इस राज्य में 5 साल बढ़ाई गई डॉक्टरों की रिटायरमेंट की उम्र, अब 70 साल तक सेवाएं देंगे, सीएम ने किया ऐलान

उत्तरप्रदेश सरकार ने राज्य में डॉक्टरों की रिटायरमेंट की उम्र 5 साल तक बढ़ा दी है. इस फैंसले का कहीं विरोध हो रहा तो कहीं समर्थन.

Update: 2021-09-20 11:03 GMT

उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र 5 साल बढ़ा दी है. यानि राज्य के सरकारी चिकित्सक की उम्र पहले ही 65 वर्ष थी, जिसे 5 साल बढ़ाकर अब 70 साल तक करने का निर्णय सरकार ने लिया है. इसका ऐलान सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया है. 

डॉक्टरों के रिटायरमेंट की अवधि 5 साल तक बढ़ाए जाने से चिकित्सकों में कहीं ख़ुशी तो कहीं रोष देखा जा रहा है. पहले राज्य में सरकारी चिकित्सकों के सेवानिवृत्त होने की उम्र 65 वर्ष थी. सरकार ने 5 साल तक बढ़ाकर रिटायरमेंट की उम्र 70 साल कर दी है. 

डॉक्टरों की कमी मुख्य वजह 

दरअसल उत्तरप्रदेश की जनसंख्या देशभर में सबसे अधिक है और जनसंख्या के लिहाज से यहां चिकित्सकों की कमी पहले ही लंबे समय से बनी हुई है. जबकि राज्य में डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष थी. इसके अलावा कोरोना काल में भी चिकित्सकों की कमी से पूरे राज्य को जूझना पड़ा था. जिसके चलते पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी. आने वाले समय में खासकर की जब विशेषज्ञ कोरोना के तीसरी लहर की आशंका जाहिर कर रहें हो, तब चिकित्सकों की भारी कमी राज्य को झेलना पड़ेगा. ऐसे समय में राज्य के और अधिक चिकित्सक रिटायर न हो जाएं और चिकित्सकीय व्यवस्था न ठप्प हो जाए, योगी सरकार ने रिटायर होने की अवधि बढ़ाने का निर्णय ले लिया. 

कोरोना काल में अनुभव काम आया था 

कहा तो यह भी जा रहा है कि कोरोना काल में अनुभवी चिकित्सकों का अनुभव काफी काम आया था, और आगे भी आता रहे इसलिए यूपी सरकार ने रिटायरमेंट की अवधि बढ़ाने का फैंसला लिया है. हांलाकि, सरकार का यह फैसला लागू होने से पहले ही विवादित हो गया हैं. लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की फैकल्टी फोरम ने मुख्यमंत्री के इस फैसले का विरोध किया है. फोरम के सदस्यों का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ ही कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं शुरू हो जाती हैं. उम्रदराज चिकित्सक मरीजों का बेहतर इलाज नहीं कर पाएंगे. इससे मरीजों का फायदा होने के बजाय नुकसान ही होगा.

इसके अलावा अगर यह फैसला लागू होता है तो नए छात्रों के लिए फैकल्टी मेंबर की सीटें भी नहीं बढ़ पाएंगी जिससे नए डॉक्टरों को मौका नहीं मिल पाएगा. फोरम ने इस मामले में विरोध दर्ज कराने के लिए जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने का निर्णय लिया है. दूसरी तरफ, कुछ डॉक्टर इस फैसले के समर्थन में भी आ गए हैं. ऐसे डॉक्टरों का कहना है कि राजनीति में 75 साल से ज्यादा उम्र वाले व्यक्ति काम कर रहे हैं. ऐसे में अगर डॉक्टर स्वस्थ हैं तो वह भी 70 साल की उम्र तक काम कर सकते हैं.

प्राइवेट, या निजी क्लीनिक खोलते ही हैं, सरकार को सेवाएं दे : चिकित्सा शिक्षा मंत्री

इस बीच जो डॉक्टर 62 साल की उम्र में वीआरएस लेना चाहेंगे, उन्हें रिटायर करने की सुविधा भी दी जाएगी. इस पूरे मामले में प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद अक्सर डॉक्टर अपना क्लीनिक खोल लेते हैं या किसी बड़े अस्पताल में सेवाएं देते हैं. इससे बेहतर है कि वह अपनी सेवाएं सरकार के लिए जारी रखें.

कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में डॉक्टरों की कमी से तमाम समस्याएं देखने को मिली थीं. हमें डॉक्टरों और उनके अनुभव की ज्यादा जरूरत है इसलिए ऐसा प्रस्ताव बनाया गया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है और जल्द ही इसे कैबिनेट में पेश किया जाएगा. कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी. इससे पहले साल 2018 में भी सरकार ने डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र 5 साल बढ़ाकर 70 साल करने का प्रस्ताव बनाया था लेकिन किसी वजह से उसे कैबिनेट में पेश नहीं किया जा सका.

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