरियंट्स के खिलाफ केवल मोनोक्‍लोनल ऐंटीबॉडीज के ही बेअसर रहने का अनुमान है.

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